अनिंदो मजूमदार से रहा है दिल्ली सरकार का छत्तीस का आंकड़ा, अब आगे होगा क्या
मजूमदार को लेकर दिल्ली सरकार का छत्तीस का आंकड़ा है। मजूमदार को लेकर मई 2015 में केजरीवाल सरकार का विरोध चरम पर था।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 16 Jun 2018 04:47 AM (IST)
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जिस दिन से बनी है उस दिन से आज तक कुछ नहीं बदला है। पहले भी आप की अनशन और विरोध की राजनीति होती थी और आज भी यही सिलसिला बादस्तूर जारी है। आलम ये है कि तीन वर्ष पहले मई में जिस नाम को लेकर केजरीवाल सरकार ने विरोध और धरना शुरू किया था अब वही नाम दोबारा सामने आ गया है। ये नाम किसी और का नहीं बल्कि अनिंदो मजूमदार का है। वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अनिंदो मजूमदार को तुरंत प्रभाव से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया है। वह फिलहाल अंडमान निकोबार में नियुक्त थे। हालांकि अभी तक उन्हें मिलने वाले किसी पद की जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें अंशु प्रकाश की जगह चीफ सेक्रेटरी बनाया जा सकता है। लेकिन यहां पर आपको ये भी बताना जरूरी होगा कि मजूमदार को लेकर दिल्ली सरकार का छत्तीस का आंकड़ा है।मजूमदार को लेकर मई 2015 में केजरीवाल सरकार का विरोध चरम पर था। उस वक्त सरकार और मजूमदार के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई थी कि केजरीवाल सरकार ने उस वक्त प्रिंसिपल सेक्रेटरी [सर्विस] रहे मजूमदार के ऑफिस पर ताला लगवा दिया था।
क्या बनी थी मजूमदार से तनातनी की वजह
दरअसल उस वक्त मजूमदार को लेकर चली तनातनी की वजह बनी थी उनकी जगह राजेंद्र कुमार की नियुक्ति। राजेंद्र कुमार को दिल्ली सरकार ने अनिंदो मजूमदार की जगह प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सर्विस) बनाया था। सीएम केजरीवाल की इस नियुक्ति को उस वक्त के तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने रद कर दिया था। लेफ्टिनेंट गवर्नर के ऑफिस की ओर से मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया था कि राजेंद्र कुमार की नियुक्ति असंवैधानिक है और उन्हें पद से हटाया जा रहा है। केजरीवाल सरकार ने एलजी की आपत्ति के बावजूद को राजेद्र कुमार को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सर्विस) के पद पर नियुक्त किया था और दिल्ली सचिवालय की सातवीं मंजिल पर स्थित मजूमदार के कार्यालय में ताला लगवा दिया था। नई नहीं है तनातनी
केजरीवाल सरकार के बीच नौकरशाहों और यहां के एलजी से तनातनी यूं तो कोई नई बात नहीं है। एलजी की बात करें तो पहले नजीब जंग से केजरीवाल सरकार की तल्ख्यिां ऐसी ही हैं जैसी अब अनिल बैजल के साथ हैं। जहां तक मजूमदार को लेकर उस वक्त विवाद की बात है तो उस वक्त दिल्ली सरकार का कहना था कि केंद्र शासित क्षेत्र में तबादले और नियुक्ति का अधिकार उनके पास है। उसका कहना है कि मजूमदार ने राज्य सरकार के आदेश की अवहेलना की है। साथ यह भी कहा कि यहां तक एलजी के पास भी यह अधिकार नहीं है कि वह दिल्ली सरकार का आदेश निरस्त करे।
दरअसल उस वक्त मजूमदार को लेकर चली तनातनी की वजह बनी थी उनकी जगह राजेंद्र कुमार की नियुक्ति। राजेंद्र कुमार को दिल्ली सरकार ने अनिंदो मजूमदार की जगह प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सर्विस) बनाया था। सीएम केजरीवाल की इस नियुक्ति को उस वक्त के तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने रद कर दिया था। लेफ्टिनेंट गवर्नर के ऑफिस की ओर से मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया था कि राजेंद्र कुमार की नियुक्ति असंवैधानिक है और उन्हें पद से हटाया जा रहा है। केजरीवाल सरकार ने एलजी की आपत्ति के बावजूद को राजेद्र कुमार को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सर्विस) के पद पर नियुक्त किया था और दिल्ली सचिवालय की सातवीं मंजिल पर स्थित मजूमदार के कार्यालय में ताला लगवा दिया था। नई नहीं है तनातनी
केजरीवाल सरकार के बीच नौकरशाहों और यहां के एलजी से तनातनी यूं तो कोई नई बात नहीं है। एलजी की बात करें तो पहले नजीब जंग से केजरीवाल सरकार की तल्ख्यिां ऐसी ही हैं जैसी अब अनिल बैजल के साथ हैं। जहां तक मजूमदार को लेकर उस वक्त विवाद की बात है तो उस वक्त दिल्ली सरकार का कहना था कि केंद्र शासित क्षेत्र में तबादले और नियुक्ति का अधिकार उनके पास है। उसका कहना है कि मजूमदार ने राज्य सरकार के आदेश की अवहेलना की है। साथ यह भी कहा कि यहां तक एलजी के पास भी यह अधिकार नहीं है कि वह दिल्ली सरकार का आदेश निरस्त करे।
मजूमदार से नाराज केजरीवाल सरकार
बता दें कि मजूमदार ने ही उपराज्यपल के निर्देश बाद पावर सेक्रेटरी शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्ति करने का आदेश जारी किया था। इस वजह से मई 2015 में केजरीवाल सरकार उनसे नाराज थी और मजूमदार को पद से हटाने का आदेश जारी किया था। इसके बाद नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए मजूमदार को उनके पद पर यथावत रखा। दिल्ली सरकार द्वारा मजूमदार के कमरे पर ताला जड़ने के बाद उन्होंने दूसरे कमरे में बैठकर भी कुछ समय के लिए काम किया था। उस वक्त मजूमदार और एलजी को लेकर सरकार के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया था कि सीएम केजरीवाल ने इसकी गुहार राष्ट्रपति तक से लगाई थी। इस विवाद की वजह से अनिंदो मजूमदार छुट्टी पर चले गए थे। उस वक्त मजूमदार अकेले अधिकारी नहीं थे जो छुट्टी पर गए थे बलिक करीब 45 अधिकारियों ने इसके लिए अर्जी दी थी। आप का विरोध
दिल्ली सरकार और मौजूदा चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के बीच भी काफी समय से तनातनी चल रही थी। दरअसल अंशु प्रकाश का आरोप था कि दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री की मौजूदगी में एक बैठक के दौरान आप विधायकों ने उनसे मारपीट की थी। यह मामला इतना तूल पकड़ा कि आईएएस लॉबी सरकार के खिलाफ हो गई थी। हाल के कुछ दिनों में दिल्ली के सीएम समेत अन्य मंत्रियों ने उप-राज्यपाल के समक्ष ये तक कहा था कि वह आईएएस अधिकारियों की हड़ताल को खत्म करवाएं। बहरहाल, दिल्ली की सियासत में आप सरकार की विरोध प्रदर्शन की राजनीति फिलहाल थमती दिखाई नहीं दे रही है। इतना ही कहा जा सकता है कि पहले इसका कारण अंशु प्रकाश बने थे अब एक बार फिर से मजूमदार बन सकते हैं।
बता दें कि मजूमदार ने ही उपराज्यपल के निर्देश बाद पावर सेक्रेटरी शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्ति करने का आदेश जारी किया था। इस वजह से मई 2015 में केजरीवाल सरकार उनसे नाराज थी और मजूमदार को पद से हटाने का आदेश जारी किया था। इसके बाद नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए मजूमदार को उनके पद पर यथावत रखा। दिल्ली सरकार द्वारा मजूमदार के कमरे पर ताला जड़ने के बाद उन्होंने दूसरे कमरे में बैठकर भी कुछ समय के लिए काम किया था। उस वक्त मजूमदार और एलजी को लेकर सरकार के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया था कि सीएम केजरीवाल ने इसकी गुहार राष्ट्रपति तक से लगाई थी। इस विवाद की वजह से अनिंदो मजूमदार छुट्टी पर चले गए थे। उस वक्त मजूमदार अकेले अधिकारी नहीं थे जो छुट्टी पर गए थे बलिक करीब 45 अधिकारियों ने इसके लिए अर्जी दी थी। आप का विरोध
दिल्ली सरकार और मौजूदा चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के बीच भी काफी समय से तनातनी चल रही थी। दरअसल अंशु प्रकाश का आरोप था कि दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री की मौजूदगी में एक बैठक के दौरान आप विधायकों ने उनसे मारपीट की थी। यह मामला इतना तूल पकड़ा कि आईएएस लॉबी सरकार के खिलाफ हो गई थी। हाल के कुछ दिनों में दिल्ली के सीएम समेत अन्य मंत्रियों ने उप-राज्यपाल के समक्ष ये तक कहा था कि वह आईएएस अधिकारियों की हड़ताल को खत्म करवाएं। बहरहाल, दिल्ली की सियासत में आप सरकार की विरोध प्रदर्शन की राजनीति फिलहाल थमती दिखाई नहीं दे रही है। इतना ही कहा जा सकता है कि पहले इसका कारण अंशु प्रकाश बने थे अब एक बार फिर से मजूमदार बन सकते हैं।
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