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30 साल पहले कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान पीएम को भी भाया था ‘रं’ समाज का आतिथ्य

वर्ष 1990 में कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में प्रवास के समय काली नदी के तट पर नरेंद्र मोदी। साभार राज्य सूचना आयुक्त सीएस नपलच्याल

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 25 Nov 2019 08:52 AM (IST)
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30 साल पहले कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान पीएम को भी भाया था ‘रं’ समाज का आतिथ्य
गणेश जोशी, हल्द्वानी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘रं’ समाज की याद यूं ही नहीं आ गई। उन्होंने 1990 में धारचूला में प्रवास किया था। उस दौरान उन्हें रं समाज के लोगों के आतिथ्य ने काफी प्रभावित किया था। वह मातृभाषा के प्रति उनके लगाव से बेहद प्रभावित हुए थे। रविवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में रं समाज की बोली, उसके संरक्षण के प्रयास और उनकी संस्कृति का जिक्र किया तो समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। समाज के सरोकारों से जुड़े राज्य सूचना आयुक्त सीएस नपलच्याल ने उस दौरे की यादें साझा की।

सीएस नपलच्याल बताते हैं कि तीन महीने पहले देहरादून में रं समाज का भव्य आयोजन हुआ था। इस आयोजन के दौरान तमाम आलेख भी प्रकाशित हुए थे, जिसमें हमारे समाज का विस्तृत वर्णन था। लगता है कि प्रधानमंत्री को इस लेख पर ही वर्ष 1990 में अपनी यात्रा का संस्मरण हो गया। जैसा कि वह मन की बात में भी जिक्र करते हैं। तब वह कैलास मानसरोवर की यात्रा पर थे।

नेपाल से लौटते समय धारचूला में ठहरे थे। उन्होंने स्थानीय लोगों से खूब बातें की। तस्वीरें भी खिंचवाई थी। तब भी उन्होंने समुदाय की संस्कृति, मातृभाषा और परंपराओं की तारीफ की थी। रविवार को जब पीएम ने विलुप्ति होने को पहुंची रं बोली पर मन की बात में चर्चा की तो हमारे समुदाय के लोगों को बहुत खुशी हुई। इससे युवा पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति को सहेजने के लिए प्रेरणा मिलेगी। हमारी बोली की कोई लिपि नहीं है।

फिर भी हम वाट्सएप ग्रुप के जरिये देवनागिरी में ही संवाद करते हैं। अल्मोड़ा के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. केएस नपलच्याल का कहना है, हमने अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हर स्तर पर प्रयास करते हैं। बच्चे भी अपनी बोली का इस्तेमाल करें। इस तरह का माहौल बनाते हैं। वर्ष 1990 में कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में प्रवास के समय काली नदी के तट पर नरेंद्र मोदी।