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NDA में आने वाले दलों को सीटों को लेकर करना पड़ रहा है BJP के कड़े रुख का सामना

भाजपा (BJP) ने यह भी साफ कर दिया कि पंजाब के बाहर दिल्ली में पंजाबियों की राजनीति में अकाली दल हस्तक्षेप नहीं करेगी जैसा पहले होता रहा था। इसी तरह से बंटवारे के बाद आंध्रप्रदेश में 2014 में टीडीपी (TDP) ने लोकसभा की 25 सीटों में भाजपा को पांच और विधानसभा की 175 सीटों में से 15 सीटें दी थी।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 05 Jul 2023 08:06 PM (IST)
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NDA में वापसी करने वाले सहयोगियों को पहले की तुलना में कम सीटों पर करना पड़ सकता है समझौता।
नई दिल्ली, नीलू रंजन। राजग में शामिल होने के लिए तैयार दलों को सीटों के लिए भाजपा के कड़े रुख का सामना करना पड़ रहा है। राजग छोड़कर गए टीडीपी और अकाली दल जैसे पार्टियों को भाजपा नेतृत्व ने साफ कर दिया कि अब पुराने फार्मूले पर सीटों के बंटवारा नहीं होगा। वहीं बिहार और कर्नाटक में राजग में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे दलों को भी सीटों को लेकर भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।

जेडीएस फिर से भाजपा के साथ कर सकती है गठबंधन

ध्यान देने की बात है कि राजग से पुराने सहयोगी रहे अकाली दल और टीडीपी के साथ-साथ बिहार में हम, वीआइपी, राष्ट्रीय लोक जनता दल और कर्नाटक में जेडीएस के फिर से भाजपा के साथ गठबंधन की बातें चल रही हैं। पंजाब में अकाली दल और आंध्रप्रदेश में टीडीपी राजग के सबसे पुराने सहयोगियों में रह चुके हैं। लेकिन दोनों ही राज्यों में भाजपा को सहयोगी के मर्जी के अनुरूप चलना पड़ता था।

पंजाब में भाजपा को अकाली दल लोकसभा की 13 सीटों में तीन सीटें और विधानसभा की 117 सीटों में से 23 सीटें देती थी। लेकिन नई बातचीत में भाजपा ने अधिक सीटों पर दावा ठोक दिया है। माना जा रहा है कि भाजपा लोकसभा की पांच और विधानसभा की 46 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है।

यही नहीं, भाजपा ने यह भी साफ कर दिया कि पंजाब के बाहर दिल्ली में पंजाबियों की राजनीति में अकाली दल हस्तक्षेप नहीं करेगी, जैसा पहले होता रहा था। इसी तरह से बंटवारे के बाद आंध्रप्रदेश में 2014 में टीडीपी ने लोकसभा की 25 सीटों में भाजपा को पांच और विधानसभा की 175 सीटों में से 15 सीटें दी थी। वहीं तेलंगाना में भाजपा के हिस्से में विधानसभा की 119 सीटों में से 47 और लोकसभा की 17 सीटों में से सात सीटें आई थीं।

बिहार में भाजपा 30 सीटों पर लड़ने की तैयारी में

नई परिस्थितियों में भाजपा ने साफ कर दिया कि तेलंगाना में जनाधार बनाने की कोशिश में जुटी है और यहां टीडीपी के लिए कोई खास जगह नहीं होगी। वहीं आंध्रप्रदेश में भी भाजपा लोकसभा और विधानसभा की सीटें दोगुनी करने पर जोर दे रही है। इसी तरह से कर्नाटक में भाजपा जेडीएस को लोकसभा की 28 में से तीन-चार सीटें देने को ही तैयार है। बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी जीती हुई पांच सीटें जदयू को दिया था और दोनों दलों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

छह सीटें लोजपा के खाते में आई थी। लेकिन जदयू से अलग होने के बाद भाजपा नए सहयोगियों के साथ राजग का कुनबा खड़ा करने की कोशिश कर रही है। लेकिन जीतनराम मांझी की हम को एक सीट, मुकेश सैनी की वीआइपी को एक सीट और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल को तीन सीट का आफर कर सकती है। वहीं चिराग पासवान को भी छह बजाय इस बार पांच सीटों पर राजी करने की कोशिश होगी। यानी बिहार में भाजपा अकेले 30 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है।