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जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समाज को ST दर्जा, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अमित शाह को दी बधाई

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ट्वीट कर पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा कि यह केवल पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में संभव हो सकता था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2022 02:52 PM (IST)
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अमित साह को बधाई दी
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। गृहमंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति यानी ST में शामिल करने का ऐलान किया। रजौरी में एक रैली संबोधित करते हुए शाह ने कहा, आपके साथ अब तक अन्याय हुआ है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ट्वीट कर पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा कि यह केवल पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में संभव हो सकता था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को बदलने का साहस और दृढ़ विश्वास हो।

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर 2022 जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय के लोगों को आरक्षण देने का ऐलान किया था। आधिकारिक तौर पर पहाड़ी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने पर मुहर लग गई है. मंगलवार को इसका ऐलान करते हुए उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने जस्टिस शर्मा कमीशन की सिफारिशाें को लागू करने का आदेश दिया है। आर्टिकल 370 हटने के बाद ऐसा संभव हो पाया है। प्रक्रिया पूरी होते ही लोगों को आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।

 लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे पहाड़ी

गौरतलब है कि पहाड़ी भाषाई अल्पसंख्यक हैं। जम्मू के राजौरी व पुंछ के पहाड़ों और कश्मीर के कुपवाड़ा व बारामूला जिलों में इनकी आबादी रहती है। पहाड़ी समुदाय लंबे समय से ST दर्जा पाने के लिए संघर्षरत हैं क्योंकि उनके साथ रहने वाले दूसरे समुदाय गुर्जरों और बकरवालों को 1991 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया था। उन्हें नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसद का आरक्षण मिल रहा है।

पहाड़ी समुदाय आरक्षण के लिए पिछले 3 दशक से संघर्ष कर रहे हैं। समुदाय के लोगों का कहना है, हम 1989 से आरक्षण की जंग लड़ रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में अमित शाह ने पहाड़ी समुदाय से ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी। 3 दशक के लम्बे इंतजार के बाद अब मांग पूरी हुई है।

किसी जाति को SC और ST में कैसे शामिल किया जाता है?

संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत किसी भी जाति को एससी या एसटी की लिस्ट में शामिल करने का अधिकार केवल संसद के पास है। यदि किसी जाति को एससी या एसटी में शामिल करना है तो राज्य सरकार सबसे पहले इससे जुड़ा एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजती है।

केंद्र सरकार प्रस्ताव को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को भेजता है। रजिस्ट्रार जनरल की अनुमति मिलने के बाद इसे एससी या एसटी आयोग को भेजा जाता है। यहां अनुमति मिलने के बाद कैबिनेट के पास जाता है। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद यह संसद में आता है और संसद में मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इससे जुड़ा आदेश जारी करते हैं। फिर यह कानून बन जाता है।