'नेहरु जी कहते थे...', जब संसद में पीएम मोदी ने कांग्रेस को याद दिलाया पूर्व प्रधानमंत्री का लिखा पत्र
आगामी लोकसभा (Lok Sabha Chunav 2024) में राजग को 400 सीटें मिलने के मल्लिकार्जुन खरगे के आशीर्वाद को सिर माथे पर लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को 40 सीटें मिलने पर भी संदेह जताने वाले ममता के बयान को लेकर चुटकी भी ली। तीसरी बार जीत का भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि जिनकी वारंटी खत्म हो गई है देश उनकी बातें नहीं सुन सकता है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले संसद में अपने संभवत: अंतिम भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर जमकर बरसे। कांग्रेस को अंग्रेजों की गुलाम मानसिकता वाली अप्रासंगिक हो गई पार्टी बताते हुए उसे आदिवासी, दलित और ओबीसी का जन्मजात विरोधी बताया।
आगामी लोकसभा में राजग को 400 सीटें मिलने के मल्लिकार्जुन खरगे के 'आशीर्वाद' को सिर माथे पर लेते हुए उन्होंने कांग्रेस को 40 सीटें मिलने पर भी संदेह जताने वाले ममता के बयान को लेकर चुटकी भी ली। तीसरी बार जीत का भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि जिनकी वारंटी खत्म हो गई है, देश उनकी बातें नहीं सुन सकता है।
जवाहरलाल नेहरू के एक पत्र का किया जिक्र
जाति जनगणना के वायदे के साथ ओबीसी, दलित और आदिवासी को साधने में जुटी कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि किस तरह से पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही कांग्रेस आरक्षण की विरोधी रही है। इसके लिए उन्होंने नेहरू द्वारा उस समय मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का हवाला दिया। पत्र में नेहरू ने लिखा था कि 'मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता और नौकरियों में आरक्षण को तो कतई नहीं। मैं ऐसे किसी भी काम के खिलाफ हूं जो अकुशलता को बढ़ावा दे।'अगर बाबा साहब अंबेडकर न होते तो...
केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों में ओबीसी, एससी, एसटी की नगण्य भागीदारी के राहुल गांधी के बयान पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके मूल में नेहरू की आरक्षण विरोधी सोच थी। यदि उस समय इन वर्गों को आरक्षण का लाभ दिया जाता तो वे आज नौकरशाही में शीर्ष पदों पर जरूर होते।प्रधानमंत्री ने आशंका जताई कि यदि बाबा साहब अंबेडकर नहीं होते, तो शायद एससी और एसटी को भी आरक्षण नहीं मिलता। नारे लगाते कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से जाति जनगणना और ओबीसी, एससी, एसटी को जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग को दिखावा है।
नेहरू का कथन पत्थर की लकीर
कांग्रेस के लिए नेहरू का कथन पत्थर की लकीर है। उनकी दलित विरोधी मानसिकता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि बाबा साहब अंबेडकर को भारत रत्न देने के बजाय अपने परिवारजनों को भारत रत्न देते रहे। उन्होंने पिछले दिनों ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख और गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा के पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें संविधान निर्माण में बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को कमतर दिखाने की कोशिश की गई थी। इस सिलसिले में उन्होंने दलित नेता और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी को जबरन उठाकर फुटपाथ पर फेंक दिया, जिसके वीडियो भी उपलब्ध हैं।
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि द्रोपदी मुर्मु के राष्ट्रपति चुनाव में विरोध सिर्फ आदिवासी बेटी होने के कारण किया गया। यदि विचारधारा के आधार पर विरोध होता को एक पूर्व भाजपा नेता को कांग्रेस द्रौपदी मुर्मु के सामने खड़ा नहीं करती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ओबीसी, दलित और आदिवासी विरोधी होने के अनेकों उदाहरण हैं, लेकिन इसे केवल जम्मू-कश्मीर के संदर्भ से समझा जा सकता है, जहां आजादी के बाद सात दशकों तक ओबीसी, एससी, एसटी को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया, जबकि पूरे देश में उन्हें यह लाभ मिल रहा था।परोक्ष तौर पर राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस नेता की खुद की गारंटी नहीं है, वो मोदी की गारंटी पर सवाल उठा रहे हैं।