एक नजर यूपी के उन पूर्व सीएम पर जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छोड़ना होगा घर
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को उन्हें मिले सरकारी बंगले से बेदखल कर दिया। पहली नजर में यह फैसला उत्तर प्रदेश के लिए है लेकिन इसका असर पूरे भारत पर दिखाई देगा।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को उन्हें मिले सरकारी बंगले से बेदखल कर दिया। पहली नजर में यह फैसला उत्तर प्रदेश के लिए है लेकिन इसका असर पूरे भारत पर दिखाई देगा। इसकी वजह ये है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरे देश के लिए एक कानूनी व्यवस्था देता जो समान रूप से सभी जगहों पर लागू होता है। हालांकि यूपी के अलावा इसे दूसरी जगहों पर लागू होने में कुछ देर जरूर हो सकती है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी में जिन नेताओं के ऊपर गाज गिरी है उनमें समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, मायावती और नारायण दत्त तिवारी शामिल हैं।
आपको बता दें कि इस तरह का ही आदेश सुप्रीम कोर्ट पहले भी दे चुका है, लेकिन उस वक्त यूपी की तत्कालीन अखिलेश सरकार एक नया कानून ले आई थी। इसके तहत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सारी जिंदगी सरकारी बंगले में रह सकते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में यूपी सरकार के वर्ष 2016 में लाए गए कानून को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत इन्हें दो महीने के अंदर सरकारी आवास को छोड़ना होगा। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर गाज गिरने वाली है एक नजर जरा उनके सीएम कार्यकाल पर डाल लेते हैं।
मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री व केंद्र सरकार में एक बार रक्षा मंत्री रह चुके है। वर्तमान में यह भारत की समाजवादी पार्टी के मार्गदर्शक हैं। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एमए) एवं जैन इन्टर कालेज करहल (मैनपुरी) से बीटी करने के बाद कुछ दिनों तक इंटर कालेज में अध्यापन कार्य भी कर चुके हैं।
दंगल के अखाड़े से राजनीतिक अखाड़े में आने वाले मुलायम सिंह तीन बार क्रमशः 5 दिसंबर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, फिर 5 दिसंबर 1993 से 3 जून 1996 तक और फिर 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। मुलायम सिंह केंद्र में सहकारिता और पशुपालन मंत्री के साथ 1996-1998 में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।
अखिलेश यादव
अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के अलावा लगातार तीन बार सांसद भी रह चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया था। उनकी पार्टी को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद, 15 मार्च 2012 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इस चुनाव में सपा को 224 सीटें मिली थीं। वह 38 वर्ष की आयु में यूपी के 33वें मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2016 में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उन्हें और उनके चाचा राम गोपाल यादव को पार्टी से बाहर निकाल दिया लेकिन एक दिन बाद ही उन्हें वापस पार्टी में ले लिया गया था। विक्रमादित्य मार्ग पर अखिलेश यादव का बंगला है।
मायावती
मायावती बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। इसके अलावा वह कई बार सांसद भी रही हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती एक मजबूत स्तम्भ है। मायावती पहली बार 3 जून 1995 से लेकर 18 अक्टूबर 1995 तक सूबे की मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद वह 21 मार्च 1997 से लेकर 20 सितंबर 1997, फिर 3 मई 2002 से लेकर 26 अगस्त 2003 और फिर 13 मई 2007 से लेकर 6 मार्च 2012 तक वह सूबे की मुख्यमंत्री रही थीं।
नारायण दत्त तिवारी
नारायण दत्त तिवारी देश के एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने दो राज्यों की कमान संभाली हो। वह उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। यह जीत इस लिहाज से भी बड़ी थी क्योंकि उस दौर में कांग्रेस की आंधी थी। उस समय 431 सदस्यीय विधानसभा में सोशलिस्ट पार्टी के केवल 20 लोग चुनकर आए थे।
कांग्रेस के साथ तिवारी का रिश्ता 1963 से शुरू हुआ। 1965 में वह कांग्रेस के टिकट पर काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और पहली बार मंत्रिपरिषद में उन्हें जगह मिली। 1 जनवरी 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वह 1984-85 और फिर 1988 से लेकर 1989 तक सूबे के सीएम रहे। इसके अलावा 2002 से 2007 तक वह उत्तराखंड के भी सीएम रहे थे। 1986-87 में वह राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय विदेश मंत्री भी रहे। एनडी तिवारी को माल एवेन्यू में एक सरकारी बंगला दिया गया।
राजनाथ सिंह
मौजूदा समय में देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत उत्तर प्रदेश से की थी। उन्होंने वर्ष 2000 से लेकर 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। इसके अलावा वे केंद्र में राजग की सरकार के दौरान कृषि मंत्री भी रहे। राजनाथ सिंह देश और प्रदेश की राजनीति में एक चर्चित चेहरा हैं। वह अपने जबरदस्त भाषणों की वजह से भी जाने जाते हैं।
कल्याण सिंह
कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल हैं। वे उत्तर प्रदेश की राजनीति का जाना पहचाना चेहरा हैं। वे दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। कल्याण सिंह 24 जून 1991 को पहली बार यूपी के सीएम बने। लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह दोबारा 21 सितंबर 1997 से लेकर 12 नवंबर 1999 तक सूबे के सीएम रहे थे। उन्हें 26 अगस्त 2014 को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। दिसंबर 1999 में कुछ मतभेदों के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। लेकिन जनवरी 2005 में उन्हें दोबारा भाजपा से जोड़ लिया गया। वह एटा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय सांसद के तौर पर भी जीत चुके हैं। कल्याण सिंह को जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।
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