MG Ramachandran: जब करुणानिधि को खटकने लगी थी दोस्त एमजीआर की प्रसिद्धि, दुश्मनी ने बदल दी तमिलनाडु की राजनीति
MG Ramachandran तमिलनाडु के दो मुख्य राजनीतिक विरोधी गुट एआइडीएमके और डीमके के पुराने नेता एमजीआर और करूणानिधि की दोस्ती के किस्से आज भी मशहूर हैं। हालांकि सियासत की वजह से दोनों दोस्तों के बीच ऐसी दुश्मन हुई जिसने तमिलनाडु की राजनीति बदल दी।
By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 17 Jan 2023 08:35 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। यह एक ऐसी कहावत है, जो अमूमन सभी लोगों ने सुनी है। तमिलनाडु में दो राजनेताओं ने दोस्ती की तो जमकर की और जब दोनों अलग हुए तो तमिलनाडु की तकदीर और तस्वीर बदल दी। एमजीआर के नाम से मशहूर मरुदुर गोपालन रामचंद्रन (MG Ramachandran) और मुत्तुवेल करुणानिधि (M. Karunanidhi) की दोस्ती की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है।
करुणानिधि के पटकथाओं ने एमजीआर को बनाया सुपरस्टार
इन दोनों की दोस्ती के पीछे फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। एक तरफ जहां एमजीआर,एक शानदार अभिनेता थे तो करुणानिधि फिल्मों के लिए पटकथा लिखते थे। करूणानीधि ने एमजीआर के 9 फिल्मों के लिए पटकथा लिखी। 1950 के दौर में करुणानिधि ने मंतिरी कुमारी जैसी फिल्मों के लिए पटकथा लिखी, इस फिल्म की वजह से बतौर कलाकार के रूप में एमजीआर काफी मशहूर हो गए।
साल 1952 में तमिल सिनेमा में फिल्म 'पराशक्ति' रिलीज हुई। इस फिल्म में नास्तिकता, जातिविहीन समतामूलक समाज की विचारधारा को दर्शाया गया, जिस सिद्धांत पर डीएमके पार्टी खड़ी थी। इस फिल्म का संवाद करूणानीधि ने लिखा था। यह फिल्म खुलकर ब्राह्मणवाद का विरोध करती थी। जिसकी वजह से ब्राह्मण समुदाय के अंदर इस फिल्म को लेकर आक्रोश पनप गया। इस फिल्म ने द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम (DMK) की विचारधारा को आगे बढ़ाया।
'पराशक्ति' तमिल सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई। शुरू में इस फिल्म पर बैन लगा दिया गया था, लेकिन अंत में इसे 1952 में रिलीज कर दिया गया। इस फिल्म ने तमिल राजनीति में एक बदलाव ला दिया। इस फिल्म के बाद करुणानिधि का राजनीतिक कद काफी ऊंचा हो गया। वहीं, इसी दौर में एम जी रामचंद्रन फिल्मी परदे पर तमिलनाडु के लोगों का मसीहा बन रहे थे, जो गरीबों की मदद करता और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता।
करूणानिधि के अनुरोध पर डीएमके में शामिल हुए एमजीआर
महात्मा गांधी के विचारधारा पर चलने वाले एमजीआर का साल 1953 में कांग्रेस से मोहभंग हो गया। इसी साल एम करुणानिधि ने अपने दोस्त से अनुरोध किया कि क्यों न वो डीएमके ज्वाइन कर लें। डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरई के विचारधारा को एमजीआर भी पसंद करते थे। एमजीआर ने भी उनकी बात मानते हुए डीएमके पार्टी ज्वाइन कर ली। बता दें कि एमजीआर अपने दोस्त करूणानिधी से सात साल बड़े थे, हाालंकि देखने में करुणानिधी बड़े लगते थे। तमिल सिनेमा के सुपरस्टार ने जब डीएमके ज्वाइन किया तो उनके फैन ने भी डीएमके का समर्थन करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे एमजीआर, डीएमके का मुख्य चेहरा बन गए।