सरकार बनाने का देख रहे थे ख्वाब, अब विपक्ष का नेता भी नहीं बना सकेंगे; जानिए इससे जुड़ा क्या है नियम
Maharashtra Election Result 2024 महाराष्ट्र में किसी भी दल को नेता विपक्ष बनाने की शक्ति जनता ने नहीं दी है। इस बार महाराष्ट्र विधानसभा बिना नेता विपक्ष के चल सकती है। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष का पद हासिल करने की खातिर 29 सीटों का होना जरूरी है। मगर इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी भी विपक्षी दल को 29 सीटों पर जीत नहीं मिली है।
एजेंसी, नई दिल्ली। चुनाव नतीजे से पहले महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन अपनी सरकार और सीएम बनाने का दावा कर रहा था। मगर नतीजों ने सबको चौंका दिया है। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने एकतरफा प्रदर्शन में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया है। हालात यह है कि विपक्षी दलों के पास अब विधानसभा में नेता विपक्ष बनाने के लिए आवश्यक संख्याबल नहीं है। 15वीं महाराष्ट्र विधानसभा का गठन बिना नेता प्रतिपक्ष के हो सकता है।
क्या है नेता विपक्ष चयन का नियम?
महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। विधायी नियमों के मुताबिक कुल सीटों का 10 प्रतिशत यानी 29 विधायकों वाला कोई भी दल या इससे अधिक सीटों पर विपक्षी दल विपक्ष के नेता के पद पर अपनी दावेदारी पेश कर सकता है। मगर इस बार महाराष्ट्र में कोई भी विपक्षी दल 29 सीटों तक नहीं पहुंचा है। विपक्षी में सबसे अधिक 20 सीटें उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) को मिली हैं। कांग्रेस के खाते में 16 और शरद पवार की पार्टी सिर्फ 10 सीटों पर जीती है।
गठबंधन से भी नहीं चुन सकेंगे
नियमों के मुताबिक विपक्षी दल गठबंधन के आधार पर नेता विपक्ष का पद हासिल नहीं कर सकते हैं। 1960 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा अस्तित्व में आई। शायद यह पहली बार है जब विधानसभा मे कोई विपक्ष का नेता नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि नव निर्वाचित महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्षी बेंचों की अग्रिम पंक्ति में डिप्टी स्पीकर के बगल वाली सीट खाली रहेगी। मौजूदा समय में कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं।
पिछले 10 साल लोकसभा में नहीं था नेता विपक्ष
पिछले 10 साल लोकसभा में भी विपक्ष का नेता नहीं था। किसी भी दल के पास विपक्ष का नेता बनाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं था। संसद के नियमों के मुताबिक लोकसभा में किसी भी दल के पास कुल संसदीय सीटों का 10 फीसदी या 55 सांसदों का होना अवाश्यक है। इससे पहले जवाहर लाल नेहरू और राजीव गांधी के कार्यकाल में भी लोकसभा में कोई विपक्ष का नेता नहीं था।