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चुनाव आयोग के आरवीएम के प्रस्ताव के खिलाफ गोलबंद हो रहा विपक्ष, कांग्रेस तमाम क्षेत्रीय दलों से साध रही संपर्क

तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक तो पहले ही चुनाव आयोग के इस कदम पर अपने एतराज जाहिर कर चुके हैं। विपक्षी खेमे के सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग के प्रवासी वोटरों के लिए बनाए गए आरवीएम के मॉडल प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस की ओर से संपर्क-संवाद किया जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 08 Jan 2023 08:45 PM (IST)
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16 जनवरी की बैठक में मुखर रूप से सामने आएगा विपक्ष का रुख
नई दिल्ली, संजय मिश्र। घरेलू प्रवासी मतदाताओं को रिमोट वोटिंग का अधिकार देने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव का विरोध करने को लेकर विपक्षी दलों के बीच गोलबंदी की कोशिश शुरू हो गई है। इसका विरोध करने का पहले ही संकेत दे चुकी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसके खिलाफ क्षेत्रीय दलों को साधने का प्रयास कर रही है और माना जा रहा है कि राजद, सपा, झामुमो समेत कुछ अन्य पार्टियां रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (रवीएम) पर संदेह का सवाल उठाते हुए इससे असहमति जताने की तैयारी में हैं।

विपक्षी दलों के लिए चिंता की वजह

तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक तो पहले ही चुनाव आयोग के इस कदम पर अपने एतराज जाहिर कर चुके हैं। विपक्षी खेमे के सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग के प्रवासी वोटरों के लिए बनाए गए आरवीएम के मॉडल प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस की ओर से संपर्क-संवाद किया जा रहा है। इसमें विपक्षी दलों के लिए चिंता की वजह आरवीएम से ज्यादा लेवल प्लेइंग फील्ड की लगातार कम होती गुंजाइश है और क्षेत्रीय दलों को इस पहलू की गंभीरता से रूबरू कराया जा रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ ने आरवीएम की पहल का जताया विरोध

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने तो आरवीएम की पहल का विरोध करते हुए विपक्षी दलों की इस चिंता को यह कहते हुए जाहिर भी किया है कि विपक्षी दलों से बातचीत करते हुए चुनाव आयोग को पारदर्शी तरीके से पहले चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता बहाल करनी चाहिए। हालांकि विरोध के क्रम में कांग्रेस इस बात को लेकर सतर्कता बरत रही कि उसका एतराज प्रवासियों के मताधिकार को लेकर नहीं बल्कि आरवीएम को लेकर है।

आयोग के प्रस्ताव के खिलाफ गोलबंद करने की पहल

कांग्रेस की ओर से एनसीपी, राजद, झामुमो, शिवसेना से लेकर कई पार्टियों को आयोग के प्रस्ताव के खिलाफ गोलबंद करने की पहल हो रही हे। इन दलों ने आरवीएम के पक्ष या विरोध में कोई आधिकारिक रूख तय नहीं किया है। लेकिन विपक्षी खेमे में इस मुद्दे पर शुरू हुई गहमागहमी को देखते हुए इसके पुख्ता आसार हैं कि ये सभी दल आरवीएम को लेकर संदेह के सवाल खड़ा करेंगे। वामपंथी दलों ने इस प्रस्ताव पर यह कहते हुए अभी मुखरता नहीं दिखाई है कि वह चुनाव आयोग की 16 जनवरी को आरवीएम का प्रोटोटाइप मॉडल का प्रदर्शन देखने के बाद अपना रूख तय करेगी।

विपक्ष खटखटता रहता है आयोग का दरवाजा

हालांकि विपक्षी गोलबंदी में वामदलों की अग्रिम सक्रिय भागीदारी को देखते हुए माकपा और भाकपा जैसे दल इस पर नरम रुख अपनाएंगे इसमें संदेह है। समाजवादी पार्टी ने भी आरवीएम के प्रस्ताव पर अभी रणनीतिक चुप्पी बनाए रखी है। मगर जिस तरह इवीएम से लेकर हाल के समय में मतदाता सूची से नाम काटने जैसे मुद्दों को लेकर वह आयोग का दरवाजा खटखटाती रही है उसे देखते हुए सपा इस पहल का समर्थन करेगी इसकी गुंजाइश नजर नहीं आ रही।

तटस्थता और निष्पक्षता की कसौटी

संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस के बाद दूसरे और तीसरे सबसे बड़े दल द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस आरवीएम लाने के आयोग के कानूनी अधिकार पर ही सवाल उठा चुके हैं। विपक्षी खेमे के दलों का एकजुट होकर विरोध करने की स्थिति में चुनाव आयोग के लिए अपनी पहल को आगे बढ़ाने की राह आसान नहीं होगी। खासकर यह देखते हुए कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल चुनाव आयोग की तटस्थता और निष्पक्षता को लगातार कसौटी पर कस रहे हैं।

आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम के इरादे

वैसे इस मुद्दों पर जदयू का रूख जरूर कांग्रेस और विपक्ष को असहज करेगा क्योंकि आरवीएम लागू करने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव का जदयू ने समर्थन किया था। आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलगू देशम ने भी इसका समर्थन करने के इरादे जाहिर कर दिए हैं।

क्या है आरवीएम का प्रस्ताव चुनाव आयोग ने प्रोटोटाइप मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) विकसित की है जिसका चुनाव में इस्तेमाल करने पर सहमति बनती है तो ऐसे प्रवासी मतदाताओं को जो रोजी-रोजगार के लिए बाहर रहते हैं उन्हें वोटिंग के लिए अपने गृह राज्य-जिले की यात्रा नहीं करनी होगी और आरवीएम के जरिए वे अपना वोट डाल सकेंगे।

आरवीएम एक रिमोट पोलिंग बूथ

आरवीएम एक रिमोट पोलिंग बूथ होगा जो एक साथ कई निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकता है। चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने की पहल के लिए आयोग आरवीएम के विकल्प पर गौर कर रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने खुद यह स्वीकार किया है किदेश के भीतर प्रवासन के लिए कोई केंद्रीय डेटाबेस उपलब्ध नहीं है।

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