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अविश्वास प्रस्ताव पर जमकर हुई गरमागरमी, होते-होते बची भिड़ंत; अधीर रंजन चौधरी के बोल पर हुआ बवाल

No Confidence Motion Result Update सत्रहवीं लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहले और संभवत आखिरी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के अंतिम दिन सदन में सियासी गरमागरमी इस स्तर तक पहुंच गई कि सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच आपसी भिड़ंत होते-होते बची। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की प्रधानमंत्री के खिलाफ कठोर टिप्पणी को लेकर सदन में दोनों पक्षों के बीच तल्खी बढ़ गई।

By Sanjay MishraEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 10 Aug 2023 11:37 PM (IST)
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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अधीर रंजन चौधरी और पीएम मोदी। (फोटो- एएनआई)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। No Confidence Motion Update: सत्रहवीं लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहले और संभवत: आखिरी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के अंतिम दिन सदन में सियासी गरमागरमी इस स्तर तक पहुंच गई कि सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच आपसी भिड़ंत होते-होते बची।

दोनों पक्षों के बीच तल्खियां बढ़ी

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की प्रधानमंत्री के खिलाफ कठोर टिप्पणी को लेकर सदन में दोनों पक्षों के बीच तल्खी इतनी बढ़ गई कि भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त बांहें चढ़ाते हुए विपक्षी नेता के करीब तक पहुंच गए। वैसे सियासी पारे का यह उतार चढ़ाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीब सवा दो घंटे के संबोधन के दौरान भी होता रहा।

वार-पलटवार, तंज-टिप्पणियां, ताने, उपहास से लेकर हास-परिहास के खूब बौछार चले मगर इस वाकये के अलावा दोनों पक्षों ने संयम की मर्यादा नहीं लांघी। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के लाए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के तीसरे दिन जवाब देने प्रधानमंत्री मोदी सदन में आए। तब अधीर रंजन चौधरी बोल रहे थे। मणिपुर पर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सही ठहराते हुए अधीर ने पीएम पर हमलों की बौछार कर दी।

सदन में हुआ महाभारत का जिक्र

भाजपा के भारत छोड़ो सियासी अभियान पर कटाक्ष करते हुए सत्तापक्ष के पूर्वजों को अंग्रेजों का तरफरदार, शेक्सपियर के मैकबेथ नाटक के अत्याचारी राजा से लेकर मणिपुर हिंसा को द्रौपदी के चीरहरण पर हस्तिनापुर शासन के मूक दर्शक बने रहने के उदाहरण देते हुए हमला किया।

इसको लेकर सदन का पहले से ही चढ़ा पारा उबाल पर पहुंच गया। द्रौपदी के चीरहरण प्रसंग के बहाने पीएम पर की गई अधीर की टिप्पणी पर सत्तापक्ष भड़क गया और भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त तेजी से विपक्षी बेंच की ओर बढ़े और बांहें चढ़ाते हुए अधीर की ओर लपके।

सांसद क्यों बने अधीर के रक्षा कवच?

विपक्षी सांसद भी उसी अंदाज में मस्त की ओर बढ़े तो कांग्रेस के कुछ सांसद अधीर के आगे उनके रक्षा कवच के तौर पर खड़े हो गए। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल ने लगभग दौड़ लगाते हुए उन्हें विपक्षी सांसदों से दो-दो हाथ करने से रोका।

गृह मंत्री अमित शाह ने अधीर की टिप्पणियों को प्रधानमंत्री की मर्यादा के प्रतिकूल बताते हुए इसे सदन के रिकॉर्ड से निकालने की मांग की। स्पीकर ने इसे तत्काल कार्रवाई से निकाल दिया और पीएम के संबोधन के बाद प्रल्हाद जोशी की ओर से अधीर पर उठाए व्यवस्था के प्रश्न का समाधान करने की बात कही।

इस हंगामे के बीच अधीर ने दोबारा बोलना शुरू किया, मगर उनको इजाजत नहीं दी गई और स्पीकर ने भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया को बोलने का मौका दे दिया। विपक्ष ने इस पर हंगामा किया, मगर स्पीकर ने उनकी नहीं सुनी तो वॉकआउट कर अपना विरोध दर्ज कराया।

पीएम मोदी ने ली अधीर की चुटकी

हालांकि, कुछ मिनटों बाद प्रधानमंत्री को सुनने विपक्ष सदन में लौट आया। पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन के दौरान अधीर पर खूब चुटकी ली और कहा कि उनकी पार्टी ने तो उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया था। अमित शाह ने सत्तापक्ष के समय में से उन्हें समय दिलाया। मगर गुड़ का गोबर कैसे करना है, उसमें अधीर बाबू माहिर हैं।

विपक्ष के नए गठबंधन आईएनडीआईए के नाम को लेकर भी पीएम ने सियासी हमलों के साथ कई चुभते तीर चलाए। बेंगलुरु में संप्रग का क्रिया-कर्म करने से लेकर इसके पुराने खंडहर पर नया प्लास्टर और पेंट लगा कर आईएनडीआईए बनाने के तीर चलाए तो सत्तापक्ष ने ठहाके लगाए।

सदन में जमकर हुई नारेबाजी

इस दौरान सत्तापक्ष बीच-बीच में जहां लगातार मोदी-मोदी के नारे लगाते हुए मेज थपथपाता रहा। वहीं, विपक्ष ने भी इंडिया-इंडिया की जवाबी नारेबाजी जारी रखी। करीब डेढ़ घंटे तक पीएम को सुनने के बाद मणिपुर का जिक्र नहीं आने पर एतराज करते हुए विपक्ष ने वॉकआउट किया।

पीएम ने इस पर विपक्ष को खरी-खरी सुनाते हुए इस व्यवहार की आलोचना की। विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे उन्हें सदन का नेता नहीं मानते मगर देश की जनता का विश्वास उनके साथ है। हालांकि, पीएम ने इसके बाद मणिपुर और पूर्वोत्तर के बारे में अपनी बातें रखीं, मगर तब विपक्ष सदन में नहीं था।