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Modi Cabinet Ministers 2024: ...तो इसलिए अमित शाह समेत इन दिग्गजों को फिर से दिए गए अहम विभाग, जानिए किसे मिला कौन सा मंत्रालय

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नए लोगों में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिले हैं जबकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्रालय में लौट आए। यह विभाग उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी संभाला था इससे पहले उन्होंने 2019 में पहले कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में और फिर 2020 में पूर्ण अध्यक्ष के रूप में भाजपा की कमान संभाली थी।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Mon, 10 Jun 2024 11:41 PM (IST)
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Modi Cabinet Ministers 2024: क्यों दिए गए अमित शाह समेत इन दिग्गजों को फिर से अहम विभाग? (Photo Jagran)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। निरंतरता का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अपनी नई सरकार में चार हाई-प्रोफाइल मंत्रालयों - गृह मंत्रालय अमित शाह, रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह, वित्त निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्रालय एस जयशंकर के पास बरकरार रखा। इन विभागों के प्रभारी चार मंत्री मिलकर सुरक्षा पर महत्वपूर्ण कैबिनेट समिति का गठन करते हैं, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। आइए जानते हैं किस लिए इन्हें फिर से दिए गए अहम विभाग...

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नए लोगों में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिले हैं, जबकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्रालय में लौट आए हैं, यह विभाग उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी संभाला था, इससे पहले उन्होंने 2019 में पहले कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में और फिर 2020 में पूर्ण अध्यक्ष के रूप में सत्तारूढ़ भाजपा की कमान संभाली थी।

राजनाथ को रक्षा मंत्रालय, सुधारों की गति जारी रखने का पुख्ता संदेश

रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी लगातार दूसरी बार राजनाथ सिंह को सौंपकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण के साथ रक्षा क्षेत्र में सुधारों की गति जारी रखने का पुख्ता संदेश दिया है। तीनों सेनाओं को आधुनिक जंग की चुनौतियों के अनुरूप अधिक मारक और स्मार्ट बनाने की परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं जिन्हें अगले कुछ वर्षों में गति दी जानी है। साथ ही तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए संयुक्त थियेटर कमान के गठन का मसला भी निर्णायक दौर में है। आधुनिकीकरण के साथ ही वायुसेना के बेड़े में अगले दशक के दौरान संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करनी है। सैन्य हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिए सेनाओं की आयात पर निर्भरता घटाने के लिए देश में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने की पहल चल रही है। राजनाथ को इस पद पर बनाए रखने से साफ है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की वर्तमान पहल को अब रफ्तार देने की तैयारी है।

अधूरे हैं कुछ बड़े काम, अमित शाह को फिर गृह मंत्रालय की कमान

पिछले कार्यकाल में उन्होंने सरकार की प्राथमिकता को मिशन मोड पर पूरा कराया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने का ऐतिहासिक निर्णय उनके कार्यकाल में हुआ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व भारतीय दंड संहिता बनाने जैसी उपलब्धियां उनके खाते में दर्ज हैं। ड्रग्स कारोबार की कमर तोड़ने के लिए ठोस कदम उठाए और नक्सलवाद पर नकेल कसने में जुटे रहे। आज नक्सलवाद सीमित हो चुका है, लेकिन सरकार उसे निर्मूल करना चाहती है और यह शाह ही कर सकते हैं। पूर्वोत्तर में उग्रवाद को भी उन्होंने लगभग नियंत्रित कर दिया। ऐसे संगठन अब मुख्यधारा में आने लगे हैं। साइबर अपराधों पर नियंत्रण में भी गृह मंत्रालय महती भूमिका निभाने के लिए कमर कसे हुए है। इस कार्यकाल में जनगणना जैसा महत्वपूर्ण काम भी शाह को कराना होगा।

सीतारमण फिर वित्त मंत्री : पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का श्रेय

वर्ष 2020 में आई कोरोना महामारी से जहां दुनिया के बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा गईं, ऊर्जा व खाद्य संकट की चपेट में आ गईं, वहीं भारत इन संकटों से प्रभावित हुए बिना दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश बन गया। निश्चित रूप से यह श्रेय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जाता है। मई, 2020 में उन्होंने आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की। इसके तहत देश में विभिन्न गरीब कल्याण कार्यक्रम के साथ मैन्यूफैक्चरिंग हब एवं इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर भारी खर्च की नई शुरुआत की गई। नतीजा यह हुआ कि अर्थव्यवस्था महामारी के दुष्चक्र में नहीं फंसी और दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंच गई। राजस्व संग्रह लगातार बढ़ने से राजकोषीय घाटे के साथ कर्ज में भी कमी आने लगी और कभी भारत को कमजोर मानने वाली रेटिंग एजेंसियां भारत को विश्वसनीय बाजार बताने लगीं।

बदलाव पूरी तरह अमल में लाने को प्रधान फिर शिक्षा मंत्री

धर्मेंद्र प्रधान को फिर से शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी इस क्षेत्र में बदलाव के लिए उठाए गए कदमों को पूरी तरह से अमल में लाने के लिए दी गई है। इनमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ी वे बड़ी पहल शामिल हैं, जिन्हें योजना के तहत इस वर्ष और अगले वर्ष लागू किया जाना है। इनमें स्कूलों के लिए नई पाठ्य पुस्तकों को भी लागू करना है। साथ ही उच्च शिक्षा के लिए लंबे समय से प्रस्तावित आयोग के गठन का काम भी पूरा करना है। पिछली सरकार में कम समय में ही प्रधान ने मंत्रालय पर पूरी तरह से पकड़ बना ली थी। साथ ही नीति पर अमल को रफ्तार देने का काम भी किया था। इसी अनुभव को देखते हुए उन्हें शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी फिर दी गई है।

वन एवं पर्यावरण पर भूपेंद्र यादव की पकड़ कायम

भूपेंद्र यादव को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी फिर दी गई है। उन्हें यह जिम्मेदारी उनके पिछले कामों को देखते हुए दी गई है। जिसमें उन्होंने वैश्विक स्तर पर देश के पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से रखा था। साथ ही जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों के बीच देश में वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कई नए कामों की शुरुआत भी की थी। इनमें बड़ी संख्या में आ‌र्द्रभूमि (वेटलैंड) का संरक्षण और देश से विलुप्त हो चुके चीतों के पुनर्वास की शुरुआत करना शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर हाल में एक पेड़ मां के नाम से एक बड़े पौधारोपण अभियान की शुरुआत की है, जिसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनकी होगी।

अश्वनी वैष्णव: बड़े काम के खिलाड़ी

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अश्वनी वैष्णव को बतौर मंत्री रेलवे, आइटी और संचार विभाग में लाया गया था ताकि बड़े सुधार के काम हो सकें। उन्होंने यह करके दिखाया भी था। रेलवे के आधुनिकीकरण के साथ-साथ विस्तार और सुरक्षा का काम उन्होंने बखूबी करके दिखाया था। सेमीकंडक्टर के लिए विदेशों से बड़ा निवेश लाने मे उन्होंने भूमिका निभाई और भारत यह दावा करने की स्थिति में हो पाया कि इस वर्ष के अंत तक पहला भारत निर्मित चिप तैयार होगा। विवादित डाटा प्रोटेक्शन बिल लेकर आए और पारित भी कराया। संचार के क्षेत्र में पहली बार भारत निर्मित प्रोडक्ट का निर्यात शुरू हुआ। एक मायने में उन्होंने रोजगार सृजन की दिशा में बड़ा काम करके दिखाया। सूचना प्रसारण मंत्रालय में उनका अनुभव भले ही न रहा हो लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि 2024 लोकसभा चुनाव में उन्होंने ही मीडिया की जिम्मेदारी संभाली थी। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

पीयूष गोयल फिर वाणिज्य व उद्योग मंत्री, निर्यात 450 अरब के पार

कोई भी देश वैश्विक कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए बगैर विकसित नहीं बन सकता। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 2019 में जब वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय का कार्यभार संभाला था तो देश का वस्तु निर्यात 330 अरब डालर था और पूर्व के 10 वर्षों से 250 से 330 अरब डालर के बीच ही घूम रहा था। लेकिन निर्यात के लिए नीतिगत फैसले, भारतीय वस्तुओं की ब्रांडिंग, नए बाजार की तलाश, निर्यात के लिए नई वस्तुओं की खोज जैसे प्रयासों से गोयल के कार्यकाल में पहली बार देश का वस्तु निर्यात 450 अरब डालर को पार कर गया। पहली बार भारत ने यूएई और आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के साथ व्यापार समझौता किया। विश्व व्यापार संगठन के मंच पर दुनिया के गरीब एवं विकासशील देशों की आवाज उठाकर भारतीय नेतृत्व को मजबूती प्रदान की। छोटे-छोटे उद्यमियों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया और जीडीपी में निर्यात का योगदान बढ़ता चला गया।

जेपी नड्डा : स्वास्थ्य मंत्री के रूप में वापसी

प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय जेपी नड्डा के पास ही था। उन्होंने मोदी के पहले कार्यकाल में नौ नवंबर, 2014 से लेकर 30 मई, 2019 तक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में काम किया था। इसके बाद दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भाजपा का नेतृत्व किया। माना जाता है कि नड्डा के मोदी के साथ मधुर संबंध हैं।

शिवराज के नेतृत्व में होगा कृषि की कहानी का विस्तार

कृषि और ग्रामीण विकास का अपने नए मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अन्योन्याश्रय संबंध है। ऐसा इसलिए कि मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में जितना विकास शिवराज सरकार में हुआ, उतना किसी अन्य सरकार में नहीं। अब देशभर के किसानों को शिवराज से मध्य प्रदेश की तरह ही कृषि क्षेत्र के विस्तार, उत्पादकता में नवाचार एवं संरक्षण की अपेक्षा होगी। शिवराज के सामने भी कृषि में विविधता लाकर किसानों की स्थिति में सुधार के लिए मध्य प्रदेश माडल को लागू करने की बड़ी चुनौती होगी। मध्य प्रदेश की राजनीति में रहते हुए उन्होंने बड़ा चमत्कार एमएसपी पर गेहूं खरीद में किया। उनके कार्यकाल में सिंचाई का भी विस्तार हुआ। राज्य में कृषि ऋण पर किसानों को ब्याज नहीं देना पड़ता।

वैश्विक चुनौतियों से पार पाएंगे जयशंकर

एस. जयशंकर ने 2019 से विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने वैश्विक मंच पर कई जटिल मुद्दों पर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अपनी क्षमता का आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन किया है। यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर मास्को से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी आलोचना को कम करने से लेकर मुखर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति तैयार करने तक जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में प्रदर्शन के प्रभावशाली रिकार्ड वाले मंत्रियों में से एक रहे हैं। उन्हें विदेश नीति के मामलों को घरेलू चर्चा में लाने का श्रेय भी दिया जाता है, खासकर भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान। अब सीमा पर चीन की धौंस जमाने वाली रणनीति से उत्पन्न चुनौतियों से निपटना, पश्चिम एशिया की स्थिति और यूक्रेन में संघर्ष के मद्देनजर भारत के हितों की रक्षा उनकी प्रमुख प्राथमिकताएं रहने की उम्मीद है।

मनोहर लाल : प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन का होगा दायित्व

मनोहर लाल को प्रधानमंत्री मोदी का बेहद करीबी माना जाता है। भाजपा में आने से पहले 17 वर्षों तक वह आरएसएस से जुड़े रहे थे। केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय के मुखिया के तौर पर उन पर मोदी सरकार की पीएम आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) और महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना सहित विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं को क्रियान्वित करने का दायित्व होगा।

नितिन गडकरी: हाईवे मैन आफ इंडिया

'हाईवे मैन आफ इंडिया' के नाम से लोकप्रिय नितिन गडकरी देश के सबसे लंबे समय तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री रहने वाले व्यक्ति हैं। पिछले 10 वर्षों में देश में 54,858 किलोमीटर से अधिक राजमार्गों के निर्माण का श्रेय उन्हें दिया जाता है। उनके नेतृत्व में सड़क मंत्रालय का लक्ष्य इस वर्ष दिसंबर तक 1,386 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा करने का है। इसके अलावा कई अन्य परियोजनाएं उनकी प्राथमिकताओं में होंगी।

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