नरसिम्हा राव के लिए बदली कांग्रेस की भावना, सोनिया गांधी ने पहली बार की प्रशंसा
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव की कांग्रेस द्वारा प्रशंसा इसलिए आश्चर्यजनक है क्योंकि उनके प्रधानमंत्रित्व काल से लेकर उनकी मौत तक गांधी परिवार और उनके बीच संबंध खराब ही रहे।
By Tilak RajEdited By: Updated: Fri, 24 Jul 2020 11:44 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यह भूल का अहसास भी हो सकता है या फिर राजनीतिक मजबूरी, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव की प्रशंसा ने सबको चौंकाया जरूर है। शुक्रवार को कांग्रेस में भुला दिए गए राव के योगदान की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। सोनिया की ओर से यह पहली सार्वजनिक प्रशंसा है। इसमें उन्होंने राव को पक्का कांग्रेसी भी करार दिया।
पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने नरसिंहा राव की याद में मेमोरियल बनाने की बात कही थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की ओर से भी राव के योगदान को याद किया गया था। शायद अब कांग्रेस को इसका अहसास हुआ है कि अगर राव की विरासत पर दावे में अब देरी हुई तो फिर तेलंगाना पूरी तरह हाथ से निकल जाएगा।शायद यही कारण है कि शुक्रवार को हैदराबाद मे प्रदेश कांग्रेस की ओर से मनाए जा रहे कार्यक्रम में सोनिया गांधी के पत्र पढ़े गए। इसमें सोनिया ने आर्थिक संकट के दौरान प्रधानमंत्री के रूप में साहसिक फैसलों से देश को नई दिशा देने का श्रेय राव को दिया गया। सोनिया गांधी के अनुसार, 24 जुलाई, 1991 के केंद्रीय बजट ने देश के आíथक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया।
इसी तरह राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव के फैसलों और देश में आर्थिक उदारीकरण के नए युग के शुरुआत को युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बताया। वहीं, नरसिम्हा राव के साथ वित्तमंत्री के रूप में उदारीकरण को शुरू करने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें देश में आर्थिक सुधारों का जनक बताया। मनमोहन सिंह के अनुसार, मुश्किल घड़ी में कड़े फैसले लेने के लिए नरसिम्हा ने उन्हें खुली छूट दे रखी थी। मनमोहन सिंह ने कहा कि असल में नरसिम्हा को अच्छी तरह पता था कि उस समय बीमार भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे ठीक किया जा सकता है।
दरअसल, राव की यह प्रशंसा इसलिए आश्चर्यजनक है, क्योंकि उनके प्रधानमंत्रित्व काल से लेकर उनकी मौत तक गांधी परिवार और उनके बीच संबंध खराब ही रहे। आरोप तो यह भी लगता रहा कि राव की मौत के बाद भी उन्हें पार्टी से सही सम्मान नहीं मिला। 1996 में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद कांग्रेस से उन्हें किनारा करने की कोशिश हुई और पार्टी की उपलब्धियों में शायद ही कभी राव के कार्यकाल के गिनाया जाता हो।