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सदन में ऐसे ही पास नहीं हो जाता अविश्वास प्रस्ताव, इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही गिरती है सरकार; इतिहास है रोचक

NO Confidence Motion विपक्षी दलों के 50 से ज्‍यादा लोकसभा सदस्‍य अविश्वास प्रस्ताव पर नोटिस दे सकते हैं। चूंकि निचले सदन में विपक्षी दलों के पास 150 से कम सदस्य हैं इसलिए अगर वे अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं तो उनकी हार निश्चित है। साथ ही लोकसभा में बहस के दौरान उन्हें उतना समय नहीं मिल पाएगा क्योंकि सदन में पार्टियों की संख्या के अनुसार समय आवंटित किया जाता है।

By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Wed, 26 Jul 2023 01:37 PM (IST)
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सदन में ऐसे ही पास नहीं हो जाता अविश्वास प्रस्ताव
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। NO Confidence Motion: संसद का मानसून सत्र जारी है, लेकिन मणिपुर मामले को लेकर दोनों सदनों में खूब हंगामा हो रहा है। इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष और उत्तर पूर्व नेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

विपक्षी चाहते है कि पीएम मोदी मणिपुर मुद्दों पर सदन में बोलें। हालांकि, सरकार की तरफ से ये सफाई दी गई है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे। नरेंद्र मोदी सरकार,जिन्हें लोकसभा में कम से कम 332 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, को इस अविश्वास प्रस्ताव से लगभग कोई खतरा नहीं है।

क्या अविश्वास प्रस्ताव पास होगा?

बता दें, विपक्षी दलों के 50 से ज्‍यादा लोकसभा सदस्‍य इस प्रस्‍ताव पर नोटिस दे सकते हैं। चूंकि निचले सदन में विपक्षी दलों के पास 150 से कम सदस्य हैं, इसलिए अगर वे अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं, तो उनकी हार निश्चित है। साथ ही, लोकसभा में बहस के दौरान उन्हें उतना समय नहीं मिल पाएगा, क्योंकि सदन में पार्टियों की संख्या के अनुसार समय आवंटित किया जाता है। सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने से लेकर उसकी प्रक्रिया पूरे होने तक का चक्र समझना आम लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल है। आइये इसे आसान भाषा में समझाएं की आखिर क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव और क्या है इसकी प्रक्रिया?

क्या है अविश्वास प्रस्ताव?

लोकसभा में विपक्षी दलों की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव कहलाता है।

क्यों लाते है अविश्वास प्रस्ताव?

सरकार को लोकसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती के लिए इसे लाया जाता है।

कौन ला सकता है ये प्रस्ताव?

नियम 1998 के तहत, कोई भी सदस्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है।

कार्यवाही से पहले क्या जरूरी?

लोकसभा अध्यक्ष जब प्रस्ताव को कार्यवाही का हिस्सा बनाए।

समर्थन में 50 सदस्यों का होना बेहद जरूरी है।

कैसे देना होता है अविश्वास प्रस्ताव?

लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को 10 बजे से पूर्व लिखित में नोटिस देना होता है।

अगर अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए, तब क्या?

लोकसभा अध्यक्ष यह तय करेंगे कि प्रस्ताव को चर्चा और बहस के लिए स्वीकार किया जाए या नहीं। यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो अध्यक्ष चर्चा के लिए तारीख और समय तय करेगा। अध्यक्ष प्रस्ताव पर चर्चा के लिए (लोकसभा नियमों के नियम 198 के उप-नियम (2) और (3) के तहत) समय दे सकते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।

अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कैसे होती है?

अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहस होती है। प्रस्ताव उस सदस्य द्वारा पेश किया जाएगा जिसने इसे पेश किया है, और सरकार तब प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देगी। इसके बाद विपक्षी दलों को प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिलेगा।

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कैसे होता है?

बहस के बाद लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करती है। अगर सदन के अधिकांश सदस्यों द्वारा इसका समर्थन किया जाता है तो प्रस्ताव पारित हो जाएगा।

अगर सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर वोट जीत जाती है तो क्या होगा?

अगर सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर वोट जीत जाती है, तो प्रस्ताव गिर जाता है और सरकार सत्ता में बनी रहती है।

अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास

कितनी बार सदन में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव?

  • 27 बार, अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया है।

किसके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव?

  • 1963 में जेपी कृपलानी ने नेहरू सरकार के खिलाफ नोटिस दिया था।
  • 1979 में मोरारजी देसाई इकलौते प्रधानमंत्री रहे, जिनकी अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार गिरी।
  • 2003 में सोनिया गांधी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई।
  • 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव, 325-126 के मार्जिन से मोदी सरकार जीती थी।

अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस

  • अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस 24.34 घंटे हुई
  • इंदिरा गांधी के खिलाफ 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, सभी मौकों पर उनकी जीत हुई।
  • लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस 24.34 घंटे हुई।
  • 4 अविश्वास प्रस्ताव CPIM के नेता ज्योतिर्मय बसु ने पेश किया था।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है जो विपक्ष को सरकार के बहुमत और शासन करने की क्षमता को चुनौती देने की अनुमति देती है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ जाता है।

पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में तीसरी लोकसभा के दौरान प्रस्तावित किया गया था जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे।

नियम 198(2): अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए।

आजादी के बाद से लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं।