ऑल इंडिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र द्वारा महाविकास आघाड़ी को दिए गए उस समर्थन के पत्र पर खुद महाविकास आघाड़ी के नेता ही असहज दिख रहे हैं जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध की मांग की गई है। मगर इस पत्र से यह भी साफ हो गया है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम संगठनों में खुलकर महाविकास आघाड़ी (मविआ) के साथ दिखने की होड़ लग गई है।
ओमप्रकाश तिवारी, जागरण, मुंबई। ऑल इंडिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र द्वारा महाविकास आघाड़ी को दिए गए उस समर्थन के पत्र पर खुद महाविकास आघाड़ी के नेता ही असहज दिख रहे हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध की मांग की गई है। मगर इस पत्र से यह भी साफ हो गया है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम संगठनों में खुलकर महाविकास आघाड़ी (मविआ) के साथ दिखने की होड़ लग गई है।
पत्र में उलमा बोर्ड ने क्या लिखा?
महाराष्ट्र के ऑल इंडिया उलमा बोर्ड ने सात अक्तूबर, 2024 को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि वह महाराष्ट्र में सक्रिय मुस्लिम उलमाओं का संगठन है। इसकी 2023 में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ मुंबई में बैठक हुई थी, जिसमें बोर्ड ने लोकसभा चुनाव में मविआ को समर्थन देने का फैसला किया था। इसके अनुसार ही उसने सभी 48 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस एवं मविआ के अन्य दलों को समर्थन दिया। जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली।
उलमा बोर्ड ने रखी अपनी 17 मांगें
पत्र में कहा गया है कि हम विधानसभा चुनाव में भी मविआ को समर्थन का पत्र दे रहे हैं। अगर राज्य में मविआ की सरकार बनती है, तो हमारी इन 17 मांगों को पूरा किया जाए। उलमा बोर्ड की 17 मांगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी शामिल है।
पत्र वायरल होने पर असहज मविआ के नेता
अब इंटरनेट मीडिया पर उलमा बोर्ड के इस समर्थन पत्र के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के हस्ताक्षर से उलमा बोर्ड को भेजे गए पत्र भी खूब वायरल हो रहे हैं। इन पत्रों में दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव में समर्थन देने के लिए उलमा बोर्ड को धन्यवाद दिया है, और सरकार बनने पर उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन भी दिया है। ये पत्र सार्वजनिक होने पर दोनों दलों के नेता असहज महसूस कर रहे हैं, और कह रहे हैं कि ऐसा कोई पत्र उनकी ओर से नहीं दिया गया है।
शिवसेना यूबीटी ने साधी चुप्पी
उलमा बोर्ड के इस कथित पत्र ने मविआ की सदस्य शिवसेना (यूबीटी) ने अब तक चुप्पी साध रखी है। हालांकि कुछ दिनों पहले उनके एक प्रत्याशी सुनील प्रभु की मुंबई के मौलानाओं के साथ हुई बैठक का वीडियो भी वायरल हो चुका है। इसके बाद सुनील प्रभु सफाई देते दिखाई दिए थे। मगर इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र के मुस्लिम संगठन खुलकर महाविकास आघाड़ी के साथ खड़े दिखना चाहते हैं।
कांग्रेस के समर्थन में उतरे मौलाना
कांग्रेस और राकांपा के नेता ध्रुवीकरण के डर से अपनी ओर से उलमा बोर्ड को भेजे गए किसी पत्र से भले इंकार कर रहे हों, लेकिन सार्वजनिक चुनावी सभाओं में जो कहा जा रहा है, उससे वह इंकार नहीं कर सकते। कुछ दिनों पहले मुस्लिम बहुल मालेगांव की एक चुनावी सभा में कांग्रेस के पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे एजाज बेग की प्रचार सभा के मंच से उन्हीं की मौजूदगी में एक मौलाना मुफ्ती हारुन नदवी ने कहा कि मोदी को हटाने का काम अगर कोई कर सकता है, तो वह सिर्फ कांग्रेस पार्टी कर सकती है। हमारे नेता राहुल गांधी मोहब्बतों का व्यापार शुरू कर चुके हैं। खुलकर अगर कोई भाजपा और आरएसएस के खिलाफ बोल रहा है तो वह मेरा शेर राहुल गांधी है। कांग्रेस मेरी पार्टी है। इसे वोट करें।
एक और मौलाना सज्जाद नोमानी ने मुस्लिमों से इंडी अलायंस को वोट करने की अपील की है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में 25 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत सकते हैं। इसके अलावा 20 और सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए हमें सेकुलर दलों को ही वोट करना चाहिए।
छत्रपत संभाजी नगर में भी एकजुट हो रहे मुस्लिम संगठन
छत्रपति संभाजी नगर में 18 मुस्लिम संगठनों को मिलाकर बने संगठन मुस्लिम नुमाइंदा परिषद के अध्यक्ष जियाउद्दीन अंसारी भी खुलकर कह रहे हैं कि हाल के लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने इंडी अलायंस के दलों के पक्ष में खुलकर मतदान किया। जिसके परिणाम सामने हैं। अब विधानसभा चुनाव में भी इंडी अलायंस के उसी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे, जो महायुति के उम्मीदवारों को हराने में सक्षम हों।
ओवैसी की पार्टी ने उतरे कम प्रत्याशी
मुस्लिम मौलानाओं की इस अपील का ही परिणाम है कि सिर्फ मुस्लिमों के ही भरोसे राजनीति कर रहे एआईएमआईएम जैसे दलों ने भी अपने उम्मीदवारों की संख्या इस बार सीमित कर दी है। क्योंकि उन्हें समझ में आ चुका है कि मुस्लिम मतदाता उन्हें नहीं, बल्कि कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) अथवा राकांपा (शरदचंद्र पवार) जैसे दलों को ही वोट देंगे।
मुस्लिमों से जुड़े 180 संगठन सक्रिय
मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण का प्रयास सिर्फ अपील करने तक ही सीमित नहीं है। मुस्लिमों से जुड़े 180 स्वयंसेवी संगठनों ने विधासभा चुनाव से पहले मुस्लिम मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने का काम किया है। ऐसी ही एक संगठन महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फोरम का कहना है कि उसकी ओर से मुस्लिमों का मतदान बढ़ाने के लिए 70 बैठकें पूरे राज्य के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में की गई हैं। इनमें 18 बैठकें तो मुंबई में ही हुई हैं।
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