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No Confidence Motion: विपक्ष को भले न हो, पर जनता को मोदी पर विश्वास- अमित शाह ने दिया मुंहतोड़ जवाब

No Confidence Motion Amit Shah अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सरकार के विरुद्ध अविश्वास का कोई ठोस तर्क नहीं दिया है और न ही उनके पास संसद में इस प्रस्ताव को पारित कराने की क्षमता है। मणिपुर में सभी पक्षों से शांति की अपील की।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 09 Aug 2023 11:39 PM (IST)
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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव चर्चा पर भाग लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह (फोटो: पीटीआई)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के माध्यम से जनता के बीच भ्रांति फैलाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को साफ किया कि नरेन्द्र मोदी आजादी के बाद से अबतक के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं और जनता का विश्वास अब भी उनके साथ है।

मोदी सरकार के दौरान पिछले नौ वर्षों में हर क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों और गरीबों, किसानों, पिछड़ों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पर भले ही आपको विश्वास न हो, लेकिन जनता का विश्वास उनके साथ है।

'मणिपुर में हुई घटनाएं शर्मनाक'

मणिपुर में सभी पक्षों से शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा,

वहां हुई घटनाएं शर्मनाक हैं, लेकिन उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है। उन्होंने राहुल गांधी के मणिपुर दौरे के दौरान चूड़चंदपुर सड़क मार्ग जाने की जिद को राजनीति बताया। मणिपुर की नस्लीय हिंसा की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सरकार के विरुद्ध अविश्वास का कोई ठोस तर्क नहीं दिया है और न ही उनके पास संसद में इस प्रस्ताव को पारित कराने की क्षमता है। अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य केवल और केवल जनता में भ्रांति पैदा करना है, लेकिन सच्चाई यह है कि 60 करोड़ गरीबों के जीवन में आशा का संचार करने वाले प्रधानमंत्री मोदी में जनता का विश्वास अब भी बना हुआ है।

'मोदी सरकार ने किया गरीबों का उत्थान'

उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन में शामिल दल गरीबी हटाओ का नारा देकर दशकों तक उसे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे, लेकिन इन गरीबों का उत्थान करने का काम मोदी सरकार ने किया है। इस सिलसिले में उन्होंने उज्ज्वला, शौचालय, पक्का मकान, नल से जल और जनधन योजनाओं के साथ-साथ किसानों के उत्थान के लिए किए गए प्रयासों को गिनाया।

गरीब महिला कलावती के घर खाना खाने और उसका बखान संसद के भीतर करने के लिए राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा,

कलावती को पक्का घर, मुफ्त अनाज, पांच लाख तक मुफ्त इलाज समेत अन्य योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया है और आज वह कलावती भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ है। उन्होंने कहा कि देश का हर गरीब व्यक्ति प्रधानमंत्री मोदी को अपने मित्र के रूप में देखता है।

मणिपुर हिंसा का मूल कारण हाई कोर्ट का फैसला

गृह मंत्री होने के बावजूद उन्हें मणिपुर पर संसद में नहीं बोलने देने के लिए अमित शाह ने विपक्षी दलों को निशाने पर लिया। मणिपुर में नस्लीय हिंसा के इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने कांग्रेस व संप्रग सरकारों के उसके प्रति रवैये के बारे में भी बताया। यह भी साफ किया, 'मणिपुर में परिस्थितिजन्य नस्लीय हिंसा है और इसे राजनीति का विषय नहीं बनाना चाहिए।'

उन्होंने कांग्रेस के गौरव गोगोई के हिंसा रोकने के लिए कुछ नहीं करने के आरोपों का जवाब देते हुए विस्तार से बताया कि किस तरह से म्यांमार में सैन्य शासन के बाद कुकियों के आने से मणिपुर में नस्लीय तनाव बढ़ा। इसे रोकने के लिए सरकार ने 2022 से सीमा पर बाड़ लगाने का काम और इस वर्ष जनवरी से म्यांमार से आने वाले कुकियों के जैविक रिकार्ड लेने का काम शुरू कर दिया था।

नस्लीय हिंसा के पुराने रिकार्ड के विपरीत एन. बीरेन सिंह की सरकार के दौरान मणिपुर में शांति रही, लेकिन हाई कोर्ट का एक फैसला हिंसा की वजह बन गया। तीन मई को हिंसा फैलने के तत्काल बाद चार मई तक वहां डीजीपी, मुख्य सचिव बदलने के साथ ही केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई थी और धीरे-धीरे इसमें कमी भी आ रही है। उन्होंने पूरे सदन से एक स्वर में मणिपुर में सभी वर्गों से शांति की अपील का प्रस्ताव पास करने की सलाह दी।

कांग्रेस और संप्रग में सांसदों की होती थी खरीद फरोख्त

अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन की मूल मंशा उजागर करते हुए कहा कि संकट के समय गठबंधन और पार्टियों के चरित्र का पता चलता है। उन्होंने बताया,

किस तरह 1993 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों की खरीद फरोख्त और 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान विश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन के भीतर सांसद को लाखों रुपये दिए जाने के आरोप लगे थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा घूसकांड में कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा था।

वहीं, 1999 में सिर्फ एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिर जाने दिया गया, लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने विपक्षी गठबंधन और राजग के बीच अंतर बताते हुए कहा कि एक तरफ करोड़ों रुपये खर्च कर सत्ता बचाने वाले हैं, तो दूसरी तरफ सिद्धांतों पर अडिग रहकर सत्ता गंवाने वाले लोग हैं। जनता सब देखती है, सब जानती है और उसने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ज्यादा सीटों से साथ फिर बनवा दी थी।

राजग बनाम संप्रग

अमित शाह ने विस्तार से बताया कि किस तरह से परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण के तीन नासूरों से भरी हुई पार्टियों वाला संप्रग देश के विकास में बाधक है। उन्होंने बताया,

अटल बिहारी वाजपेयी की राजग की पहली सरकार के दौरान 1999 में भारत दुनिया की 15वीं अर्थव्यवस्था थी, जिसे छह वर्षों में 11वें स्थान पर पहुंचाया, लेकिन अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के 10 वर्षों के दौरान भारत 11वें स्थान पर ही बना रहा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार के नौ वर्षों में भारत 11वें से पांचवें स्थान पर पहुंच गया और अगले चार वर्षों में यह तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।

'आतंकी हिंसा में दो-तिहाई की आई कमी'

उन्होंने अनुच्छेद-370 खत्म करने को मोदी सरकार का युगांतरकारी फैसला बताते हुए कहा कि इससे आतंकी हिंसा में तो दो-तिहाई कमी तो आई ही है अब पत्थरबाजी करने की भी कोई हिम्मत नहीं करता।

उन्होंने घाटी में तेजी से सामान्य होती स्थिति का भी हवाला दिया। उन्होंने वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने में मिली सफलता और पूर्वोत्तर में शांति एवं विकास के साथ लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए कामों की भी जानकारी दी।

भ्रष्टाचार का चेहरा छिपाने के लिए बदला गठबंधन का नाम

शाह ने कहा,

संप्रग सरकार के दौरान 12 लाख करोड़ रुपये के घोटाले के दाग को छिपाने के लिए अपने गठबंधन का नाम बदलने पर मजबूर होना पड़ा। जिस तरह बदनाम हुए व्यापार को फिर से पटरी पर लाने के लिए नए नाम का सहारा लेना पड़ता है उसी तरह संप्रग ने अब अपना नाम आइएनडीआइए कर लिया है। इस सिलसिले में उन्होंने संप्रग सरकार के दौरान एक दर्जन से भी अधिक घोटालों का हवाला भी दिया।

उन्होंने साफ किया कि राजग को नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हमने ऐसा कुछ नहीं किया है कि हमें शर्म से चेहरा छिपाना पड़े।