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निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी को दिया करारा जवाब, कहा- यूपीए काल में हुआ भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण

राहुल गांधी के ट्वीट का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के जमाने में टेलीफोन बैंकिंग होती थी और एक परिवार के हित के लिए करदाताओं के पैसों का निजीकरण व भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण किया गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 17 Mar 2021 07:08 AM (IST)
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कांग्रेस नेता राहुल गांधी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बैंकों के निजीकरण पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के जमाने में टेलीफोन बैंकिंग होती थी और एक परिवार के हित के लिए करदाताओं के पैसों का निजीकरण व भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण किया गया।

राहुल गांधी ने बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियनों की हड़ताल का समर्थन करते हुए ट्वीट किया था कि सरकार लाभ का निजीकरण कर रही है और घाटे का राष्ट्रीयकरण कर रही है। उन्होंने सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मोदी के करीबियों को बेचने का आरोप भी लगाया और कहा कि सरकार देश की वित्तीय सुरक्षा से गंभीर समझौता कर रही है। प्रेस कांफ्रेंस में इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी दादी इंदिरा जी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, लेकिन बैंकों के घाटे का राष्ट्रीयकरण संप्रग काल में किया गया। संप्रग के जमाने में भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण किया गया। 

सीतारमण ने कहा कि हम उनसे गंभीर मामलों में विचार-विमर्श करना चाहते हैं, लेकिन उनका रवैया अलग है। अचानक उन्हें लाभ और हानि की चिंता होने लगी है। सभी जानते हैं कि कई दशकों तक उनकी सरकार करदाताओं के पैसे का निजीकरण करने की कोशिश में जुटी रही। उन्होंने राहुल को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें इस प्रकार की बातें छोड़कर इन मसलों पर बहस के लिए तैयार होना चाहिए।

कुछ सरकारी बैंक कर रहे अच्छा प्रदर्शन

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का मकसद सिर्फ बैंकों का निजीकरण करना ही नहीं है, बल्कि सरकारी से निजी होने वाले बैंकों के विकास और उनके कर्मचारियों के हितों को भी सुनिश्चित करना है। चाहे वह कर्मचारियों की पेंशन का मामला हो या उनके वेतन का। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करना नहीं है। कुछ सरकारी बैंक काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और कुछ ठीकठाक। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन बैंकों को काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।