अजित पवार का अब क्या होगा, परिवार का छूटा साथ और भाजपा से भी टूटा बंधन
अजित पवार का अब क्या होगा? एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बगावत कर परिवार से उनका साथ छूट गया है दूसरी तरफ उप-मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा से जुड़ा बंधन भी टूट गया है
By Tilak RajEdited By: Updated: Tue, 26 Nov 2019 03:56 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। अजित पवार का अब क्या होगा? एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बगावत कर परिवार से उनका साथ छूट गया, दूसरी तरफ उप-मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा से जुड़ा बंधन भी टूट गया है। अजित पवार अब ना इधर के रहे और ना ही उधर के। अधर में लटके अजित पवार के राजनीतिक करियर पर जो पैबंद लगा है, उसका खामियाजा उन्हें आगे जरूर उठाना पड़ेगा। अजित पवार जिस तरह एनसीपी से बगावत कर भाजपा के साथ जा मिले और उपमुख्यमंत्री का पद हासिल करने के कुछ ही दिनों में उन्हें इससे इस्तीफा भी देने पड़ा, ऐसे घटनाक्रम देश की राजनीति में कम ही देखने को मिलते हैं। इससे अजित पवार का राजनीति में कद कम जरूर हुआ है, वहीं एनसीपी में भी उनकी अब वो पहले वाली पावर रहना मुश्किल है।
अजित फिर साथ देखना चाहते हैं चाचा शरद पवारशरद पवार ने साफ कर दिया है कि वह अजित पवार को फिर अपने साथ देखना चाहते हैं। हालांकि, पार्टी से बगावत करने पर उनके खिलाफ क्या कार्रवाही होगी, इसके बारे में अभी तक कोई बात सामने नहीं आई है। इतना तय माना जा रहा है कि अजित पवार एनसीपी में ही रहेंगे, लेकिन क्या उन्हें फिर विधायक दल का नेता चुना जाएगा? इस सवाल का जवाब आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर जो सपने देखे थे, वे अब टूट चुके हैं।
फडणवीस की पहली बैठक में सीएम के बगल की कुर्सी रही खाली
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने जो पहली बैठक की थी, उसमें सीएम के बगल वाली कुर्सी खाली थी। इसे उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए रखा गया था। इसके बाद से ही कई सवाल उठने शुरू हो गए थे। इसके बाद कई लोग तो यह भी कयास लगा रहे थे कि अजित पवार एक बार फिर अपना रुख बदल सकते हैं। अजित पवार के इस्तीफा देने के सीधे-सीधे यही मायने हैं कि उनको एनसीपी के विधायकों का समर्थन प्राप्त नहीं है। ऐसे में अजित पवार के दम पर दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस ने भी इस्तीफा दे दिया है।
गेम चेंजर अजित की गेम ओवरअजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार का अनुसरण करते हुए राजनीति में कदम रखे थे। एनसीपी से बगावत कर भाजपा की सरकार महाराष्ट्र में फिर से बनाने वाले अजित पवार को पिछले दिनों 'गेम चेंजर' की उपाधि दी जा रही थी, लेकिन गेम चेंजर की गेम अब ओवर हो चुकी है। अजित पवार की सियासी कर्मभूमि बारामती है, जहां शरद पवार ने भी राजनीति का ककहरा सीखा था। अजित पवार यहां से 1991 से अब तक 7 बार विधायक चुने गए। महाराष्ट्र में इस सीट पर हमेशा शरद पवार और अजीत पवार का ही दबदबा रहा है।
पिता नहीं चाचा की चुनी राहअजित पवार, शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अनंतराव मशहूर फिल्म निर्देशक वी. शांताराम के साथ काम कर चुके हैं और वे चाहते थे कि अजित भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाएं, लेकिन उन्होंने अपने चाचा शरद पवार की राह चुनी और उनके नक्शे-कदम पर चलते हुए साल 1982 में राजनीति में प्रवेश किया और कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री के बोर्ड में अध्यक्ष चुने हुए। वह पुणे जिला कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन भी रहे। इसी दौरान बारामती से लोकसभा सांसद भी निर्वाचित हुए, बाद में उन्होंने शरद पवार के लिए यह सीट खाली कर दी थी।