Partition Horrors Remembrance Day: भाजपा सांसद ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करें 'देश विभाजन' की त्रासदी
Partition Horrors Remembrance Day भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर विभाजन की त्रासदी को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बयान का भी पत्र में हवाला दिया है।
By Mohd FaisalEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 11:29 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले देश में 14 अगस्त को 'विभाजन भयावह स्मृति दिवस' मनाया गया था। अब उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने 'विभाजन भयावह स्मृति दिवस' को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। भाजपा सांसद ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 14 अगस्त को मनाए जाने वाले 'विभाजन भयावह स्मृति दिवस' के महत्व को स्कूल के बच्चों तक पहुंचाया जाए। इस लिए इस त्रासदी को स्कूल के इतिहास पाठ्यक्रम के शामिल किया जाना चाहिए।
इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल की जाए विभाजन की त्रासदी
भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पीएम को लिखे पत्र में कहा कि मेरे विचार से विश्व की सबसे क्रूर घटना का संपूर्ण प्रामाणिक ज्ञान भारत की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को देना चाहिए। यह तभी संभव है जब 'विभाजन 1947 की भयावहता' की पूरी तस्वीर को इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों को पढ़ाया जाए।
भाजपा सांसद ने पीएम मोदी के बयान का दिया हवाला
भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने देश के बंटवारे पर पीएम मोदी के बयान का भी हवाला दिया। पत्र में कहा गया है कि आपने खुद कहा था कि बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता, हर साल 14 अगस्त को मनाया जाने वाला 'विभाजन स्मरण दिवस' न केवल हमें भेदभाव के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करता है बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारतीय आबादी को विभाजन के पीछे की पृष्ठभूमि और कारण पता होना चाहिए।विभाजन के बंटवारे का देश को पता होना चाहिए- हरनाथ सिंह
भाजपा सांसद ने पत्र में आगे कहा कि देश की अधिकांश आबादी स्वतंत्रता के बाद पैदा हुई थी। देश का विभाजन क्यों हुआ? विभाजन के पीछे की पृष्ठभूमि क्या थी? विभाजन की वास्तविकता क्या थी जो लाखों लोग सहन करते हैं? विभाजन के लिए कौन जिम्मेदार था? इस पर सटीक जानकारी देने के लिए कोई तथ्यात्मक साहित्य उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसे पाठ्यपुस्तक में शामिल किया जाना चाहिए।