Mahua Moitra: कितनी पढ़ी लिखी हैं महुआ मोइत्रा? एक सफल बैंकर से कैसे लगाई सियासी छलांग
एक बैंकर से तृणमूल कांग्रेस नेत्री बनी महुआ मोइत्रा लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन से आहत हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से चुनकर संसद का सफर तय किया था। हालांकि अब वह सांसद नहीं हैं। उन्होंने सदस्यता रद्द होने के बाद यह स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई अभी भी जारी रहेगी।
By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 08 Dec 2023 04:38 PM (IST)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और एक नाम पर जमकर चर्चा हो रही है। यह नाम तृणमूल कांग्रेस की महिला नेत्री का है, जिन्हें हम महुआ मोइत्रा के नाम से जानते हैं। महुआ मोइत्रा जिनकी संसद सदस्यता खत्म हो गई आखिर वो हैं कौन? किस मामले के तहत उन पर कार्रवाई हुई? इन तमाम सवालों के जवाब आपको यहां पर मिलेंगे।
महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता क्यों गई?
तृणमूल नेत्री महुआ मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में शुक्रवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उनकी संसद सदस्यता समाप्त हो गई। आसान शब्दों में कहें तो सांसद महुआ मोइत्रा से वह सिर्फ तृणमूल नेत्री महुआ मोइत्रा हो गईं। बता दें कि महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द होने के बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया। इससे यह तो स्पष्ट है कि मामला अभी शांत नहीं होने वाला है।
कौन हैं महुआ मोइत्रा?
एक बैंकर से नेत्री बनी महुआ मोइत्रा लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन से आहत हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से चुनकर संसद तक का सफर तय किया था। हालांकि, अब वह सांसद नहीं हैं। उन्होंने सदस्यता रद्द होने के बाद यह स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई अभी जारी रहेगी।उन्होंने कहा कि मैं 49 साल की हूं, मैं अगले 30 साल तक संसद के अंदर और संसद के बाहर आपसे लड़ती रहूंगी। महुआ मोइत्रा तेजतर्रार नेताओं में से एक हैं। वह लगातार सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने के लिए जानी जाती हैं। तेज अंग्रेजी के साथ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करती रही हैं। साथ ही उनके परिधान हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं।
महुआ मोइत्रा का जन्म असम में बंगाली हिंदू परिवार में हुआ। शुरुआती जीवन उनका असम और कोलकाता में बीता। इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और वहां पर एक सफल बैंकर के रूप में अपनी पहचान बनाई। साल 2010 में वह तृणमूल कांग्रेस के साथ जुड़ गईं और समय के साथ-साथ उनका कद लगातार बढ़ता चला गया। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की उन्होंने शुरुआत की थी।