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संसद में दिल्ली से जुड़े विधेयक ने साफ कर दी 2024 की सियासी खेमेबंदी, अब राज्यसभा में स्पष्ट होगी स्थिति

Parliament Monsoon Session संसद में दिल्ली की सेवाओं से जुड़े विधेयक ने राजनीतिक अखाड़े में 2024 के लिए आइएनडीआइए बनाम एनडीए के सज रहे चुनावी मंच से अलग तथाकथित तटस्थ सियासत करने वाली पार्टियों की असली तस्वीर साफ कर दी है। लोकसभा में बीजेडी वाइएसआर कांग्रेस और तेलगुदेशम ने दिल्ली अध्यादेश विधेयक का समर्थन कर यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 06 Aug 2023 09:31 PM (IST)
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संसद में दिल्ली से जुड़े विधेयक ने साफ कर दी 2024 की सियासी खेमेबंदी (फोटो जागरण ग्राफिक्स)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। संसद में दिल्ली की सेवाओं से जुड़े विधेयक ने राजनीतिक अखाड़े में 2024 के लिए आइएनडीआइए बनाम एनडीए के सज रहे चुनावी मंच से अलग तथाकथित 'तटस्थ' सियासत करने वाली पार्टियों की असली तस्वीर साफ कर दी है।

आइएनडीआइए के साथ खड़ा होना दिख रही बीआरएस की मजबूरी

लोकसभा में बीजेडी, वाइएसआर कांग्रेस और तेलगुदेशम ने दिल्ली अध्यादेश विधेयक का समर्थन कर यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि चाहे औपचारिक रूप से वे एनडीए का हिस्सा न हों मगर विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन के खिलाफ वे भाजपा के सहयोगी-मददगार की भूमिका में ही रहेंगे। वहीं एनडीए बनाम आइएनडीआइए की स्पष्ट खेमेबंदी के बाद दुविधा का शिकार तेलंगाना की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति को भी फिलहाल विपक्षी खेमे से निकटता रखने का रास्ता खुला रखने में ही अपना सियासी हित नजर आ रहा है।

बीजेडी, टीडीपी-वाइएसआरपी खुले रूप में एनडीए के सहयोगी

लोकसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुमत होने की वजह से दिल्ली की सरकारी सेवाओं पर केंद्र के नियंत्रण संबंधी विधेयक पिछले हफ्ते पारित कराते वक्त वोटिंग की नौबत नहीं आयी इसलिए एनडीए और आइएनडीआइए के पक्ष या खिलाफ में वोटिंग करने की जहमत नहीं उठानी पड़ी। मगर सोमवार को राज्यसभा में जब विधेयक आएगा तब दोनों खेमों से दूरी दिखाने वालों इन दलों को अपनी-अपनी तटस्थता का चोला उतार कर अपने-अपने करीबी सियासी खेमे के साथ खड़ा होना पड़ेगा।

राज्यसभा में विधेयक पर वोटिंग हुई तो तस्वीर और दिखेगी साफ

राज्यसभा में दोनों खेमों की हो रही सियासी तैयारी के संकेतों से साफ है कि बीजेडी, वाइएसआर कांग्रेस और टीडीपी को भाजपा-एनडीए के पक्ष में सदन में वोटिंग करनी पड़ेगी। यह इसीलिए कि उच्च सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संख्याबल का अंतर ज्यादा नहीं है और ऐसे में आइएनडीआइए विधेयक पर वोटिंग कराने से गुरेज नहीं करना चाहता। इस कसौटी पर ही के चंद्रशेखर राव की बीआरएस को भी दोनों खेमों से दूरी रखने के दावों के उलट आइएनडीआइए के साथ विधेयक के खिलाफ में वोट डालना पड़ेगा।

कई पार्टियों की तटस्थता का उतर गया चोला

संसद में विधेयक पर इन पार्टियों की सियासी लाइन को देखते हुए 2024 के लिए पक्ष-विपक्ष की खेमेबंदी की तस्वीर अब काफी हद तक साफ हो गई है। एनडीए और आइएनडीआइए में शामिल दलों की सियासी लाइन तो पहले ही तय हो चुकी है। मगर अपने राज्यों में राजनीतिक वजहों से किसी खेमेबंदी का हिस्सा नहीं होने वाले बीजेडी, वाइएसआर कांग्रेस और टीडीपी ने साफ कर दिया है कि वे चाहे आधिकारिक रूप से एनडीए का हिस्सा नहीं हैं मगर भाजपा के साथ और आइएनडीआइए के खिलाफ रहेंगे।

आंध्र प्रदेश और ओडिसा का ये है सियासी गणित

ओडिसा में बीजेडी का सियासी वर्चस्व है जहां लोकसभा की 21 सीटे हैं। वहीं 25 लोकसभा सीटों वाले आंध्रप्रदेश की सत्ताधारी वाइएसआर कांग्रेस और विपक्षी टीडीपी दोनों का भाजपा के करीब होने से साफ है कि इन दोनों राज्यों में आइएनडीआइए के लिए ज्यादा गुंजाइश होगी इसमें संदेह है। 2024 की स्पष्ट हो चुकी खेमेबंदी के बीच मायावती की बहुजन समाज पार्टी अकेले अपनी राह पर चलने की बात कह चाहे सीधे एनडीए के पक्ष में न हो मगर इसमें संदेह नहीं कि बसपा आइएनडीआइए के साथ तो नहीं ही है।

कांग्रेस पर हमलावर है अकाली दल

बादल परिवार के अकाली दल ने विधेयक की खिलाफत करने के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर आक्रामक हमले कर यही संकेत दिया कि वह अभी किसी खेमेबंदी में नहीं रहेगी। जबकि कर्नाटक चुनाव के बाद जनता दल सेक्यूलर और भाजपा की लगातार बढ़ती निकटता जगजाहिर है। कुमारस्वामी ने तो कुछ दिन पहले जेडीएस के एनडीए में शामिल होने की बात भी कह दी थी तब उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने सामने आकर इसका खंडन किया। लेकिन कुमारस्वामी का कांग्रेस पर जिस तरह हमला जारी है उससे साफ है कि जेडीएस देर-सबेर भाजपा के पाले में ही नजर आएगी।