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Ajit Pawar Resignation Inside Story: परिवार की भावनात्मक अपीलों ने निभाई अहम भूमिका

Maharashtra Politics अजीत पवार के इस्तीफे ने मंगलवार को महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया था। जानिए- कैसे अजीत पवार इस्तीफा देने को तैयार हुए?

By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 28 Nov 2019 10:14 AM (IST)
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Ajit Pawar Resignation Inside Story: परिवार की भावनात्मक अपीलों ने निभाई अहम भूमिका
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में मंगलवार को उस वक्त बड़ा भूचाल आ गया, जब एनसीपी नेता अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अचानक से उनके इस्तीफे की खबर ने सभी को चौंका दिया था। इसके बाद भाजपा के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने भी इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। बताया जा रहा है कि अजीत के इस्तीफे के पीछे उनके परिवार की कुछ भावनात्मक अपीलों ने अहम भूमिका अदा की। आइये जानते हैं अजीत की वापसी के लिए किसने किस तरह से की थी अपील?

शपथ लेने के बाद से चल रहा था मनाने का दौर

शनिवार सुबह करीब आठ बजे भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ लेकर सबको चौंका दिया था। सबसे चौंकाने वाला चेहरा था उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले एनसीपी नेता अजीत पवार का। शुक्रवार शाम तक वह एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस (महाविकास अघाड़ी) गठबंधन की बैठक में शामिल थे। इससे पहले भी वह गठबंधन की लगभग सभी बैठकों में शामिल रहे थे। ऐसे में अचानक से भाजपा के साथ जा मिलने की खबर ने एनसीपी चीफ शरद पवार समेत सभी को चौंका दिया था। अजीत का ये कदम इतना विवादास्पद था कि पार्टी से तो साथ छूट ही रहा था, चाचा-भतीजे (शरद पवार-अजीत पवार) के रिश्तों में भी दरार महसूस की जाने लगी थी। शरद पवार किसी भी सूरत में पार्टी और परिवार को दरकने नहीं देना चाहते थे। साथ ही, वह गठबंधन धर्म का पालन करते हुए सीधे अजीत से बात भी नहीं कर रहे थे। बावजूद अजीत के शपथ लेने के बाद से ही उन्हें मनाने और पार्टी में वापस लाने का दौर शुरू हो चुका था।

परिवार ने अजीत के खिलाफ नहीं दिया बयान

अजीत ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर न केवल पार्टी को, बल्कि चाचा शरद पवार को भी निजी झटका दिया था। इसके बाद अचानक से शरद पवार की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई थी। कांग्रेस के कई नेताओं ने शरद पवार पर हमला बोलना भी शुरू कर दिया था। गठबंधन नेताओं ने अजीत पवार पर भी धोखा देने का आरोप लगाते हुए उन्हें जमकर कोसा। शपथ ग्रहण के कुछ देर बाद ही शरद पवार की बेटी व एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने अपना वॉट्सऐप स्टेटस बदल दिया। उन्होंने लिखा 'पार्टी और परिवार बंट गया'। बावजूद पवार परिवार के किसी भी सदस्य ने अजीत के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला, बल्कि पूरा परिवार अजीत को मनाने में जुट गया।

भतीजे अजीत को चाचा शरद पवार का संदेश

अजीत को मनाने का प्रयास करने वाले पार्टी के सभी बड़े नेता व करीबी विफल हो चुके थे। इसके बाद मंगलवार को शरद पवार ने पार्टी चीफ नहीं, चाचा के तौर पर अजीत को एक लाइन का संदेश भेजा। ये संदेश था, 'तुम्हें माफ कर दिया है। वापस लौट आओ।' शरद पवार ने ही अपने संदेश में अजीत को वापसी की राह भी दिखाई। उन्होंने ही अजीत से कहा था, 'चाहो तो उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दो या फिर बुधवार को होने वाले शक्ति परीक्षण से दूर रहना।' इतना ही नहीं शरद ने अपने संदेश में ये भी स्पष्ट कर दिया था कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी और विधानसभा में जाकर भाजपा के पक्ष में व्हिप जारी किया तो उनके पास उससे निपटने के लिए प्लान बी भी तैयार है।

चाची को मना नहीं कर सके अजीत

अजीत पवार को वापसी के लिए मनाने वालों में सबसे पहला नाम उनके बड़े भाई श्रीकृष्ण पवार का है। इसके बाद उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने अजीत को मनाने का प्रयास किया। अंत में शरद पवार की पत्नी मतलब अजीत की चाची प्रतिभा पवार ने उन्हें मनाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने भतीजे अजीत से बात की और भावनात्मक अपील करते हुए कहा, 'अब घर लौट आओ'। माना जा रहा है कि अजीत की वापसी में शरद पवार के संदेश के अलावा चाची प्रतिभा की भावनात्मक अपील की भी प्रमुख भूमिका थी। अजीत चाची को मना नहीं कर सके।

तीनों बुआओं ने भी की थी अपील

चाचा शरद पवार और चाची प्रतिभा के अलावा अजीत की तीनों बुआओं की भी उनकी वापसी में अहम भूमिका रही है। अजीत पवार की तीनों बुआओं सरोज पाटिल, रजनी ताई सांसणे और मीना ताई जगताप ने भी उनसे भाजपा का साथ छोड़कर वापस लौटने की भावनात्मक अपील की थी। बुआओं की तरफ से अजीत से अपील की गई थी कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन परिवार नहीं टूटना चाहिए। बुआओं ने जब खून के रिश्तों का हवाला दिया तो अजीत का मन पिघल गया। इस तरह से बुआओं की भावनात्मक अपील ने भी अजीत की परिवार और पार्टी में वापसी की राह का मार्ग तैयार किया।

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क्या होगा महाराष्ट्र का राजनीतिक भविष्य

एक महीने से लंबे राजनीतिक संकट और तीन दिन की सरकार के इस्तीफे के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति का भविष्य अभी स्पष्ट नहीं है। भाजपा सरकार के इस्तीफे के बाद एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार बननी तय है। उद्धव ठाकरे सीएम पद का चेहरा होंगे, लेकिन मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर अभी भी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। मंत्रिमंडल को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। कल शाम करीब सात बजे उद्धव ठाकरे मुंबई के शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इससे पहले आज (बुधवार, 27 नवंबर 2019) शाम गठबंधन की एक और अहम बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि गठबंधन की बैठक में मंत्रिमंडल का स्वरूप और नाम तय कर दिए जाएंगे। बैठक के बाद ही स्पष्ट होगा कि महाराष्ट्र का राजनीतिक भविष्य क्या होने वाला है?

सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दी थी सभी संभावनाएं

महाराष्ट्र में तीन दिन की सरकार के गिरने की प्रमुख वजह सुप्रीम कोर्ट का आदेश रहा है। दरअसल एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में नई सरकार को चुनौती देते हुए तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी। रविवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सुनवाई की और फिर मंगलवार सुबह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि नई सरकार बुधवार शाम पांच बजे तक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करे। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने फ्लोर टेस्ट का लाइव टेलीकास्ट कराने का भी आदेश दिया था। इसके बाद भाजपा के लिए सरकार बनाने की सभी संभावनाएं समाप्त हो चुकी थीं।