PM Modi in Parliament Today: 'रेलवे प्लेटफॉर्म से संसद का सफर', विशेष सत्र में पीएम ने इन खास पलों को किया याद
पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का एक बार फिर से संस्मरण कराने के लिए और नए सदन में जाने के लिए उन प्रेरक पलों को इतिहास की अहम घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है। हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 18 Sep 2023 12:14 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। PM Speech in Lok Sabha। संसद के विशेष सत्र के शुरुआत में ही पीएम मोदी ने लोकसभा के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कई पुराने संसद जुड़ी अपनी स्मृतियों का साझा किया। वहीं, जी 20 की सफलता से लेकर कई मुद्दों पर पीएम मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। आइए पढ़ें की पीएम मोदी ने लोकसभा के जरिए कुछ कहा।
संसद भवन के इतिहास को पीएम ने किया याद
पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा,"देश 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का एक बार फिर से संस्मरण कराने के लिए और नए सदन में जाने के लिए उन प्रेरक पलों को, इतिहास की अहम घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है। हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली। इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था।
पीएम मोदी ने आगे कहा,"हम सभी इस ऐतिहासिक इमारत को अलविदा कह रहे हैं। आजादी से पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की जगह था। आजादी के बाद इसे संसद भवन की पहचान मिली। यह सच है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों ने लिया था, लेकिन हम कभी नहीं भूल सकते और गर्व से कह सकते हैं कि इसके निर्माण में जो मेहनत, मेहनत और पैसा लगा, वह मेरे देशवासियों का था।''
मैं जब पहली बार संसद पहुंचा...
पीएम मोदी ने उस पल को याद जब वो पहली बार संसद भवन पहुंचे। उन्होंने कहा,"मैं पहली बार जब सांसद बना और पहली बार एक सांसद के रूप में मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने इस संसद भवन में अपना शीश झुकाकर इस लोकसभा के मंदिर को श्रद्धाभाव से प्रणाम किया था। वो पल मेरे लिए अद्भुत था।पीएम मोदी ने कहा,"आज भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह पाया है। पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है, उसका मूल कारण है वेद से विवेकानंद तक जो हमने पाया है, सबका साथ सबका विकास का मंत्र हम सबको विश्व से जोड़ रहा है। जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी भावनाओं से भरा पड़ा है। हमारी सबकी स्मृतियां यहां से जुड़ी है. हम सबकी साझी स्मृतियां हैं, इसलिए हम सबका गौरव भी इससे जुड़ा हुआ है। इन 75 सालों में हमने इस सदन में अनेक घटनाएं देखी हैं।