Indian Intellectual Muslim Meet: पीएम मोदी और भाजपा विरोध की धुरी पर खड़ा होगा एक और मुस्लिम संगठन, कश्मीर से केरल तक के नेता हुए शामिल
किसी भी मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को घेरने के लिए हमेशा तैयार रहने वाले कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी अब एक जमात बनाकर विरोध की रणनीति बना रहे हैं। इसे गैर राजनीतिक और गैर धार्मिक संगठन का आवरण देने का प्रयास किया जा रहा है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 30 May 2022 01:17 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। किसी भी मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को घेरने के लिए हमेशा तैयार रहने वाले कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी अब एक जमात बनाकर विरोध की रणनीति बना रहे हैं। इसे गैर राजनीतिक और गैर धार्मिक संगठन का आवरण देने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, इसकी हकीकत आयोजन में जुटे राजनीतिक और धार्मिक लोगों के कारण खुलकर सामने आ गई। जमात के रोल माडल वे युवा होंगे, जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर शाहीन बाग से लखनऊ तक आंदोलन किया था।
मोदी विरोधी मोहम्मद अदीब ने तैयार की जमात की जमीन इस जमात की जमीन राज्यसभा के जिन पूर्व सदस्य मो. अदीब ने तैयार की है, वह कट्टर मोदी विरोध के लिए जाने जाते हैं। जमात में कुछ ऐसे राजनेता, मुस्लिम धर्मगुरु, अधिवक्ता व शिक्षाविद् को जोड़ने की तैयारी है, जो भाजपा और संघ के विरोध में विभिन्न मंचों पर अपनी राय रखते रहे हैं।
फारूक अब्दुल्ला, खुर्शीद और शफीकुर्रहमान जैसे नेताओं की चर्चा
राजधानी के ऐवान-ए-गालिब सभागार में रविवार को दिनभर जमात बनाने के मुद्दे पर विचार विमर्श हुआ, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला, सलमान खुर्शीद और के. रहमान खान, पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी, अनंतनाग से नेशनल कांफ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी, उत्तर प्रदेश के संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क व इत्तेहाद मिल्लत -ए-काउंसिल के तौकीर रजा खान जैसे लोग शामिल थे।
जमात के गैर-राजनीतिक होने के मुद्दे पर वक्ताओं में मतभेद भी धरातल पर नजर आए। इस सबसे अलग फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर पाकिस्तान से बातचीत का राग अलापते हुए कहा कि कश्मीर में लोगों के दिलों को सेना के जरिये नहीं, प्यार-मोहब्बत से ही जीता जा सकता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा, कश्मीर में रोज़ मौतें हो रही हैं। कोई दिन ऐसा नहीं है, जब मौत नहीं हो रही है। इतनी फौज़ भर दी गई है, जितने वहां लोग भी नहीं हैं। शांति लाने के लिए। शांति नहीं आएगी। जब तक आप लोगों का दिल नहीं जीतेंगे और लोगों के दिल जीतने के लिए फौज़ की ज़रूरत नहीं है, मोहब्बत की ज़रूरत है। उनको समझने की ज़रूरत है।