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Mamata Letter to PM Modi: ममता बनर्जी का पीएम मोदी के नाम पत्र, छात्रों के लिए कर दी ये बड़ी मांग

Mamata Banerjee Letter to PM बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिख NEET के संबंध में बड़ी मांग की है। सीएम ने पीएम से नीट को खत्म करने और राज्य सरकारों द्वारा इस परीक्षा को आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करने का आग्रह किया। ममता ने कहा कि नीट में जो भी गड़बड़ी हुई उसकी साफ और निष्पक्ष जांच की जरूरत है।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Fri, 28 Jun 2024 10:14 AM (IST)
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Mamata Banerjee Letter to PM ममता का पीएम को पत्र।

एजेंसी, नई दिल्ली। Mamata Banerjee Letter to PM पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पीएम मोदी को पत्र लिख एक बड़ी मांग की है। ममता ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये पत्र लिखा।

सीएम ने पीएम से नीट को खत्म करने और राज्य सरकारों द्वारा इस परीक्षा को आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करने का आग्रह किया। 

ममता ने पत्र में कही ये बात

बंगाल सीएम ने कहा, ''मैं राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से जुड़े हाल के घटनाक्रमों के बारे में आपको लिखने के लिए बाध्य हूं। पेपर लीक के आरोप, कुछ लोगों और परीक्षाओं के संचालन में शामिल अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेना, कुछ छात्रों को परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए इजाजत देना, ग्रेस मार्क्स आदि कुछ गंभीर मुद्दे हैं जिन पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है और इसकी साफ और निष्पक्ष जांच की जरूरत है।'' 

लाखों छात्रों के करियर का सवाल

ममता ने आगे कहा कि ऐसे मामले उन लाखों छात्रों के करियर और आकांक्षाओं को खतरे में डालते हैं जो इन मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने की उम्मीद करते हैं। ममता ने लिखा कि ऐसे मामले न केवल देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करते हैं, बल्कि देश में चिकित्सा सुविधाओं और उपचार की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। 

2017 से पहले की प्रक्रिया का किया जिक्र

ममता ने कहा कि यह भी बताना जरूरी है कि 2017 से पहले राज्यों को अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति थी और केंद्र सरकार भी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी परीक्षाएं आयोजित करती थी। यह प्रणाली सुचारू रूप से और बिना किसी समस्या के काम कर रही थी। उन्होंने आगे लिखा कि यह क्षेत्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षिक मानकों के लिए बेहतर था।

राज्य सरकार आमतौर पर शिक्षा और इंटर्नशिप पर प्रति डॉक्टर 50 लाख रुपये से अधिक खर्च करती है। इसलिए, राज्य को संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मेडिकल छात्रों का चयन करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।