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महिला आरक्षण पर मोदी सरकार ने चला बड़ा दांव, I.N.D.I.A गठबंधन में फंसा पेंच; विरोध में उतरीं ये पार्टियां

समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक महिला आरक्षण बिल ( Modi Government on Women Reservation Bill ) आज लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे। विधेयक को सदन में पारित कराने के लिए कल 20 सितंबर को सदन में चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक 21 सितंबर को राज्यसभा में यह बिल पेश होगा। अब जान लेते है कि आखिर ये बिल है क्या और कौन इसके पक्ष- विपक्ष में है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Tue, 19 Sep 2023 12:57 PM (IST)
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I.N.D.I.A गठबंधन में फंसा पेंच (Image: Jagran Graphic)
नई दिल्ली, ANI। Women's Reservation Bill: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने अपना बड़ा दांव चल दिया है। नए संसद का श्रीगणेश हो चुका है और इसी के साथ मोदी सरकार द्वारा लाए गए महिला आरक्षण बिल विधेयक पर बुधवार को चर्चा होगी। वैसे तो इस बिल को कांग्रेस और बीआरएस जैसी पार्टियों का पूरा समर्थन मिल रहा है, लेकिन कुछ पार्टियां है जो इसका जमकर विरोध भी कर रही है। जेडीयू और आरजेडी चाहती है कि महिला आरक्षण आए, लेकिन कुछ बदलाव के साथ।

नीतिश और लालू की पार्टियों का मानना है कि इस आरक्षण में भी सब-कोटा दिया जाए। सब-कोटा जैसे एससी, एसटी और ओबीसी (SC, ST and OBC) के तहत महिलाओं को आरक्षण मिले। इस खटपट के बीच I.N.D.I.A गठबंधन में दरार आती दिख रही है, क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी सब-कोटा की मांग नहीं की। इससे कांग्रेस और सहयोगियों में मतभेद बनने की आशंका है।

क्या है बिल?

समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, महिला आरक्षण बिल आज लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे। विधेयक को सदन में पारित कराने के लिए कल 20 सितंबर को सदन में चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, 21 सितंबर को राज्यसभा में यह बिल पेश होगा। अब जान लेते है कि आखिर ये बिल है क्या और कौन इसके पक्ष-विपक्ष में है।

अगर पास हो गया बिल तो...

पिछले 27 सालों से महिला आरक्षण बिल अटका पड़ा है। मोदी कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। 1996 से अब तक इस बिल को लेकर कुछ भी अहम कदम नहीं उठाए गए है। इस बिल के मुताबिक, संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देना है। अगर ये बिल पूर्ण सहमति से कानून बन जाता है तो 2024 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिल जाएगा।

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इस बिल के पक्ष में कौन-कौन?

  • कांग्रेस और भाजपा महिला आरक्षण बिल को लेकर एक साथ है।
  • उद्धव ठाकरे की शिव सेना गुट, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी इस बिल का समर्थन कर रही है।
  • कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मोदी कैबिनेट द्वारा पेश किए गए महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है।

इस बिल के पक्ष में कौन नहीं?

इस बिल के तहत महिला को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात कहीं गई है। हालांकि, लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा इस बिल में सब-कोटा लाने में अड़ी हुई है। माना जा रहा है कि वह इस बिल को समर्थन नहीं देंगे।

कोटा में भी सब-कोटा, I.N.D.I.A में लाएगी दरार?

महिला आरक्षण बिल का समर्थन न करने वाले पार्टियों का क्या है कहना, आइये यहां समझते है....

अगर ऐसा नहीं होता है तो....

RJD सांसद मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर विरोध जताया है। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए मनोज ने कहा, 'हम महिला आरक्षण बिल पर सरकार की मंशा पर और स्पष्टता चाहते हैं। लालू यादव के समय से हमारी पार्टी का मानना है कि अगर आपका विचार प्रतिनिधित्व बढ़ाने का है तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक आप एससी, एसटी और ओबीसी को कोटा नहीं देंगे। कोटा के अंदर कोटा होना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो हमें सामाजिक न्याय पर लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।'

महिला आरक्षण बिल पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माजी का कहना है, 'हम इसका स्वागत करते हैं क्योंकि हम खुद लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं। चूंकि मैं एक आदिवासी राज्य से हूं, इसलिए मैं चाहती हूं कि इस विधेयक में एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं को आरक्षण मिले। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसका सारा लाभ उच्च वर्ग की महिलाएं ले लेंगी।'

33 फीसदी के पक्ष में ये पार्टियां

महिला आरक्षण बिल पर शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है, 'यह बिल बहुत पहले लाया जाना चाहिए था। यह 2014 में बीजेपी के घोषणापत्र में था, लेकिन यह मोदी सरकार के 9.5 साल बाद हो रहा है।

मुझे उम्मीद है कि इससे महिलाएं सही तरीके से सशक्त होंगी। मुझे उम्मीद है कि विधेयक यथाशीघ्र पारित हो जाएगा। ANI से बात करते हुए प्रियंका ने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह विधेयक 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू होगा और 33% महिलाएं निर्वाचित होंगी और देश के विकास में भाग लेंगी।'

महिला आरक्षण विधेयक पर आप सांसद सुशील गुप्ता ने कहा, 'एक दशक से यह विधेयक राज्यसभा से पारित होने के बाद लंबित था। इसे लगभग दस साल पहले पारित हो जाना चाहिए था जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी।

इसके लिए विशेष सत्र बुलाना पड़ा। देर आये दुरुस्त आये, ऐसा होना ही चाहिए। महिलाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए। आप पार्टी हमेशा महिलाओं के बेहतर प्रतिनिधित्व के समर्थन में है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह बिल कांग्रेस सरकार के दौरान राज्यसभा में पारित हुआ था, लेकिन लोकसभा में यह पारित नहीं हो सका। उस समय के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दोषी हैं।'

महिला आरक्षण बिल पर हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, 'निश्चित तौर पर कल केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में महिला आरक्षण बिल लाने की बात कही है। हम इसका स्वागत करते हैं। इस मुद्दे को अतीत में लगातार कांग्रेस सरकारों द्वारा लगातार उठाया गया है।

विक्रमादित्य सिंह ने आगे कहा, 'इसी संदर्भ में 2019 में राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था। जैसा कि हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने कहा है कि जब यह मामला दोबारा लोकसभा और राज्यसभा में आएगा तो कांग्रेस पार्टी इसका समर्थन करेगी और इसे मुकाम तक पहुंचाने में मदद करेगी। हमारा मानना है कि 'आधी आबादी' को उनका पूरा हक मिलना चाहिए।'

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