Political Crisis: राजस्थान के रण में नहीं झुके पायलट, चला सियासी ब्रह्मास्त्र, कांग्रेस ने खोया युवा नेता
कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते की भावना के तहत मनाने के सारे यत्न किए मगर पायलट नहीं माने।
By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Tue, 14 Jul 2020 10:37 PM (IST)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। राजस्थान में अपनी सत्ता बचाने के लिए आखिरकार कांग्रेस ने अपने बागी युवा चेहरे सचिन पायलट के खिलाफ बर्खास्तगी का सियासी ब्रहमास्त्र चला ही दिया। बगावत छोड़ने के लिए समझाने-मनाने के सारे प्रयास नाकाम होने के बाद पार्टी ने पायलट को उपमुख्यमंत्री पद ही नहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाते हुए कांग्रेस से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया। पायलट के दो समर्थक मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है। हालांकि पायलट को बाहर करने के बाद भी राजस्थान कांग्रेस का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है क्योंकि अनुशासनात्मक कार्रवाई का डंडा चलाए जाने के डर के बावजूद सचिन समर्थक करीब 18-19 विधायकों ने बगावती तेवर नहीं छोडे़ हैं।
बर्खास्तगी के तत्काल बाद पायलट ने कहा- सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहींबर्खास्तगी के तत्काल बाद ट्वीट में छोटी मगर गंभीर प्रतिक्रिया में पायलट ने राजस्थान के सियासी कुरूक्षेत्र में गहलोत को चुनौती का संदेश देते हुए कहा 'सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं।' वैसे कांग्रेस ने पायलट को संगठन और सरकार से बाहर तो कर दिया है मगर पार्टी से बाहर करने की कार्रवाई नहीं की गई है। इस कदम के जरिये यह साफ कर दिया है कि अब कांग्रेस छोड़ने की औपचारिकता और समय का फैसला खुद पायलट को करना है।
पायलट मौजूद संकट पर बुधवार को तोड़ेंगे चुप्पीवहीं भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं को अब तक नकार रहे पायलट बुधवार को अपनी आगे की सियासी राह से लेकर मौजूद संकट पर चुप्पी तोड़ेंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पायलट की पार्टी में अगवानी के लिए आने का खुला न्यौता तो दिया है। लेकिन कांग्रेस में टूट कराने लायक विधायकों की संख्या से दूर दिख रहे पायलट कैंप ने संकेत दिए हैं कि युवा नेता अपना अलग सियासी मोर्चा बनाने के विकल्प पर गंभीर हैं।
पायलट का पार्टी से बाहर होना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान बुधवार को वे अपनी अगली राजनीतिक दशा-दिशा का ऐलान भी कर सकते हैं। वैसे पायलट का पार्टी से बाहर होना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के चार महीने बाद ही पायलट जो कांग्रेस के युवा और भविष्य के बडे़ चेहरों में शुमार किए जाते हैं उनकी भरपायी पार्टी के लिए मुश्किल होगी। खासतौर पर तब जब कांग्रेस इस समय अपने सबसे गंभीर सियासी संकट और संक्रमण के दौर से जूझ रही है।
पायलट को मनाने की भरपूर कोशिशें कांग्रेस विधायक दल की मंगलवार को जयपुर में हुई बैठक से पहले पायलट को मनाने की भरपूर कोशिशें पार्टी के शीर्ष रणनीतिकारों और दूतों की ओर से अंतिम क्षणों तक हुई। सूत्रों के अनुसार पायलट को संदेश दिया गया कि अगर वे बगावत की राह से लौट आते हैं तो सब कुछ भूलकर कांग्रेस नेतृत्व उनकी सभी शिकायतों पर गंभीरता से गौर करेगा।सोनिया ने रणनीतिकारों को दिया था संदेश, हर वो प्रयास किए जाएं जिसे सचिन पार्टी न छोडे़
सोनिया गांधी ने भी रणनीतिकारों को यही संदेश दिया था कि हर वो प्रयास किए जाएं जिसे सचिन पार्टी न छोडे़। तब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उन्हें यह संदेश भेजा कि चूंकि अब वे बैठक में शामिल नहीं हो सकते तो दिल्ली में ही मीडिया के सामने आकर बयान जारी कर संकट का पटाक्षेप कर दें।अपने रुख पर अडे़ पायलट पर चला बर्खास्तगी का ब्रह्मास्त्र
इसके लिए विधायक दल की बैठक कुछ समय के लिए टाली गई मगर जब अपने रुख पर अडे़ पायलट ने झुकने के कोई संकेत नहीं दिए तो बर्खास्तगी का ब्रह्मास्त्र चला दिया गया। पार्टी के संकटमोचक के तौर पर हाईकमान की ओर से भेजे गए रणनीतिकार रणदीप सुरजेवाला ने विधायक दल की बैठक से बाहर आकर सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पदों से बर्खास्त किए जाने का एलान किया। साथ ही पायलट पर इस कडे़ फैसले के लिए पार्टी को मजबूर करने की तोहमत जड़ दी।
सुरजेवाला ने कहा- कांग्रेस नेतृत्व ने मनाने के सारे यत्न किए मगर वे नहीं मानेसुरजेवाला ने कहा कि डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष होते हुए भी भाजपा की साजिश से गुमराह होकर अपनी सरकार को गिराने के प्रयास में पायलट और कुछ कांग्रेस विधायक शामिल हो गए थे। बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते की भावना के तहत मनाने के सारे यत्न किए मगर वे नहीं माने।
पायलट कैंप ने कहा- पार्टी के शिखर नेतृत्व की ओर से सीधी पहल नहीं की गईहालांकि पायलट कैंप ने दिल्ली में यह संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी के शिखर नेतृत्व की ओर से सीधी पहल नहीं की गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पायलट पर भाजपा के हाथों में खेलने और राजस्थान में मध्यप्रदेश व कर्नाटक की कहानी दोहराने की साजिश में शरीक होने का आरोप लगाया। बैठक के बाद गहलोत ने सीधे राजभवन पहुंच राज्यपाल कलराज मिश्र को पायलट और उनके दो समर्थक मंत्रियों को बर्खास्त करने की चिट्ठी सौंप दी।
शिक्षामंत्री जाट नेता गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्तकांग्रेस ने इसके बाद पायलट की जगह गहलोत सरकार में शिक्षामंत्री जाट नेता गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस का तत्काल नया अध्यक्ष नियुक्त कर डाला। पायलट समर्थक युवा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश भाकर की जगह विधायक गणेश घोघरा को युवा इकाई की कमान सौंपी गई। प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के प्रमुख को भी बर्खास्त कर संगठन से पायलट समर्थक अहम चेहरों को पूरी तरह बाहर कर दिया गया।