विभाजन की वजह बन सकता है जनसंख्या असंतुलन, भागवत के इस बयान पर ओवैसी बोले- Population Control की जरूरत नहीं
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि किसी भी देश में जनसंख्या असंतुलन उस देश के विभाजन का कारण बन सकता है। वहीं AIMIM Chief असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि देश पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर चुका है।
By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Wed, 05 Oct 2022 10:55 PM (IST)
मुंबई, ब्यूरो/एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि किसी भी देश में जनसंख्या असंतुलन उस देश के विभाजन का कारण बन सकता है। सरसंघचालक ने लगातार दूसरे वर्ष संघ की विजयदशमी रैली में जनसंख्या असंतुलन के खतरों के प्रति आगाह किया है। इस बयान पर एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि देश पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर चुका है।
ओवैसी ने उठाया सवाल
वह जनसंख्या नीति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, हिंदुओं और मुसलमानों का यदि एक ही डीएनए है तो असंतुलन कहां है। जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है। चिंता एक बूढ़ी होती आबादी और बेरोजगार युवाओं को लेकर है। मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे ज्यादा गिरावट आई है।
जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय
भागवत ने नागपुर में दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत को व्यापक सोच के साथ जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए। यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।देश विभाजक हो सकता है जनसंख्या असंतुलन : मोहन भागवत
मोहन भागवत ने नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में संघ की परंपरागत दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हम जनसंख्या असंतुलन का परिणाम एक बार भुगत चुके हैं। ऐसा केवल हमारे साथ ही नहीं हुआ है। पूर्वी तिमोर, दक्षिणी सूडान और कोसोवो जैसे देश इंडोनेशिया, सूडान और सर्बिया जैसे देशों के भूभाग में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ने का कारण बन चुके हैं।जनसंख्या संतुलन समय की जरूरत
मोहन भागवत ने कहा- हमें समझना होगा कि जब-जब जनसांख्यिकीय असंतुलन होता है, तब-तब उस देश की भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। उन्होंने कहा कि जन्मदर में असमानता के साथ-साथ लोभ, लालच, जबर्दस्ती से चलने वाला मतांतरण भी जनसंख्या असंतुलन का बड़ा कारण बनता है। हमें इसका भी ध्यान रखना होगा। मोहन भागवत के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्त्व का विषय है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।