'यह चरम अज्ञानता, कुछ लोग देश के दुश्मनों का हिस्सा', राहुल गांधी के आरक्षण वाले बयान पर भड़के धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा है। राहुल गांधी की आरक्षण को लेकर की गई टिप्पणी पर धनखड़ ने नाराजगी जाहिर की है। संसद भवन में गुरुवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का दुख और परेशानी है कि पद पर बैठे कुछ लोगों को भारत के बारे में कुछ पता नहीं है।
एजेंसी, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। दरअसल, अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर एक टिप्पणी की थी। इनकी टिप्पणी लेकर उपराष्ट्रपति ने जवाब दिया है।
संसद भवन में गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि देश के बाहर रहने वाले हर भारतीय को इस राष्ट्र का राजदूत बनना होगा। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का दुख और परेशानी है कि पद पर बैठे कुछ लोगों को भारत के बारे में कुछ पता नहीं है।
कुछ लोग देश के दुश्मनों का हिस्सा
उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा, 'यह कितना दुखद है कि संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति इसके ठीक विपरीत काम कर रहा है। इससे अधिक निंदनीय, घृणित और असहनीय कुछ भी नहीं हो सकता कि आप राष्ट्र के दुश्मनों का हिस्सा बन जाएं।
मुझे यकीन है कि जो कुछ आप देख रहे हैं, उसे देखकर आपका दिल पसीज रहा होगा। अगर हम सच्चे भारतीय हैं, अगर हमें अपने देश पर भरोसा है, तो हम देश के दुश्मनों का साथ कभी नहीं देंगे। हम सभी देश के लिए पूरी ताकत से खड़े रहेंगे।
उपराष्ट्रपति ने ये भी कहा कि कुछ लोग स्वतंत्रता के मूल्य को नहीं समझते हैं। वे यह नहीं समझते हैं कि इस देश की सभ्यता की गहराई 5000 वर्ष है। हमारे देश का संविधान पवित्र है। कुछ लोग हमारे देश को विभाजित करना चाहते हैं। यह चरम अज्ञानता है।
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
राहुल ने अमेरिका दौरे पर कहा था कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी, जब भारत भेदभाव रहित स्थान होगा और अभी ऐसा नहीं है। जार्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा था कि जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं। दलितों को 100 रुपये में से पांच रुपये मिलते हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी लगभग इतने ही पैसे मिलते हैं। सच्चाई यह है कि उन्हें उचित भागीदारी नहीं मिल रही है।