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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में सियासी संकट का 8वां दिन, राजनीतिक हलचल तेज, जानें- आगे क्या हो सकता है?

Maharashtra Political Crisis महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट और गहराता जा रहा है। विगत 8 दिनों से जारी उठापटक के बीच हर किसी के मन में सवाल है कि आगे क्या होगा? क्या उद्धव सरकार जाएगी ? बागी विधायकों की अब क्या रणनीति हो सकती है? यहां जानें सब कुछ।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Tue, 28 Jun 2022 11:41 AM (IST)
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महाराष्ट्र जारी राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं रहा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट के बीच हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाएगी, या बचेगी? इस पूरे संकट के बीच हलचल तेज है। बागी विधायकों को घेरने के लिए महाराष्ट्र में रणनीति बनाई जा रही है। वहीं गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में बागी विधायक उद्धव गुट को मात देने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। तीसरी ओर दिल्ली में महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है।

वहीं मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव सरकार को पत्र लिखा है। राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 22-24 जून तक राज्य सरकार द्वारा जारी सभी सरकारी प्रस्तावों और परिपत्रों की पूरी जानकारी मांगी है। प्रवीण दारेकर ने जल्दबाजी में निर्णय लेने और जीआर जारी किए जाने की शिकायत की थी।

शिवसेना के बागी विधायकों के संबंध में सोमवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भाजपा के हौसले बुलंद कर दिए हैं। इस फैसले के बाद राज्यपाल की भूमिका बढ़ गई है। शिंदे गुट जल्दी ही राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को पत्र लिखकर आग्रह कर सकता है कि वे सरकार को विशेष अधिवेशन बुलाकर बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दें। यदि ऐसा होता है तो सदन में भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा।

माना जा रहा है कि बागियों का यह पत्र मिलने के बाद राज्यपाल सरकार को विशेष अधिवेशन बुलाने का निर्देश देंगे। यदि राज्यपाल के निर्देश का पालन हुआ तो बागी गुट के सभी विधायक मुंबई आकर अधिवेशन में भाग ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए सदन में बहुमत सिद्ध करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन यदि शिवसेना के बागी विधायक मुंबई नहीं भी आएं, तो भी सदन में उद्धव सरकार के लिए बहुत सिद्ध करना आसान नहीं होगा।

बता दें कि बागियों के बगैर सदन में बहुत का आंकड़ा 145 के बजाय 125 हो जाएगा। जबकि भाजपा के पास इस समय निर्दलीय एवं छोटे दलों को मिलाकर 129 विधायक हैं। इसलिए भाजपा को बिना कुछ किए ही सरकार गिराने का अवसर मिल सकता है।

जानें- अब तक क्या हुआ

21 जून- महाराष्ट्र के करीब 30 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ गुजरात के सूरत स्थित ला मेरेडियन होटन पहुंचे। कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल के लिए कमलनाथ को मुंबई भेजा।

22 जून- सूरत से करीब 40 विधायकों के गुवाहाटी ले जाया गया। मुख्यमंत्री उद्धव ने बागी एकनाथ शिंदे से फोन पर बात की। बागियों को समझौते का प्रस्ताव दिया गया।

23 जून- एकनाथ शिंदे ने 34 विधायकों की सूची जारी की। शिवसेना ने 12 विधायकों को अयोग्य करारा देने के लिए डिप्टी स्पीकर से शिकायत की।

24 जून- शिवसैनिक हिंसा पर उतर आए। शिवसैनिकों ने कुर्ला में बागी विधायक के घर पर तोड़फोड़ की। हिंसा को देखते हुए महाराष्ट्र में हाईअलर्ट जारी किया गया।

25 जून- शिवसैनिकों ने बागी विधायकों के दफ्तर में तोड़फोड़ की। वहीं, शिवसेना की हाईलेवल मीटिंग में बागियों पर कार्रवाई का फैसला लिया गया। डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को नोटिस भी थमाया।

26 जून- शिंदे गुट के 15 विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के अयोग्य घोषित करने के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

27 जून- सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के बागी विधायकों की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर, केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिए। साथ ही कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर कोर्ट कोई फैसला नहीं देगा। बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले डिप्टी स्पीकर के नोटिस के मामले पर अब 11 जुलाई को सुनवाई करेगा।