Move to Jagran APP

चुनाव सुधारों पर निर्वाचन आयुक्तों के साथ पीएमओ की अनौपचारिक बातचीत पर सियासी बवाल, कांग्रेस ने जताई नाराजगी

सीईसी सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्तों राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे ने प्रमुख चुनाव सुधारों को लेकर निर्वाचन आयोग एवं कानून मंत्रालय के बीच परस्पर समझ को समान बनाने के लिए हाल में पीएमओ के साथ एक अनौपचारिक बातचीत की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 18 Dec 2021 01:53 AM (IST)
Hero Image
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्तों राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे ने पीएमओ से बातचीत की।
नई दिल्ली, पीटीआइ। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्तों राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे ने प्रमुख चुनाव सुधारों को लेकर निर्वाचन आयोग एवं कानून मंत्रालय के बीच परस्पर समझ को समान बनाने के लिए हाल में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के साथ एक 'अनौपचारिक बातचीत' की। आयोग के सूत्रों ने शुक्रवार को जोर देते हुए कहा कि ऐसा करने में औचित्य का कोई सवाल नहीं उठता है। इस बातचीत पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने कहा कि सरकार चुनाव आयोग के साथ अपने मातहत के समान व्यवहार कर रही है।

परस्पर समझ बनाने की पहल

सूत्रों के अनुसार नवंबर में डिजिटल माध्यम (वर्चुअल) से हुई बातचीत कानून मंत्रालय एवं निर्वाचन आयोग के बीच विभिन्न बिंदुओं पर परस्पर समझ को समान बनाने के लिए की गई। शुक्रवार को प्रकाशित खबर कि कानून मंत्रालय ने आयोग को एक पत्र भेज कर कहा था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव सामान्य मतदाता सूची पर एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे और 'उम्मीद की जाती है कि सीईसी उपस्थित रहेंगे पर सूत्रों ने कहा कि तीनों आयुक्त औपचारिक बैठक में शामिल नहीं हुए।

बिल्कुल ही स्तब्ध कर देने वाला

वहीं इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्य निवार्चन आयुक्त एस. वाई कुरैशी ने कहा कि यह 'बिल्कुल ही स्तब्ध कर देने वाला है।' सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा आयोग के वरिष्ठ अधिकारी औपचारिक बैठक में शामिल हुए। कानून मंत्रालय में विधायी विभाग निर्वाचन आयोग से जुड़े विषयों के लिए नोडल एजेंसी है।

चुनाव सुधारों को मंजूरी दी

सूत्रों ने बताया कि पीएमओ के साथ अनौपचारिक बातचीत का परिणाम बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दिखा, जिसने विभिन्न चुनाव सुधारों को मंजूरी दी, जिन पर आयोग जोर दे रहा था।

चुनाव सुधार पिछले 25 वर्षों से लंबित

इन सुधारों में 'आधार' को स्वैच्छिक आधार पर मतदाता सूची से जोड़ना, हर साल चार तारीखों को पात्र युवाओं को मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराने की अनुमति देना आदि शामिल हैं। सूत्रों ने इस बात का जिक्र किया कि महत्वपूर्ण चुनाव सुधार पिछले 25 वर्षों से लंबित हैं। सूत्रों ने बताया कि अनौपचारिक बातचीत ने मुख्य मुद्दों पर सहमति बनाने में मदद की।

निर्वाचन आयुक्तों के साथ बैठक

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने याद दिलाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने रविशंकर प्रसाद (पूर्व कानून मंत्री) सहित मौजूदा कानून मंत्री किरन रिजिजू को पत्र लिखे थे और चुनाव सुधार लागू करने में उनकी मदद मांगी थी।आमतौर पर कानून मंत्री और विधायी सचिव निर्वाचन सदन में विभिन्न मुद्दों पर निर्वाचन आयुक्तों के साथ बैठक करते रहे हैं। आयुक्तों ने प्रोटोकाल के तहत कभी मंत्रियों के साथ बैठक नहीं की क्योंकि आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है।

निर्वाचन आयोग से मातहत जैसा व्यवहार कर रही सरकार : कांग्रेस

कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार निर्वाचन आयोग के साथ अपने मातहत के तौर पर व्यवहार कर रही है। पार्टी महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक खबर का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि सरकार देश की संस्थाओं को नष्ट करने के मामले में बहुत ही नीचे गिर चुकी है। उन्होंने जिस खबर का हवाला दिया उसमें कहा गया है कि विधि मंत्रालय के एक अधिकारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के साथ बैठक में मौजूद रहने के लिए कहा था और मुख्य चुनाव आयुक्त पर इस पर आपत्ति जताई थी।

चीजें बेनकाब : कांग्रेस

सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि चीजें बेनकाब हो गई हैं और जो बातें पहले कहीं जाती थीं वो तथ्य हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वतंत्र भारत में कभी नहीं सुना गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त को तलब किया गया हो। निर्वाचन आयोग के साथ अपने मातहत के तौर पर व्यवहार करने से साफ है कि मोदी सरकार हर संस्था को नष्ट करने के मामले में काफी नीचे गिर चुकी है। उधर इस मामले में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने लोकसभा में एक स्थगनादेश नोटिस सौंपा है।