पंजाब से चुनाव हारने वाले नेताओं को पीएम मोदी क्यों बनाते हैं मंत्री? 2014 से अब तक तीन बार ऐसा कर चुके
चुनाव हारने के बावजूद मोदी के मंत्रिपरिषद में शामिल होने वाले रवनीत सिंह बिट्टू तीन बार कांग्रेस से सासंद रहे हैं। वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते है। 31 अगस्त 1995 को खालिस्तानी आतंकियों ने बम धमाके में बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। रवनीत सिंह बिट्टू ने पहली बार 2009 में लोकसभा चुनाव जीता था।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। मोदी के मंत्रिमंडल में 71 मंत्रियों ने शपथ ली। मगर सबसे अधिक निगाहें पंजाब से आने वाले रवनीत सिंह बिट्टू पर रहीं। दरअसल, चुनाव हारने के बाद भी रवनीत सिंह बिट्टू को मोदी की टीम में शामिल किया गया। हालांकि यह पहला वाकया नहीं है। इससे पहले भी पंजाब में लोकसभा चुनाव हारने वाले दो नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी अपनी टीम में शामिल कर चुके हैं। आइए नजर डालते हैं उन नेताओं पर जिन्हें चुनाव हारने के बाद भी केंद्रीय मंत्री बनाया गया...
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अरुण जेटली
पंजाब की अमृतसर लोकसभा सीट पर 2014 में दिग्गज भाजपा नेता अरुण जेटली ने चुनाव लड़ा था। मगर कांग्रेस ने उनके खिलाफ कैप्टन अमरिंदर सिंह को उतार दिया था। नतीजा यह हुआ कि अरुण जेटली को 102770 मतों से हार का सामना करना पड़ा। हार के बावजूद मोदी के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली का कद बढ़ा और उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया।हरदीप सिंह पुरी
लोकसभा चुनाव हारने के बाद मंत्री बनने वाले नेताओं में हरदीप सिंह पुरी का भी नाम शामिल है। 2019 में हरदीप सिंह पुरी ने पंजाब के अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था। कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह औजला ने पुरी को 99626 मतों से शिकस्त दी थी। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव हारने के बावजूद हरदीप सिंह पुरी को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी। उन्हें अपने दूसरे कार्यकाल में आवास और शहरी मामलों व पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री बनाया।
रवनीत सिंह बिट्टू
पंजाब की लुधियाना लोकसभा सीट से दो बार के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन की। मगर भाजपा की टिकट पर लुधियाना से चुनाव नहीं जीत सके। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने 20942 मतों से हरा दिया। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री के तौर पर बिट्टू को अपनी टीम में शामिल कर बड़ा तोहफा दिया है।यह वजह तो नहीं!
दरअसल, भाजपा की निगाहें अब पंजाब में हैं। पार्टी यहां हर हाल में अपने पैर पसारना चाहती है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को दो-दो सीटों पर जीत मिली थी। अरुण जेटली भाजपा के बड़े चेहरे थे। हार के बावजूद उन्हें कैबिनेट में शामिल करना लाजिमी था। 2019 में हरदीप पुरी को अमृतसर सीट जीतने का टास्क दिया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिलने पर भी मोदी ने उन्हें निराश नहीं किया।
नवजोत सिंह सिद्धू के पार्टी से जाने के बाद भाजपा को पंजाब में एक बड़े सिख चेहरे की तलाश है। शायद अब उसकी निगाहें रवनीत सिंह बिट्टू पर टिकी हैं। इसकी झलक बिट्टू के एक बयान पर दिखती है। शपथ ग्रहण से पहले बिट्टू ने कहा था कि अगर सीएम बनने का मौका मिला तो जरूर बनेंगे।