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Maharashtra Politics: सीएम शिंदे की चाय पार्टी को MVA ने ठुकराया, इस वजह से विपक्ष ने किया बहिष्कार

लोकसभा चुनावों को देखते हुए राज्य का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था। वडेट्टीवार ने कहा कि विपक्षी दलों ने महायुति गठबंधन सरकार के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के विरोध में हाई-टी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। उन्होंने किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज किया और विभिन्न परियोजनाओं की लागत में वृद्धि के माध्यम से करदाताओं के पैसे की ठगी की है।

By Agency Edited By: Piyush Kumar Published: Thu, 27 Jun 2024 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2024 06:00 AM (IST)
सीएम एकनाथ शिंदे की चाय पार्टी से विपक्ष ने बनाई दूरी।(फोटो सोर्स: जागरण)

पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र में विपक्षी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने विधानसभा के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की चाय पार्टी का बहिष्कार किया। सरकार पर किसानों और आम जनता के मुद्दों का समाधान करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

28 जुलाई को पेश होना है राज्य का बजट 

यह घोषणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार और गठबंधन सहयोगी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अंबादास दानवे ने की। मुंबई में 27 जून से 12 जुलाई तक आयोजित होने वाले सत्र के दौरान महायुति गठबंधन सरकार 28 जून को विधानमंडल के दोनों सदनों में राज्य का बजट पेश करेगी।

तो इस वजह से चाय पार्टी में शामिल नहीं हुई एमवीए

लोकसभा चुनावों को देखते हुए राज्य का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था। वडेट्टीवार ने कहा कि विपक्षी दलों ने महायुति गठबंधन सरकार के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के विरोध में हाई-टी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। उन्होंने किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज किया और विभिन्न परियोजनाओं की लागत में वृद्धि के माध्यम से करदाताओं के पैसे की ठगी की है।

वडेट्टीवार और उनकी पार्टी के ही सहयोगी बालासाहेब थोराट, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) विधायक जितेंद्र अव्हाड और दानवे के अलावा छोटे दलों के नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में भाग लेकर एकजुटता दिखाई।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के उस बयान पर कटाक्ष किया कि 27 जून से शुरू होने वाला मानसून सत्र महायुति सरकार का विदाई सत्र होगा। शिंदे ने कहा कि उन्हें विदाई देने के लिए सदन में नहीं होना चाहिए। जनता फैसला करेगी कि विदाई देनी है या नहीं।

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