Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

जुम्मा ब्रेक पर NDA में दरार! असम CM के फैसले पर JDU के बाद अब एक और पार्टी ने उठाए सवाल

NDA dispute on Jumma break असम विधानसभा में जुम्मा ब्रेक पर रोक लगाने के बाद अब एनडीए में ही दरार आती दिख रही है। जेडीयू ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे लोगों के अधिकार छीनने का काम किया जा रहा है। इस बीच अब एक और पार्टी ने इस फैसले पर एतराज जताया है। पार्टी ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं की स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Sun, 01 Sep 2024 12:16 PM (IST)
Hero Image
NDA dispute on Jumma break जुम्मा पर बवाल।

एजेंसी, नई दिल्ली। NDA dispute on Jumma break असम सरकार के विधानसभा में जुम्मा ब्रेक पर रोक लगाने के फैसले के बाद अब एनडीए में ही फूट पड़ती दिख रही है। बीते दिन जेडीयू ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये लोगों के अधिकार छीनने का काम किया जा रहा है। इस बीच अब एक और पार्टी ने इस फैसले पर एतराज जताया है।

LJP ने भी उठाए सवाल

जेडीयू के बाद अब एलजेपी (रामविलास) के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि धार्मिक प्रथाओं की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। 

लेटरल एंट्री सिस्टम पर भी उठाए थे सवाल

बिहार के दोनों सहयोगियों ने हाल ही में कोटा प्रावधानों का पालन किए बिना केंद्र के लेटरल एंट्री सिस्टम पर सवाल उठाया था जिसके बाद सरकार ने निर्णय वापस ले लिया था।

दरअसल, केंद्र सरकार ने देश में कुछ महत्वपूर्ण पदों पर गैर आईएएस लोगों से भरने के लिए सीधी भर्ती की कोशिश की थी, जिससे उसी फील्ड में तरक्की कर ऐसे अनुभवी लोगों को काम पर लाना था जो एक अफसर से संभव न हो सके।

जेडीयू नेता ने कही थी ये बात

दूसरी ओर जेडीयू नेता नीरज कुमार ने असम विधानसभा में जुम्मा की नमाज के लिए दो घंटे के ब्रेक की प्रथा पर रोक लगाने के फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। असम के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया निर्णय देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

जुम्मा ब्रेक पर लगी है रोक

बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा में दो घंटे के ब्रेक को बंद करने का फैसला किया है। सरमा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया था, क्योंकि हमें इस अवधि के दौरान भी काम करना चाहिए।