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हिंडनबर्ग के आरोपों से चढ़ा सियासी पारा, विपक्ष ने की सेबी प्रमुख को हटाने और जेपीसी जांच की मांग

Hindenburg Research Report हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में सेबी प्रमुख पर लगाए गए आरोपों को लेकर सियासत भी गरम हो गई है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग की है। साथ ही कांग्रेस ने केंद्र सरकार से सेबी प्रमुख पद को तत्काल पद से हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने सेबी पर सुप्रीम कोर्ट को भी अंधेरे में रखने का आरोप लगाया।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 11 Aug 2024 11:50 PM (IST)
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कांग्रेस ने सेबी प्रमुख को पद से हटाने और उन पर कार्रवाई की मांग की है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सेबी प्रमुख माधवी बुच के अदानी समूह के साथ हितों के टकराव संबंधी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के ताजा दावों ने सियासत को एक बार फिर से गरम कर दिया है। विपक्षी दलों ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की बुच पर लगाए गए आरोपों को बेहद गंभीर करार देते हुए उन्हें तत्काल सेबी प्रमुख पद से हटाने और केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग की है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे महा-घोटाला करार देते हुए आरोप लगाया कि अदानी समूह से अपनी अंदरूनी मिलीभगत छुपाने के लिए माधवी बुच ने सेबी को घोटाले के पूरे दायरे की जांच नहीं करने दी। कांग्रेस के साथ ही तृणमूल कांग्रेस, माकपा, शिवसेना यूबीटी सरीखे विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन के सभी प्रमुख दलों ने हिंडनबर्ग के नए दावों के मद्देनजर अदानी प्रकरण की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग फिर से दोहराई है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने की जेपीसी जांच की मांग

वहीं कांग्रेस ने इस मामले में सेबी पर सुप्रीम कोर्ट को अंधेरे में रखने का भी आरोप लगाया। हिंडनबर्ग के नए खुलासे पर कांग्रेस ने रविवार को कहा कि देश के शीर्षस्थ वित्तीय नियामक के अधिकारियों की अदानी समूह से मिलीभगत से हुए घोटाले की जांच के लिए जेपीसी ही एकमात्र विकल्प रह गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पोस्ट में कहा, 'सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मोदी जी के परम मित्र अदानी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के खुलासों में क्लीन चिट दी थी। आज उसी सेबी की मुखिया के तथाकथित वित्तीय रिश्ते उजागर हुए हैं। मध्यम वर्ग से संबंधित छोटे और मध्यम निवेशकों को संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे सेबी में विश्वास करते हैं। जब तक इस महा-घोटाले में जेपीसी जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने ए-वन मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी।'

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट को अंधेरे में रखने का लगाया आरोप

जेपीसी मांग के बीच कांग्रेस डिजिटल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सेबी पर सुप्रीम कोर्ट को अंधेरे में रखने का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत से इसका स्वत: संज्ञान लेकर अदानी प्रकरण की अपने अधीन जांच कराने की अपील की।

कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने बुच पर लगे आरोपों के बीच सेबी का सोशल मीडिया अकाउंट लॉक कर दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब इसके शीर्ष नेतृत्व के हितों के टकराव के सबूत सामने आए हैं, तब ऐसा कर कहीं सबूतों को हटाया तो नहीं जा रहा है। जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति और सेबी द्वारा अदानी मेगा घोटाले की जांच की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी।

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जयराम ने कहा कि सेबी के गलत कामों पर उन्हें संदेह तो है, मगर शायद हाथ बंधे होने के चलते स्पष्ट रूप से कुछ कहना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग खुलासे से साफ है कि बुच और उनके पति ने उन्हीं बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंडों में निवेश किया, जिनमें विनोद अदानी और उनके करीबी सहयोगी चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शाहबान अहली ने बिजली उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग से अर्जित धन का निवेश किया था।

अन्य विपक्षी दलों ने भी किया मांग का समर्थन

जयराम ने कहा कि इन फंडों का इस्तेमाल सेबी के नियमों का उल्लंघन करते हुए अदानी समूह की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया गया है। इस खुलासे के बाद बुच की गौतम अदानी संग 2022 में हुई दो बैठकों पर नए सवाल खड़े होते हैं। तूणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा तथा शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी जेपीसी जांच की मांग का समर्थन किया तो माकपा पोलित ब्यूरो ने बयान जारी कर जेपीसी की आवाज बुलंद की।