Agricultural bills: जंतर मंतर पर भी सामने आए कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच मतभेद
पंजाब के मुख्यमंत्री अपने सभी विधायकों के साथ दिल्ली के राजघाट में धरना देंगे और धरने का नेतृत्व करेंगे। इस दौरान वह पंजाब के बिजली संकट के साथ मालगाड़ियों की आवाजाही और आवश्यक आपूर्ति की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी भी मुहैया कराएंगे।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 04 Nov 2020 02:08 PM (IST)
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दिल्ली के जंतर मंतर पर संसद द्वारा हाल ही में पारित कृषि संबंधी 3 कानूनों को लेकर पंजाब सरकार द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस धरना प्रदर्शन में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी सरकार के पूर्व मंत्री व कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्दू के बीच मतभेद खुलकर सामने आए।
दरअसल, बुधवार को जंतर मंतर पर धरने के दौरान कैप्टन अमरिंदर के साथ पंजाब सरकार के कई मंत्रियों, विधायक, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ अन्य दलों के नेता मंच साझा कर रहे थे। अमरिंदर से पहले बोलते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने इसे काला कानून बताते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। कहा कि यह तानाशाही की सरकार है और यह कानून देश के केवल 2 उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा अंबानी और अडानी के गोदामों को भरने के लिए यह कानून है, इनके गोदाम में पहले से अनाज भरा पड़ा है और गरीब लोग भूखों मर रहे हैं। इस काले कानून से किसानों के सामने भुखमरी की नौबत पैदा हो जाएगी। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने चुटकुले अंदाज में वह जोरदार तरीके से भाषणबाजी की। इस दौरान यह भी कहा कि यह लड़ाई अभी जारी रहेगी। वहीं, उनके बाद बोलने उतरे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह कोई लड़ाई लड़ने नहीं आए हैं। वह अंबानी और अडानी के खिलाफ भी नहीं हैं। वह केवल अपने प्रदेश के 75 फीसद किसानों की आवाज रखने आए हैं, जिनका अपने आढ़तियों से दशकों से पारिवारिक रिश्ता है। जरूरत के समय आधी रात को भी किसान अपने आढ़ती से आर्थिक मदद ले लेता हैं। यह कानून उस रिश्ते को बिगाड़ने जाता है। यह सुनने के बाद सिद्धू का मिजाज खराब हो गया और जैसे ही धरना उठा वह बिना दुआ सलामी के अकेले मंच से निकल गए।
पंजाब में बिजली संकट का खतरा
पिछले महीने संसद द्वारा पारित कृषि बिलों के खिलाफ पूरे पंजाब में किसानों का प्रदर्शन जारी है और इसे पंजाब सरकार भी समर्थन दे रही है। पंजाब में किसानों के धरने की वजह से मालगाड़ियों की आवाजाही प्रभावित है, जिससे राज्य के 5 थर्मल प्लांटों में कोयले की कमी की वजह से बिजली उत्पादन भी रुक गया है। इससे अब बिजली संकट पैदा हो गया है।
राष्ट्रपति ने नहीं दिया मुलाकात का समय
बताया जा रहा है कि इन सभी मुद्दों को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर प्रदेश के सभी विधायकों के साथ दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलना चाहते थे, लेकिन मुलाकात के लिए राष्ट्रपति की ओर से समय नहीं दिया गया। इससे नाराज कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी विधायकों के साथ धरने पर बैठने की बात कही है।
पंजाब में ब्लैक आउट का खतरा इन दिनों समूचे पंजाब में तीन से चार घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। इसी के साथ राज्य में खाद की भी किल्लत होने लगी है। साथ ही उद्योगों में सामान का स्टॉक बढ़ने लगा है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर 4 नवंबर की सुबह राजघाट पर धरना देंगे।
गौरतलब है कि कृषि बिलों के खिलाफ किसान लगातार आंदोलनरत हैं। इसके चलते पंजाब में रेल गाड़ियों की आवाजाही ठप है। इसके चलते आम ट्रेन यात्रियों के साथ सामान की आवाजाही नहीं होने से आने वाले समय में समस्या और भी गंभीर हो सकती है। Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो