Meghalaya Assembly Elections: जानें मेघालय की राजनीति, प्रमुख सियासी दल और सत्ता के समीकरण
Meghalaya Politics मेघालय विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है। मेघायल विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों नें भी तैयारी शुरू कर दी है। नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 58 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 18 Jan 2023 04:28 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Meghalaya Assembly Elections 2023: मेघालय में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने पूर्वोत्तर के तीन चुनावी राज्यों में चुनावी तारीखों का एलान किया है। मेघालय में 27 फरवरी को मतदान होगा जबकि 2 मार्च को मतगणना होगी। मेघालय विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है। मेघायल विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों नें भी तैयारी शुरू कर दी है। तो चलिए हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं कि मेघायल की सियासत में किसका जोर है, कौन से प्रमुख राजनीतक दल है और चुनावी तैयारियों को लेकर किस तरह की सरगर्मी है।
2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी
सबसे पहले एक नजर डालते हैं राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के गणित पर। मेघालय में विधानसभा की 60 सीटें हैं। साल 2018 में यहां 59 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत हासिल हुई है। एनपीपी दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई, जिसके खाते में 19 सीटें थी। वहीं बीजेपी को 2 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि यूडीपी को 6 सीटें हासिल हुईं थी।
प्रमुख सियासी दल
मेघालय में बीजेपी, कांग्रेस, तृणामूल कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों को वर्चस्व है। क्षेत्रीय दलों में नेशनल पीपुल्स पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, गारो नेशनल काउंसिल, खुन हैन्नीवट्रेप राष्ट्रीय जागृति आंदोलन, नार्थ ईस्ट सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, मेघालय डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख हैं।
मेघालय का गणित
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, हालांकि वो बहुमत से दूर थी। बीजेपी को महज 2 सीटें मिली थीं बावजूद इसके उसने नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के साथ गठबंधन करके यहां अपनी सरकार बना ली थी। इस बार कांग्रेस का यहां जनाधार नहीं दिख रहा है। कांग्रेस के विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। यानी यहां इस बार तृणमूल कांग्रेस का यहां असर देखने को मिल सकता है।कमजोर नजर आ रही है कांग्रेस
एक समय कांग्रेस ने लगभग सभी पूर्वोत्तर राज्यों पर शासन किया था, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी अब मेघालय में कमजोर नजर आ रही है। पूर्वोत्तर के पांच राज्यों के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (असम), माणिक साहा (त्रिपुरा), एन बीरेन सिंह (मणिपुर), पेमा खांडू (अरुणाचल प्रदेश), नेफियू रियो (नागालैंड) कांग्रेस के पूर्व नेता हैं और अब बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारें चला रहे हैं। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद मेघालय में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी थी, लेकिन इसके अधिकांश विधायक तृणमूल कांग्रेस और सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) सहित अन्य दलों में शामिल हो गए हैं।