Move to Jagran APP

Katchatheevu Island: कच्चाथिवू पर DMK बेनकाब, PM मोदी ने कांग्रेस पर जमकर साधा निशान; जयशंकर बोले- मछुआरों का हित मारने वाले शुभचिंतक होने का कर रहे दिखावा

जयशंकर ने कहा कि ऐसा कर डीएमके खुद को मछुआरों का हितैषी साबित करने की कोशिश करती है जबकि सच्चाई बिल्कुल उल्टा है और इसे जनता को जानने का अधिकार है। कच्चाथिवू को भारत में फिर से लाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसीलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Tue, 02 Apr 2024 12:07 AM (IST)
Hero Image
Katchatheevu Island: कच्चाथिवू पर DMK बेनकाब, PM मोदी ने कांग्रेस पर जमकर साधा निशान (File Photo)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कच्चाथिवू द्वीप श्रीलंका को दिये जाने के मुद्दे पर भाजपा का डीएमके और कांग्रेस पर हमला जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस मामले में सामने आए नए तथ्यों ने डीएमके के दोहरे मापदंड को बेनकाब कर दिया है। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मछुआरों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले लोग ही अभी तक उनके शुभ¨चतक होने का नाटक करते रहे हैं और इसकी सच्चाई जनता को जानना जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी ने पोस्ट पर कांग्रेस और डीएमके पर हमला करते हुए लिखा कि दोनों परिवारवादी पार्टियां सिर्फ अपने बेटों और बेटियों की चिंता तक सीमित है।

उन्होंने कहा कि कच्चाथिवू पर दोनों दलों की आपराधिक साठगांठ ने मछुआरों के हितों का बहुत नुकसान पहुंचाया है। वहीं एस जयशंकर ने कच्चाथिवू को लेकर कांग्रेस के तत्कॉलीन नेतृत्व की सोच को उजागर किया। जयशंकर के अनुसार पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी ने कच्चाथिवू को छोटा टापू कहकर इस विवाद से पीछा छुड़ाने की कोशिश की थी और इस आशय के बयान भी दिये थे।

वहीं तत्कॉलीन डीएमके सरकार के मुख्यमंत्री के करुणानिधि को 1974 में श्रीलंका के साथ समझौते के एक साल पहले से इसकी जानकारी थी और इसके दस्तावेजी सबूत मौजूद है। जयशंकर के अनुसार 1974 के समझौते में कच्चाथिवू श्रीलंका को दिये जाने के बावजूद वहां भारतीय मछुआरों को मछली मारने का हक दिया गया था। लेकिन दो साल बाद 1976 में हुए समझौते में इसे खत्म कर दिया गया। पांच दशक पुराने मामले को नए सिरे उठाने की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि तमिलनाडु में अभी तक यह मुद्दा बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में 6185 मछुआरों को कच्चाथिवू के नजदीक मछली पकड़ने के आरोप में श्रीलंका गिरफ्तार कर चुका है और साथ ही 1175 नौकाएं भी जब्त कर चुका है। संसद में सवाल पूछने के साथ-साथ तमिलनाडु के डीएमके सांसद संसदीय समितियों की बैठक में भी लगातार यह मुद्दा उठाते रहे हैं। पिछले पांच साल में खुद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन लगातार केंद्र को पत्र लिख रहे हैं। विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर ने खुद उनके 21 पत्रों का जवाब दिया है।

जयशंकर ने कहा कि ऐसा कर डीएमके खुद को मछुआरों का हितैषी साबित करने की कोशिश करती है, जबकि सच्चाई बिल्कुल उल्टा है और इसे जनता को जानने का अधिकार है। कच्चाथिवू को भारत में फिर से लाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसीलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

लेकिन उन्होंने इतना जरूर साफ किया कि मोदी सरकार पिछले 10 सालों में तमिलनाडु के मछुआरों की समस्या को दूर करने का हरसंभव प्रयास कर रही है और उनकी मदद कर रही है। 19 अप्रैल को पहले फेज में तमिलनाडु की सभी 39 सीटों के मतदान होना है। इसके पहले भाजपा इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटी है। तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष अन्नामलाई ने खुद आरटीआइ के तहत कच्चाथिवू की जानकारी आरटीआइ के तहत जुटाई है।

यह भी पढ़ें: Kachchatheevu Island Controversy: किसने बांटा देश का हिस्सा, कच्छथीवू का काला किस्सा