विपक्षी नेतृत्व का चेहरा कौन? महाबैठक में साझा वैकल्पिक एजेंडे पर रहेगा फोकस, CMP की शुरूआती रूपरेखा होगी तय
बिहार के महागठबंधन से जुड़े सूत्रों के अनुसार बैठक का पहला कदम एक साझा न्यूनतम वैकल्पिक एजेंडा को अंतिम रूप देने पर सहमति बनाना है। इसमें महंगाई और बेरोजगारी आर्थिक कुप्रबंधन नोटबंदी-त्रुटिपूर्ण जीएसटी से हुए नुकसान जैसे मुद्दों पर विपक्षी खेमे में कोई विरोधाभास नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 14 Jun 2023 09:27 PM (IST)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। विपक्षी एकजुटता की पहली कड़ी में पटना महाबैठक के दौरान भाजपा के खिलाफ 2024 में वैकल्पिक एजेंडा तय करने पर तमाम पार्टियों के बीच सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। इस क्रम में विपक्षी पार्टियों के नेता साझा न्यूनतम कार्यक्रम की प्रारंभिक रूपरेखा तय करने का प्रयास करेंगे।
विपक्षी नेतृत्व का चेहरा कौन?
महाबैठक में विपक्षी नेतृत्व के चेहरे का मुद्दा एजेंडा में नहीं होगा यानि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुकाबले विपक्ष के संभावित पीएम उम्मीदवार पर किसी तरह की चर्चा नहीं होगी। अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष किसी एक चेहरे की बजाय सामूहिक नेतृत्व में चुनावी अखाड़े में उतरने के अपने इरादों का पहले ही संकेत दे चुका है।
विपक्ष की पटना में 23 जून को होने वाली बैठक के एजेंड़े को लेकर कई प्रमुख दलों के नेताओं के बीच चर्चा-संवाद का सिलसिला तेज हो गया है। बिहार के मुख्यमंत्री जदयू नेता नीतीश कुमार इस बैठक के सूत्रधार की भूमिका निभा रहे हैं तो राजद का शीर्ष नेतृत्व भी इसको लेकर काफी सक्रिय है।
विपक्ष के दिग्गज नेताओं की इस बेहद अहम बैठक से 2024 की बड़ी लड़ाई के लिए बड़ा संदेश देने की कोशिश की जाएगी। इसीलिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम की रूपरेखा तय करना बैठक के प्रमुख एजेंडे में शामिल है।
किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
बिहार के महागठबंधन से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बैठक का पहला कदम एक साझा न्यूनतम वैकल्पिक एजेंडा को अंतिम रूप देने पर सहमति बनाना है। इसमें महंगाई और बेरोजगारी, आर्थिक कुप्रबंधन, नोटबंदी-त्रुटिपूर्ण जीएसटी से हुए नुकसान जैसे मुद्दों पर विपक्षी खेमे में कोई विरोधाभास नहीं है।इसी तरह देश में बढ़ते नफरत के सांप्रदायिक माहौल, ईडी-सीबीआई-आईटी जैसी सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग, लोकतंत्र को कमजोर करने के हो रहे प्रयासों के साथ एलएसी पर चीनी सैनिकों के लंबे समय से जारी घुसपैठ जैसे विषय पर भी व्यापक आम सहमति है।वहीं, जातीय जनगणना का मुद्दा भी विपक्ष के साझा वैकल्पिक एजेंडा का हिस्सा बनेगा इसमें संदेह नहीं है। चर्चा है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार साझा न्यूनतम कार्यक्रम के एजेंडे को अंतिम रूप देने की विपक्ष की पहल की अगुवाई करेंगे।
विपक्षी दलों के नेताओं की एक संयुक्त समन्वय समिति बनाने की पहल पर बात होगी जो तमाम राज्यों में जाकर समान विचाराधारा वाले दलों के नेताओं से बातचीत कर समर्थन जुटाने की पहल करेगी। वैसे विपक्षी एकजुटता की इस पहल के तहत भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार उतारने की संभावनाएं तलाशी जा रही है, लेकिन इस पहल के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का कोई औपचारिक गठबंधन आकार लेगा इसकी गुंजाइश कम ही है।