विवादित टिप्पणी पर महिला और बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जीतू पटवारी से मांगी सफाई
राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बेटियों के संबंध में टिप्पणियां करने को लेकर कांग्रेस नेता जीतू पटवारी से सफाई मांगी है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 26 Jun 2020 04:35 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women, NCW) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बेटियों के संबंध में टिप्पणियां करने को लेकर कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के विधायक जीतू पटवारी से स्पष्टिकरण मांगा है। पटवारी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधने के लिए ट्वीट कर कहा था कि 'बेटा विकास तो अब तक पैदा नहीं हुआ लेकिन उसकी चाहत में पांच बेटियां पैदा हो गईं- नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई, बेरोजगारी...'
एनसीपीसीआर (The National Commission for Protection of Child Rights) ने कहा कि कांग्रेस नेता के इस ट्वीट ने बेटी के बजाय बेटे को प्राथमिकता देने की सदियों पुरानी गलत सोच का समर्थन किया है। यह टिप्पणी कांग्रेस नेता की बेटियों के प्रति मानसिकता और रवैये को भी दर्शाती है। आयोग ने कहा है कि इसी गलत सोच के कारण देश में कन्या भ्रूण हत्या की दर में इजाफा हुआ है। आयोग ने पटवारी को भेजे पत्र में कहा है कि एक नेता का किसी पर राजनीतिक निशाना साधने के लिए नैतिकता का उल्लंघन करना और इससे समाज को होने वाले नुकसान की अनदेखी करना गलत है।
एनसीपीसीआर ने कहा है कि आपसे गुजारिश है कि आप इस टिप्पणी के लिए माफी मांगें और आयोग को इस संबंध में तीन दिन में जवाब प्रेषित करें। उधर, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा (NCW Chairperson Rekha Sharma) ने पटवारी को पत्र लिखकर उनसे इस ट्वीट पर सफाई देने को कहा है। आयोग ने कहा है कि वह समाज को गलत संदेश देने वाली और बेटियों पर की गई इन नारी विरोधी टिप्पणी की निंदा करता है। बच्चियों के खिलाफ इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणियां एक नेता को शोभा नहीं देता।
जीतू पटवारी की टिप्पणी को लेकर सियासत भी गरमा गई है। सीएम शिवराज ने कांग्रेस से पटवारी को बाहर करने या पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा माफी मांगने की मांग की। वहीं पटवारी ने विवाद बढ़ता देख अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है। उन्होंने सफाई देते हुए अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि मोदी जी ने नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई, बेरोज़गारी और मंदी से देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। जनता यह सब केवल 'विकास' की उम्मीद में सहन करती रही। उपरोक्त आशय के साथ किए गए मेरे ट्वीट से यदि किसी की भावनाए आहत हुई हैं तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।