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Pasmanda Muslims: भाजपा OBC मोर्चा प्रमुख ने मुस्लिम संस्थानों में पसमांदा समुदाय के लिए 50% आरक्षण की मांग की

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण ने शनिवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया और जामिया हमदर्द जैसे मुस्लिम संस्थानों में पसमांदा समुदाय के लिए 50% आरक्षण की मांग की। इस कदम ने समुदाय के एक वर्ग को नाराज कर दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 07 Aug 2022 08:46 PM (IST)
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भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण
नई दिल्‍ली, एजेंसी। मुस्लिम समाज में मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पिछड़े पसमांदा समुदाय के लिए बड़ी मांग उठाई गई। दूरगामी प्रभाव होने की संभावना में भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण ने शनिवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और जामिया हमदर्द जैसे मुस्लिम संस्थानों में पसमांदा समुदाय के लिए 50% आरक्षण की मांग की। इस कदम ने समुदाय के एक वर्ग को नाराज कर दिया है। कई लोगों ने इसे जाति के आधार पर समुदाय को विभाजित करने के लिए एक चाल माना है।

नई दिल्ली में पसमांदा मुस्लिम स्नेह मिलन और सम्मान समारोह में लक्ष्मण ने कहा कि मैं समुदाय के भीतर पसमांदा मुसलमानों के सदियों पुराने अन्याय और शोषण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करता हूं। पसमांदा समुदाय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हैं। आजादी के 75 साल बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया है। पसमांदा का मुद्दा हिंदू-मुस्लिम एकता की शोर में दब गया है। पसमांदा मुसलमानों को आज एएमयू,, जामिया मिलिया और जामिया हमदर्द में 50% आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

इससे पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष आतिफ रशीद, जो भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख हैं, ने एएमयू, जामिया और झामुमो के कुलपतियों को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों में पसमांदा मुसलमानों के लिए आरक्षण का अनुरोध किया था।

15 जून को लिखे एक पत्र में रशीद ने "कोटा के भीतर कोटा" के बारे में लिखा था। उन्‍होंने कहा कि हमने अल्पसंख्यक संस्थानों के तीन वीसी को पत्र लिखकर पसमांदा मुसलमानों के लिए मुस्लिम कोटे के भीतर 50% आरक्षित करने के लिए कहा। इसे किसी को परेशान नहीं करना चाहिए या विश्वविद्यालयों के भीतर समीकरण नहीं बदलना चाहिए क्योंकि हम केवल कोटा के भीतर ही कोटा मांग रहे हैं जो पहले से ही चलन में है।

विश्वविद्यालयों ने अभी तक प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसलिए लक्ष्मण ने इसे दिल्ली बैठक में उठाया।