Move to Jagran APP

राममंदिर बनाने को लेकर दिल्ली में जुटे मुस्लिम, जंतर-मंतर पर किया प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि राममंदिर को तोड़कर उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस कारण वह इस्लाम के अनुसार पूजा स्थल नहीं रहा।

By Vikas JangraEdited By: Updated: Mon, 17 Dec 2018 07:48 AM (IST)
राममंदिर बनाने को लेकर दिल्ली में जुटे मुस्लिम, जंतर-मंतर पर किया प्रदर्शन
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अयोध्या में भव्य राममंदिर बनाने की मांग को लेकर देशभर से जुटे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जंतर-मंतर पर रविवार को धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि राममंदिर को तोड़कर उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस कारण वह इस्लाम के अनुसार पूजा स्थल नहीं था। इसलिए उस पर सियासत गलत है। इसे लेकर उन्होंने सभी दलों से राममंदिर बनाने में सहयोग की अपील भी की। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले आयोजित धरना-प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार को ज्ञापन भी सौंपा गया। 

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आम मुस्लिम भी राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में है। वे श्रीराम को ‘इमाम-ए-हिंद’ के नाम से जानते हैं। लोकप्रिय गीत ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’ लिखनेवाले प्रसिद्ध उर्दू कवि अल्लामा इकबाल, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान गए, वह भी भगवान राम को ‘इमाम-ए-हिंद’ के रूप में गौरवान्वित करते हुए लिखते हैं- है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज, अहले नजर समझते हैं उसको इमामे हिंद। यहां तक कि पवित्र कुरान में भी यह उल्लेख है कि अल्लाह ने एक लाख चौबीस हजार नबियों को अलग-अलग समय पर और अलग-अलग देशों और मानव समूहों में मार्गदर्शन करने के लिए भेजा था और पैगंबर मोहम्मद उनमें से आखिरी नबी थे। कुरान में लगभग 20-25 नबियों का नाम भी दिया गया है। आज से 1400 साल पहले आए पैगंबर ने भी इस बात को माना है कि श्रीराम इस धरती पर उनसे कई सदी पहले आए थे। पैगंबर और उनके सच्चे अनुयायियों की आंखों में श्रीराम स्वयं ही एक नबी हैं और वे सब भी यही मानते हैं कि श्रीराम का जन्मस्थान अयोध्या ही है। लेकिन बाबर व उसके सरदार मीर बांकी ने 1526 ईसवी में राममंदिर को नष्ट कर दिया था। जिस बाबर के सरदार ने इस मंदिर का विध्वंस कर मस्जिद बनवाई, उस बाबर से भारत के मुसलमानों का कोई वास्ता नहीं हैं।

बिना विवादित भूमि ही नमाज के लिए बेहतर

मौलाना कौकब मुज्तबा ने कहा कि इस्लाम के अनुसार, पूरी भूमि ही नमाज अदा करने के लिए पाक और पवित्र है। नमाज के समय एक सच्चा मुसलमान जहां कहीं भी हो अपनी नमाज अदा कर सकता है। किसी पवित्र और बिना विवाद की भूमि पर बनी मस्जिद नमाज के लिए बेहतर है। इस्लाम के अनुसार, पवित्र भूमि वह है जो वक्फ में दी जाती है, या किसी के द्वारा दान की जाती है या सच्ची मेहनत की कमाई से खरीदी जाती है। लेकिन, हर स्थिति में बुनियादी नियम यही है कि उस भूमि पर किसी अन्य धर्म की कोई भी संरचना नहीं होनी चाहिए। यदि उस संरचना को नष्ट करना जरूरी हो तो उसके लिए उचित मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए। धरना प्रदर्शन में मौलाना शोएब काशमी, मौलाना कोकब मुज्तबा, मौलाना रजा रिजवी के अलावा जेएनयू के प्रोफेसर डा शाहिद अख्तर समेत कश्मीर से नजीर मीर, हरियाणा से खुर्शीद राजका, दिल्ली से यासिर जिलानी, गुजरात से जहीर भाई कुरैशी, उत्तर प्रदेश से जहीर अहमद, राजस्थान से आसिफा अली, बिहार से अल्तमस बिहारी समेत अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

दिल्ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें