जाति जनगणना पर सियासी घमासान, भाजपा ने कहा- पंडित नेहरू से लेकर मनमोहन सरकार तक किया गया इसका विरोध
पंडित नेहरू इंदिरा राजीव से लेकर मनमोहन सरकार तक किया गया जाति जनगणना का विरोध। मंडल कमीशन को दबाए बैठी रही इंदिरा व राजीव। कर्नाटक में कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी तीन साल तक रिपोर्ट को नहीं किया प्रकाशित।
नई दिल्ली, आशुतोष झा। जाति जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने को लेकर तेज हुई राजनीति के बीच भाजपा दो मोर्चों पर तैयारी में जुट गई है। एक तरफ जहां क्षेत्रीय दलों के सामाजिक न्याय पर भारी परिवारवाद का उदाहरण पेश किया जाएगा। वहीं, एकबारगी मुखर हुई कांग्रेस को इतिहास के पन्नों के सहारे कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
तथ्यों के साथ बताया जाएगा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अब तक कांग्रेस ने जाति जनगणना का विरोध ही किया है। इंदिरा गांधी ने भी मंडल कमीशन की रिपोर्ट दबाकर रखी थी। अब केवल वोट की खातिर मुद्दा उछाला जा रहा है। न्याय पहुंचाने की मंशा नहीं है।
कुछ महीने पहले रामचरित मानस को लेकर कुछ क्षेत्रीय दलों ने विवाद खड़ा किया था। माना जा रहा था कि दलितों में भाजपा के बढ़े प्रभाव को सीमित करने के लिहाज से ही वह मुद्दा उछाला गया था। दलित और ओबीसी वर्ग के कारण ही भाजपा लगातार दो कार्यकाल से स्पष्ट बहुमत पा रही है। यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के स्तर से जाति जनगणना की बात करते हुए आरक्षण की समय- सीमा भी तोड़ने की बात कही गई है। जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई है।
प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने भी जाति जनगणना का किया था विरोध
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने क्रोनोलाजी तैयार की है। वह जनता को दिखाया जाएगा और कहा जाएगा कि कांग्रेस पारंपरिक रूप से इसका विरोध करती रही है। उसके अनुसार, 1951 में जब अनौपचारिक रूप से जाति जनगणना की बात उठी थी तो बतौर प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने इसका विरोध किया था। और बाद में 27 जून 1961 को मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र में उन्होंने आरक्षण को लेकर राजनीति पर चिंता जताई थी और आगाह किया था कि देश को नंबर वन बनना है, तो प्रतिभा को आगे बढ़ाना होगा।
भाजपा के द्वारा तैयार इस क्रोनोलाजी में यह भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को दबाए रखा था। उनकी मृत्यु के बाद भी राजीव सरकार के दौरान उस रिपोर्ट पर अमल नहीं हुआ। जब वीपी सिंह ने मंडल कमीशन लागू करने का फैसला लिया तो बतौर नेता विपक्ष राजीव गांधी ने इसे देश को बांटने का प्रयास बताया था और कहा था कि यह प्रयास अंग्रेजों के प्रयास से अलग नहीं है।
नोट के अनुसार, बतौर गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने 2010 में तत्कालीन कानून मंत्री वीरप्पा मोईली को नेहरू की सोच के बारे में बताया था और जातिगत आधार पर जनगणना की मांग के गंभीर परिणाम के प्रति चेताया था।
कांग्रेस कर रही जाति जनगणना की मांग
राज्यसभा में जनता दल यू के सांसद अली अनवर के एक सवाल के जवाब में तत्कालीन मंत्री अजय माकन ने कांग्रेस सरकार का रुख स्पष्ट किया था और जाति जनगणना की मांग को खारिज किया था। तत्कालीन मंत्री आनंद शर्मा, पीके बंसल ने भी यही भाव जताया था। उस वक्त सरकार में शामिल राजद जैसे दलों की ओर से इसे लेकर दबाव था।
कर्नाटक चुनाव सामने है जहां कांग्रेस की इस मांग का असर दिखना है। ऐसे में पार्टी ने यह बिंदु भी अपने नोट में जोड़ लिया है कि 2018 कर्नाटक चुनाव से पहले तत्कालीन कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने जाति जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं थी।
जबकि तीन साल पहले रिपोर्ट आ गई थी। भाजपा यही बताने की कोशिश करेगी कि सियासी रूप से क्षेत्रीय दलों के भी हाथ मात खा रही कांग्रेस ने हताशा में यह मुद्दा उछाला है। कोशिश यह भी हो सकती है कि इसी आधार पर साथी क्षेत्रीय दलों के बीच भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया जाए।