Lok Sabha Elections: यूपी-बिहार में बड़ा फर्क डाल सकता है ओवैसी का M फैक्टर, लालू-अखिलेश के लिए खतरे की घंटी क्यों?
Lok Sabha Elections 2024 ओवैसी ने हिंदी पट्टी के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर फोकस बढ़ाया है। बिहार-यूपी की करीब दर्जन भर सीटों पर प्रत्याशी उतारने के प्रयास में हैं। अल्पसंख्यक वोटरों से उम्मीद लगाने वाले दलों के लिए यह खतरे की घंटी की तरह है। ओवैसी के आगे बढ़ने का मतलब मुस्लिम वोटरों में बिखराव तय है। ओवैसी यूपी की 10-15 सीटों पर वह संभावना तलाश रहे हैं।
अरविंद शर्मा,नई दिल्ली। पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) में तेलंगाना और महाराष्ट्र की सफलता से उत्साहित असदुद्दीन ओवैसी (asaduddin owaisi) इस बार हिंदी पट्टी में पांव पसारने की जुगत में हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार पांच सीटों पर विजय और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में मिली आंशिक कामयाबी ने उनके दल आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) का हौसला बढ़ा दिया है। इसलिए उन्होंने हिंदी पट्टी के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर फोकस बढ़ाया है। बिहार-उत्तर प्रदेश की करीब दर्जन भर सीटों पर प्रत्याशी उतारने के प्रयास में हैं। अल्पसंख्यक वोटरों से उम्मीद लगाने वाले दलों के लिए यह खतरे की घंटी की तरह है।
मुस्लिम वोटरों में बिखराव तय
ओवैसी के आगे बढ़ने का मतलब मुस्लिम वोटरों में बिखराव तय है। बिहार (Bihar) में अपने पांच में से चार विधायकों के पाला बदलकर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के साथ चले जाने के कारण ओवैसी पहले से ही राजद से खार खाए हुए हैं। पिछले संसदीय चुनाव में ओवैसी ने तीन राज्यों में अलग-अलग तीन प्रत्याशी उतारे थे। तेलंगाना के हैदराबाद से वह स्वयं लड़े थे। बिहार के किशनगंज एवं महाराष्ट्र के औरंगाबाद से अपने दल के प्रत्याशी उतारे थे। करीब 70 प्रतिशत मुस्लिम वोटरों वाली किशनगंज सीट पर लगभग तीन लाख वोट लाकर एआइएमआइएम चूक गई थी, किन्तु अन्य दोनों सीटों पर उसे सफलता मिली थी। इस बार बिहार में आठ सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। चार सीमांचल में और शेष अन्य प्रमंडलों में।
ये भी पढ़ें: चार राज्यों में कांग्रेस-INDIA के दलों में सीटों का फॉर्मूला तय, पहली लिस्ट से भाजपा को टक्कर देने की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम की सफलता संसदीय चुनाव में उलटफेर का संकेत देती है। झारखंड (Jharkhand) में भी दो-तीन सीटों पर लड़ने की बात चल रही है। इसके लिए स्थानीय नेताओं के संपर्क में हैं। ओवैसी पिछले महीने बिहार गए थे। तीन दिन रहे। 2019 में संयुक्त विपक्ष में सिर्फ कांग्रेस को बिहार में मात्र एक सीट मिली थी। ओवैसी की सक्रियता से इस बार उसपर ग्रहण लग सकता है।
यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे ने दिया हौसला
उत्तर प्रदेश (UP) में 2022 के विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम ने 95 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें 58 सीटों पर कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले थे। इस नतीजे ने ओवैसी को यूपी के लिए भी हौसला दिया है। जिन सीटों पर ओवैसी की सक्रियता बढ़ती दिख रही है, उनमें मेरठ, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, संभल और मुरादाबाद प्रमुख हैं। महज एक वर्ष पहले निकाय चुनाव में मेरठ के महापौर चुनाव में एआइएमआइएम प्रत्याशी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। सपा-रालोद गठबंधन एवं बसपा को भी पीछे छोड़ दिया था। हालांकि भाजपा से पीछे रह गया था।ये भी पढ़ें: राजनीति के मैदान पर नहीं चला ग्लैमर का रंग, सुनहरे पर्दे पर चमकने वाले सितारे सत्ता की गलियों में पड़े फीकेओवैसी ने घोषणा कर रखी है कि उत्तर प्रदेश की 10-15 सीटों पर वह संभावना तलाश रहे हैं। उनका मानना है कि रालोद के भाजपा के साथ चले जाने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सपा कमजोर हो चुकी है।