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Maharashtra Politics: फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर भाजपा का प्लान B तैयार, ये दिग्गज नेता बन सकता है महाराष्ट्र में BJP का बड़ा चेहरा

Maharashtra Politics अब चार महीने बाद ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। पिछले एक दशक से प्रदेश भाजपा का चेहरा बने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल के लोकसभा चुनाव की हार से निराश होकर अपने उपमुख्यमंत्री पद के वर्तमान दायित्व से त्यागपत्र देने की इच्छा व्यक्त की है। वह अब पूरी तरह से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटना चाहते हैं। लेकिन...

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 05 Jun 2024 07:06 PM (IST)
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Maharashtra Politics: फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर भाजपा का प्लान B तैयार (File Photo)

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका लग चुका है। यहां कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं। मराठा समाज यहां एक बड़ा मतदाता वर्ग है। इसे देखते हुए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस समय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे विनोद तावड़े की महाराष्ट्र की राजनीति में वापसी करवा सकता है।

भाजपा को हाल के लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। उसकी सीटें 2014 और 2019 की संख्या 23 से घटकर नौ पर पहुंच गई हैं। यानी वह 2009 की स्थिति में पहुंच गई है। भाजपा को इस चुनाव में मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण मराठा युवाओं को नाराजगी तो झेलनी ही पड़ी है, वह अपना 40 साल पुराना माधव (माली, धनगर, वंजारी) समीकरण भी संभालकर नहीं रख पाई।

पंकजा मुंडे को मिली हार

इस समीकरण के मजबूत स्तंभ रहे स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा मुंडे को भी इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। पंकजा के ही करीबी धनगर नेता महादेव जानकर का भी पूरा उपयोग भाजपा नहीं कर पाई। वह शुरुआत में लंबे समय तक शरद पवार के संपर्क में रहे। बाद में उन्हें भाजपा ने अपने साथ लेकर परभणी से टिकट दिया, जो शिवसेना (यूबीटी) का गढ़ माना जाता है। वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

उद्धव, शरद पवार और कांग्रेस की तिकड़ी

मुंडे गुट के ही एक ओबीसी नेता एकनाथ खडसे, जो तीन साल पहले ही भाजपा छोड़कर राकांपा में चले गए थे, उनकी घरवापसी की चर्चा चुनाव के दौरान ही शुरू हुई। लेकिन वह अभी तक हो नहीं सकी है। भाजपा इन समीकरणों को समय से सुलझा पाती तो शायद वह उद्धव, शरद पवार और कांग्रेस की तिकड़ी से आसानी से लड़ लेती।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का बिगुल

अब चार महीने बाद ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। पिछले एक दशक से प्रदेश भाजपा का चेहरा बने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल के लोकसभा चुनाव की हार से निराश होकर अपने उपमुख्यमंत्री पद के वर्तमान दायित्व से त्यागपत्र देने की इच्छा व्यक्त की है। वह अब पूरी तरह से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटना चाहते हैं। लेकिन मराठा आरक्षण आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे मनोज जरांगे पाटिल का फडणवीस के प्रति कटुता का भाव जगजाहिर है।

लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के कारण

दूसरी ओर मराठीभाषी अन्य समाज भी फडणवीस पर शिवसेना और राकांपा जैसे क्षेत्रीय दलों को तोड़ने के आरोप के कारण उनसे चिढ़े हुए हैं। लोकसभा चुनाव में हुई हार में इन सभी कारणों ने बड़ी भूमिका निभाई है। यही नहीं, जिस विदर्भ क्षेत्र से देवेंद्र फडणवीस खुद आते हैं, वहां भाजपा सिर्फ एक सीट नागपुर की जीत सकी है। वह भी नितिन गडकरी के अपने किए गए कार्यों के कारण। मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस को राज्य में 13 सीटें दिलवाने में विदर्भ की बड़ी भूमिका रही है।

विनोद तावड़े केंद्र की पहली पसंद

ये सभी कारण ऐसे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व को आसन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा को राज्य में फिर से खड़ा करने के लिए किसी नए चेहरे की ओर देखना पड़ सकता है। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े केंद्र की पहली पसंद हो सकते हैं। तावड़े भाजपा के दिग्गज नेता रहे प्रमोद महाजन के बाद महाराष्ट्र से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका निभाने वाले पहले नेता हैं।

खुद को साबित कर चुके विनोद तावड़े

पिछले कुछ वर्षों में बिहार एवं हरियाणा के प्रभारी के रूप में वह अपनी राजनीतिक परिपक्वता सिद्ध कर चुके हैं। दिल्ली की राजनीति में जाने से पहले उन्हें प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे जैसे नेताओं के साथ प्रदेश की राजनीति में काम करने का अच्छा अनुभव भी है। इन सब से ऊपर वह स्वयं मराठा समाज से आते हैं, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत इस समय महाराष्ट्र भाजपा को महसूस हो रही है।

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