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एमजी रामचंद्रन की जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि‍, बोले- प्रभावी प्रशासक के रूप में किया जाता है याद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित एमजी रामचंद्रन की जयंती पर उन्हें याद किया। प्रधानमंत्री ने एमजीआर की ओर से गरीबी को खत्म करने के लिए किए गए काम और महिला सशक्तीकरण के प्रयासों की सराहना की।

By Geetika SharmaEdited By: Updated: Mon, 17 Jan 2022 07:13 PM (IST)
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एमजी रामचंद्रन की जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजली
नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित एमजी रामचंद्रन की जयंती पर उन्हें याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमजीआर को एक प्रभावी प्रशासक के रूप में व्यापक तौर से सराहा जाता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने एमजीआर की ओर से गरीबी को खत्म करने के लिए किए गए काम और महिला सशक्तीकरण के प्रयासों की सराहना की। पीएम ने कहा कि एमजीआर ने सामाजिक न्याय और महिला सशक्तीकरण को हमेशा अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा।

प्रभावी प्रशासक के रूप में सराहे जाते हैं एमजीआर

प्रधानमंत्री ने सोमवार को भारत रत्न एमजीआर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए ट्वीट कर कहा कि एमजीआर को हमेशा प्रभावी प्रशासक के रूप में सराहा जाता है। उन्होंने आगे कहा कि एमजीआर ने अपनी योजनाओं के माध्यम से गरीब लोगों के जीवन में काफी सकारात्मक बदलाव किए। उन्होंने कहा कि एमजीआरस की सिनेमाई प्रतिभा भी लोगों में काफी चर्चित है। पीएम समेत कई बड़ी हस्तियों ने भी एमजीआर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजली दी।

कौन थे एमजी रामचंद्रन

आपको बता दें कि एमजी रामचंद्रन का जन्म 17 जनवरी 1917 में नवलपिट्टिया में हुआ था। नवलपिट्टिया श्रीलंका की सीमा में आता है। इसके साथ ही उनको अभिनय का काफी शौक था। उन्होंने अपने स्कूल में ही एक्टिंग सीखना शुरू कर दिया था और वह तमिल फिल्मों के सुपरस्टार थे। उन्होंने 30 सालों तक तमिल सिनेमा में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इसके साथ ही एमजी रामचंद्रन तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के संस्थापक भी थे। उन्होंने 1977 से 1987 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में 10 सालों तक काम किया। 1987 में एमजीआर का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ही निधन हो गया था। उनकी मृत्यु के बाद 1988 भारत सरकार की ओर से उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।