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महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी को लेकर सरगर्मियां तेज, शरद पवार से मिले संजय राउत और कई कांग्रेस नेता

कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चह्वाण ने चुनाव परिणाम आने के दिन भी कहा था कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की संयुक्त सरकार बन सकती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Fri, 01 Nov 2019 07:06 AM (IST)
महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी को लेकर सरगर्मियां तेज, शरद पवार से मिले संजय राउत और कई कांग्रेस नेता
मुंबई, एजेंसियां। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच अन्य विकल्पों को लेकर सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। इस क्रम में गुरुवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात की। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थरोट, वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण ने भी शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की।

पवार से राउत की मुलाकात ने राज्य में गैरभाजपा सरकार की अटकलों को हवा दे दी है। हालांकि राउत ने चुनाव परिणाम की घोषणा वाले दिन (24 अक्टूबर) भी पवार से मुलाकात की थी। वहीं, कांग्रेस नेताओं की पवार से मुलाकात के बारे में सूत्रों ने बताया कि उन्होंने वर्तमान राजनीति हालात के मद्देनजर अपने गठबंधन की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद तीनों नेता पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए दिल्ली रवाना हो गए। बताते हैं कि पवार ने ही उनसे इस बारे में सोनिया से बात करने के लिए कहा है। कांग्रेस ने गुरुवार को अपने नवनिर्वाचित विधायकों के साथ भी बैठक की। इसमें महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे।

शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा बना सकती है सरकार

इससे पहले कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चह्वाण ने एक बार फिर शिवसेना को उकसाते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। इसके बावजूद यदि वह सरकार बनाने में अक्षम रहती है तो दूसरे बड़े दल के रूप में शिवसेना को मौका मिलना चाहिए। ऐसी स्थिति में यदि शिवसेना सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से समर्थन मांगती है तो हम कांग्रेस आलाकमान से इस पर विचार करने को कहेंगे। पृथ्वीराज चह्वाण ने चुनाव परिणाम आने के दिन भी कहा था कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की संयुक्त सरकार बन सकती है।

मतभेद है तो आपस में सुलझाएं

हालांकि राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल एक दिन पहले ही कह चुके हैं कि सरकार बनाने का जनादेश भाजपा-शिवसेना गठबंधन को मिला है। यदि उनमें कोई मतभेद है तो उन्हें आपस में सुलझाकर राज्य को स्थिर सरकार देने का प्रयास करना चाहिए। पटेल का साफ कहना था कि राकांपा किसी को समर्थन देने के बजाय विपक्ष में बैठेगी। बता दें कि 2014 के चुनाव के बाद 288 सदस्यीय विधानसभा में जब 122 विधायकों वाली फड़नवीस की अल्पमत सरकार ने शपथ ली थी तो राकांपा ने उसे बाहर से समर्थन दिया था। जबकि इस बार भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56, राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है।

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