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चुनाव आयोग की आरवीएम को विपक्षी दलों ने दिखाई लाल झंडी, टला प्रोटोटाइप मॉडल का प्रदर्शन

इस बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कोई भी विपक्षी आरवीएम के मॉडल का प्रदर्शन नहीं देखना चाहता है। इस मशीन को लेकर कई मुद्दे ओर सवाल हैं जिन्हें चुनाव आयोग द्वारा पहले सुलझाए जाने की जरूरत है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 16 Jan 2023 09:11 PM (IST)
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आयोग को पहले शहरी मतदाताओं की उदासीनता का हल निकालने की विपक्षी दलों ने दी सलाह
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विपक्षी दलों के लाल झंडी दिखाने के बाद चुनाव आयोग ने रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) का प्रोटोटाइप मॉडल दिखाने की योजना फिलहाल टाल दी है। इसको लेकर बुलाई गई बैठक में एकजुट 16 विपक्षी दलों ने आरवीएम के औचित्य पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को पहले वोट डालने के लिए मतदान केंद्र नहीं जाने वाले शहरी वोटरों की उदासीनता के मुद्दों का समाधान निकालने की सलाह दी।

16 विपक्षी पार्टियों ने आयोग से कहा, आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं

आरवीएम के मॉडल का प्रदर्शन देखने से इनकार करते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि पहले इस मशीन को लाने की आवश्यकता से जुड़े मुद्दों को सुलझाया जाए, उसके बाद ही किसी अगले कदम पर चर्चा की जाएगी। चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय दलों के साथ मान्यता प्राप्त तमाम दलों को आरवीएम का प्रोटोटाइप दिखाने के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन विपक्षी दलों के इनकार के बाद आयोग का यह इरादा आगे नहीं बढ़ पाया।

आयोग ने आरवीएम दिखाने पर नहीं दिया जोर

इस बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा- कोई भी विपक्षी आरवीएम के मॉडल का प्रदर्शन नहीं देखना चाहता है। इस मशीन को लेकर कई मुद्दे ओर सवाल हैं, जिन्हें चुनाव आयोग द्वारा पहले सुलझाए जाने की जरूरत है। विपक्षी पार्टियों के रूख पर चुनाव आयोग के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें लगता है कि जब तक राजनीतिक आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक आरवीएम के मॉडल का कोई प्रदर्शन नहीं होगा।

समझा जाता है कि विपक्षी दलों के रूख को देखते हुए आयोग ने भी बैठक में आरवीएम का मॉडल दिखाने पर जोर नहीं दिया और कहा कि राजनीतिक दल इसके अध्ययन के लिए और समय लेना चाहते हैं तो ऐसा किया जा सकता है।

दिग्विजय सिंह ने कहा

सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों ने आयोग से बैठक के दौरान कुछ ऐसे ही सवाल पूछने की तैयारी की थी, जैसा कि कानून मंत्रालय से संबंधित संसदीय स्थाई समिति ने चुनाव आयोग से किया था। संसदीय समिति ने आरवीएम का प्रस्ताव आने के बाद आयोग से लेकर कुछ सवाल पूछे थे। इन सवालों को दोहराए जाने के विपक्षी दलों के इरादों को भांपते हुए चुनाव आयोग ने भी प्रोटोटाइप दिखाने पर जोर देना मुनासिब नहीं समझा। दिग्विजय सिंह ने कहा कि आरवीएम पर देश के तमाम प्रतिष्ठित नागरिकों ने संदेह के सवाल उठाए हैं और इस इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को लेकर चिंताए व्यक्त की हैं।

आयोग को पहले इन चिंताओं को दूर करना चाहिए: दिग्विजय

दिग्विजय ने कहा कि आयोग को पहले इन चिंताओं को दूर करना चाहिए। चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने की दलील के साथ आरवीएम की पहल आगे बढ़ाने के आयोग के तर्क पर उनका कहना था कि शहरों में चुनावी प्रक्रिया को लेकर उदासीनता एक प्रमुख मुद्दा है। द्रमुक, शिवसेना, राजद, माकपा और वामदलों के नेताओं ने भी बैठक के दौरान आयोग की आरवीएम की पहल को अनावश्यक बताने से गुरेज नहीं

आम आदमी पार्टी के नेता सांसद संजय सिंह ने आरवीएम की जरूरत पर सवाल उठाते हुए कहा- राजनीतिक दल तमाम राज्यों में पात्र प्रवासी मतदाताओं के बीच आरवीएम का इस्तेमाल करके कैसे प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के और भी तरीके हैं।मालूम हो कि चुनाव आयोग ने आरवीएम प्रदर्शन के लिए आठ राष्ट्रीय और 57 मान्यता प्राप्त राज्य दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के लिए बुलाई इस बैठक को लेकर कहा था कि सरकारी उपक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा विकसित आरवीएम एक स्टैंडअलोन डिवाइस होगा, जो किसी भी तरह से इंटरनेट से जुड़ा नहीं होगा।

सामाजिक परिवर्तन का माध्यम

कामकाज के सिलसिले में देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने वाले प्रवासियों को वोट देने से वंचित रहने की बात उठाते हुए आरवीएम लागू करने की जरूरत बताई थी और कहा था कि यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन सकता है। आयोग के अनुसार, एक आरवीएम 72 निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकती है, जिसके जरिए प्रवासी बाहर रहने के दौरान भी चुनाव में अपने प्रदेश-जिला में मतदान कर सकेंगे।

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