'ओडिशा इतिहास' का हिंदी संस्करण जारी, पीएम मोदी ने की हरेकृष्ण महताब की तारीफ, बोले- लोकतंत्र बचाने जेल तक गए
नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के जनपथ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर से उत्कल केशरी डॉ हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्तक ओडिशा इतिहास के हिंदी संस्करण का विमोचन किया। अब तक ओडिया और अंग्रेजी में उपलब्ध पुस्तक का हिंदी में अनुवाद शंकरलाल पुरोहित ने किया है।
By Nitin AroraEdited By: Updated: Fri, 09 Apr 2021 01:08 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के जनपथ, अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर से 'उत्कल केशरी' डॉ हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्तक 'ओडिशा इतिहास' के हिंदी संस्करण का विमोचन किया। अब तक ओडिया और अंग्रेजी में उपलब्ध पुस्तक का हिंदी में अनुवाद शंकरलाल पुरोहित ने किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि करीब डेढ़ वर्ष पहले हम सब ने ‘उत्कल केसरी’ हरेकृष्ण महताब जी की एक सौ बीसवीं जन्मजयंती मनाई थी। आज हम उनकी प्रसिद्ध किताब ‘ओडीशा इतिहास’ के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण कर रहे हैं। ओडिशा का व्यापक और विविधताओं से भरा इतिहास देश के लोगों तक पहुंचे, ये बहुत आवश्यक है।
पीएम मोदी ने कहा कि पुस्तक उस वर्ष में प्रकाशित हुई है, जब राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह 100वां वर्ष भी है जब हरेकृष्ण महताब ने कॉलेज छोड़ दिया और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। जब गांधी जी ने दांडी यात्रा शुरू की, तो उन्होंने ओडिशा में आंदोलन का नेतृत्व किया।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस किताब की भूमिका में लिखा हुआ है कि डॉ. हरेकृष्ण महताब जी वो व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास बनाया, इतिहास बनते हुए देखा और इतिहास लिखा भी। ऐसे महापुरुष खुद भी इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय होते हैं। महताब जी ने आजादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया और जेल की सजा काटी थी।
उन्होंने आगे कहा कि आज के जनप्रतिनिधि यह जानकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि जिस पार्टी से वह (हरेकृष्ण महताब) सीएम बने थे, वह वही है जिसका उन्होंने आपातकाल के दौरान विरोध किया था और जेल गए थे। वह एक अलग नेता थे जो देश की आजादी के साथ-साथ अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए जेल गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले कि इतिहास केवल अतीत का अध्याय ही नहीं होता, बल्कि भविष्य का आईना भी होता है। इसी विचार को सामने रखकर आज देश अमृत महोत्सव में आजादी के इतिहास को फिर से जीवंत कर रहा है।
मोदी बोले, 'पाइक संग्राम, गंजाम आंदोलन और लारजा कोल्ह आंदोलन से लेकर सम्बलपुर संग्राम तक ओडिशा की धरती ने विदेशी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की ज्वाला को हमेशा नई ऊर्जा दी। कितने ही सेनानियों को अंग्रेजों ने जेलों में डाला, यातानाएं दी। लेकिन आजादी का जूनून कम नहीं हुआ।'
उन्होंने कहा कि ओडिशा के अतीत को आप खंगालें, आप देखेंगे कि उसमें हमें ओडिशा के साथ साथ पूरे भारत की ऐतिहासिक सामर्थ्य के भी दर्शन होते हैं। इतिहास में लिखित ये सामर्थ्य वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है, भविष्य के लिए हमारा पथप्रदर्शन करता है।केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भर्तृहरि महताब सांसद (एलएस), कटक भी इस अवसर पर उपस्थित हैं। प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई और कहा गया, 'हिंदी संस्करण के विमोचन का आयोजन हरेकृष्णा महताब फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।'
बता दें कि डॉ हरेकृष्ण महताब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सेनानी थे, उन्होंने 1946 से 1950 तक और 1956 से 1961 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया। उन्होंने अहमदनगर किले जेल में 'ओडिशा इतिहास' पुस्तक लिखी, जहां उन्हें 1942 से 45 के दौरान दो साल से अधिक की जेल हुई थी।