मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी की आस्था पर सवाल उठाए तो बौद्ध भिक्षु बोले- मनमोहन सिंह की सरकार ने भगवान बुद्ध पर नहीं दिया ध्यान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा पीएम मोदी की बौद्ध धर्म में आस्था पर सवाल उठाने पर भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे की टिप्पणी निंदनीय है। 2014 में पहली बार पीएम मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में भगवान बुद्ध का जन्मदिन मनाया था जो आजादी के बाद पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध का जन्मदिन मनाया था।
एएनआई, नई दिल्ली। हाल ही में एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी की बौद्ध धर्म में आस्था पर सवाल उठाए थे। अब उनकी टिप्प्णी को लेकर बौद्ध भिक्षु प्रधानमंत्री के समर्थन में उतर आए हैं। इस पर भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे की टिप्पणी निंदनीय है। 2014 में पहली बार पीएम मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में भगवान बुद्ध का जन्मदिन मनाया था, जो आजादी के बाद पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध का जन्मदिन मनाया था।
कांग्रेस ने कभी भगवान बुद्ध पर ध्यान नहीं दिया
आगे उन्होंने कहा कि जब वह गुजरात के सीएम थे, तब उन्होंने विधानसभा के अंदर और सीएम आवास पर भी बुद्ध की एक मूर्ति लगाई थी। मैं मल्लिकार्जुन खरगे से पूछना चाहता हूं कि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब आपने बुद्ध पर ध्यान क्यों नहीं दिया, आपने बुद्ध को क्यों नहीं मनाया?"
पीएम मोदी ने बौद्ध धर्म के लिए बहुत कुछ किया है
महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के संस्थापक और अध्यक्ष आदरणीय भिक्खु संघसेना ने कहा कि भारत में बौद्ध लोगों के लिए उन्होंने जो किया है, उसके लिए मैं अपनी व्यक्तिगत क्षमता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं। मुझे याद नहीं है कि पहले कितने प्रधानमंत्रियों और सरकार ने भारत में बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया है और उसका समर्थन किया है। पीएम मोदी ने बौद्ध धर्म के लिए बहुत कुछ किया है।उन्होंने लुम्बिनी में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध केंद्र की आधारशिला रखी है और हमें बुद्ध अवशेषों को थाईलैंड जैसे विभिन्न देशों में ले जाने के लिए एक विशेष उड़ान दी है... वह जहां भी जाते हैं बौद्ध धर्म के बारे में बात करते हैं। संयुक्त राष्ट्र में उन्होंने कहा, "भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है, युद्ध नहीं।"