Move to Jagran APP

पीएम मोदी ने किया Nalanda university के नए कैंपस का उद्घाटन, जानिए कैसा है इसका इतिहास, किसने किया था बर्बाद?

Nalanda University Campus प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। यह कैंपस प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे आक्रमणकारियों ने करीब 800 साल पहले जला दिया था। लेकिन एक बार फिर यह पुराने स्वरूप में लौटा है। जानिए इसका इस विश्वविद्यालय का क्या है इतिहास और खासियतें।

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Wed, 19 Jun 2024 03:07 PM (IST)
Hero Image
Nalanda University Campus: पीएम नरेंद्र मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का किया उद्घाटन।
Nalanda University Campus : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 19 जून को बिहार में नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहां उन्होंने इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया। पीएम मोदी प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी के 1600 साल पुराने खंडहर भी गए। इस दौरान उनकी गाइड पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्या बनीं। पीएम मोदी के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद थे। दरअसल, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भारत के समृद्ध इतिहास का अमिट दस्तावेज रहा है, जो प्राचीन भारत के गौरवशाली अतीत को दर्शाता था। लेकिन, खिलजी वंश के आक्रमणकारियों ने इसे लूटा, कत्लेआम मचाया और जला डाला।

800 साल के लंबे इंतजार के बाद इसे फिर इसे पुराने स्वरूप में लौटाने की कवायदें हुईं और सरकारों ने इस पर काम किया। 2007 से तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पहल के बाद इसके निर्माण की रूपरेखा बनाई गई थी और आज पीएम मोदी ने 19 जून को नए परिसर का उद्घाटन किया। जानिए नालंदा के समृद्ध अतीत, उसके पतन की कहानी और उसके वर्तमान स्वरूप की खासियतों के बारे में।

किस तरह शुरू हुई स्थाई भवन के आकार लेने की प्रक्रिया?

  • वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पहल पर इसे एक नई यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए एक बिहार असेंबली में विधेयक पास हुआ।
  • नई यूनिवर्सिटी 2014 को अस्थाई रूप से 14 विद्यार्थियों के साथ संचालित होना शुरू हुई।
  • साल 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राजगीर के पिलखी विलेज में नालंदा विवि के स्थाई परिसर की आधारशिला रखी थी।
  • नए परिसर का निर्माण कार्य साल 2017 से प्रारंभ किया गया और 19 जून 2024 को इसका उद्घाटन हुआ।

455 एकड़ में फैले कैंपस की क्या है खासियत?

  • करीब 455 एकड़ के दायरे में फैला यह कैंपस विश्व का सबसे बड़ा नेट जीरो ग्रीन कैंपस माना जाता है।
  • इसकी इमारतें कुछ इस तकनीक से बनाई गई हैं, जो गर्मी में ठंडी और ठंड के दिनों में गर्म बनी रहती हैं।
  • नए कैंपस में 1 हजार 750 करोड़ रुपये की धनराशि से नए भवनों और अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया गया।
  • नालंदा यूनिवर्सिटी की दो एकेडमिक बिल्डिंग्स हैं। इनमें 40 क्लासरूम्स बनाए गए हैं और 300 सीटों वाला एक एक भव्य आडिटोरियम बनाया गया है।
  • नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस में विशाल लाइब्रेरी, खुद का पावर प्लांट भी है।इस यूनिवर्सिटी में 26 विभिन्न देशों के विद्यार्थी स्टडी कर रहे हैं।
  • पोस्ट ग्रेजुएशन, डॉक्टरेट रिसर्च कोर्स, शॉर्ट सर्टिफिकेट कोर्स, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए 137 स्कॉलरशिप खास विशेषता है।

तोड़ा, कत्लेआम मचाया; दर्दभरी है नालंदा यूनिवर्सिटी की दास्तां

  • नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस प्राचीन खंडहरों के करीब ही है। 800 से ज्यादा वर्षों तक खंडहर में रहने वाली नांलदा यूनिवर्सिटी कभी भारत का वैभव हुआ करती थी। यहां एक दुनियाभर के करीब 10 हजार विद्यार्थी विद्या अध्ययन के लिए आते थे।
  • नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश में हुई थी। इस वंश के शासक कुमारगुप्त ने 425 ईसवी से 470 ईसवी के बीच इसकी स्थापन की थी।
  • गुप्तवंश में भारत की समृद्धि और ख्याति दुनियाभर में फैली हुई थी और नालंदा विवि भी वैश्विक शिक्षा का अहम केंद्र बन गया था।
  • गुप्त वंश के पतन के बाद भी भारत के हर्षवर्धन के काल में यह विश्वविद्यालय फलता फूलता रहा। इस दौरान करीब 6 शताब्दियों तक इस यूनिवर्सिटी की ख्याति का लोहा दुनिया ने माना।
  • प्राचीन नालंदी विवि इतना भव्य था कि यहां पूर्व में ​चीन, जापान, कोरिया, तिब्बज जैसे देशों के विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे। वहीं मिडिल ईस्ट से ईरान जैसे देशों के विद्यार्थी भी यहां पढ़ने आए।
  • प्राचीन यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी बहुत समृद्ध थी। बताया जाता है कि यहां 3 लाख से भी ज्यादा पुस्तकें सहेजकर रखी गई थीं। यही नहीं 300 रूम और 7 बड़े सभागार भी इस वि​श्वविद्यालय की शोभा बढ़ाते थे।
  • जब 13वीं सदी में खिलजी शासकों ने भारत पर आक्रमण किया और कई ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाया। इसकी जद में नालंदा विश्वविद्यालय भी आया।
  • तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्लायल पर जोरदार हमला किया और इसके बर्बाद कर दिया। कई बौद्ध भिक्षुओं का कत्लेआम किया।
  • आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया। चूंकि इस विवि में लाखों किताबें थीं, इसलिए नालंदा विवि तीन महीने तक धू धू करके जलता रहा, आग की लपटों में इस विश्वविद्यालय के ही नहीं, भारत के वैभव को भी जला डाला था।